तेजी से बन रहे सीमेंट रोड से भूजल स्तर हो रहा कम, विशेषज्ञ बता रहे इसे खतरा

तेजी से बन रहे सीमेंट रोड से भूजल स्तर हो रहा कम, विशेषज्ञ बता रहे इसे खतरा

Anita Peddulwar
Update: 2019-03-28 06:05 GMT
तेजी से बन रहे सीमेंट रोड से भूजल स्तर हो रहा कम, विशेषज्ञ बता रहे इसे खतरा

डिजिटल डेस्क, नागपुर। तेजी से बन रहे सीमेंट रोड से लोग भले ही खुश हों, लेकिन इससे भूजल स्तर सहित अन्य समस्याएं विकराल होने खा खतरा बढ़ गया है। नागपुर में 300 करोड़ के सीमेंट रोड प्रोजेक्ट फेज-2 के तहत कुल 51 सड़कों का सीमेंटीकरण जारी है। इनकी कुल लंबाई 67.43 किलोमीटर है। सीमेंट रोड प्रोजेक्ट में कुल बजट का 237.28 करोड़ सड़कों के सीमेंटीकरण के लिए और 62.72 करोड़ का प्रावधान चौक व रोड डिवाइडरों के सौंदयीकरण के लिए किया गया है। बढ़ते सीमेंट रोड से विशेषज्ञ चिंतित हैं। उनका मानना है कि शहर में तेजी से हो रहे सड़कों के सीमेंटीकरण का प्रभाव भूजल स्तर पर पड़ेगा। इसका सीधा प्रभाव वर्षा जल के भूमि में परकोलेशन (पानी के भूमि के अंदर जाने की प्रक्रिया) पर पड़ेगा। सड़क निर्माण के दौरान कई जरूरी मानकों का पालन नहीं किया गया है। सड़क के किनारे पौधे लगाने के लिए जगह नहीं छोड़ी गई है। मातृ सेवा संघ इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल वर्क, बजाज नगर की ओर से किए गए अध्ययन में ये निष्कर्ष सामने आए हैं। 

सीमेंट सड़कों का निरीक्षण
कॉलेज के प्रिंसिपल जॉन मेनाचेरी ने बताया कि कॉलेज के छात्र-छात्राओं ने शहर भर में बनीं व निर्माणाधीन सीमेंट सड़कों का निरीक्षण किया। देखा गया कि वाटर परकोलेशन के लिए पिट का निर्माण या सीमांकन नहीं किया गया है। जॉन मेनाचेरी के अनुसार, वृहत स्तर पर हुए इस कार्य में पर्यावरण संबंधी मानकों के पालन पर बिलकुल ध्यान नहीं दिया गया है। 

मानकों का नहीं किया पालन 
जॉन मेनाचेरी ने बताया कि मनपा की ओर से शहर में नए भवनों में रूफ वाटर हार्वेटिंग अनिवार्य किया जा चुका है, लेकिन सड़कों के सीमेंटीकरण के दौरान इसकी पूरी तरह से अनदेखी की गई है। यहां तक कि सड़क के किनारे लगाए गए इंटर लॉकिंग ब्लॉक्स को सीमेंट की तह के ऊपर लगाया गया है। इससे उनके लगाए जाने का प्रयोजन ही असफल हो जाने का खतरा उत्पन्न हो गया है। 

खास अध्ययन से निकला निष्कर्ष
संस्थान के छात्र-छात्राओं ने पाठ्यक्रम में एनवॉयरमेंट स्ट्डीज के अंतर्गत कम्युनिटी एक्शन फॉर एनवॉयरमेंट विषय के तहत यह अध्ययन किया। अध्ययन के निष्कर्षों पर हाल ही में संस्थान में कार्यशाला का भी आयोजन किया गया। कार्यशाला में पहले ही जल संकट झेल रहे शहर में इस तरह जरूरी मानकों के पालन नहीं होने पर विशेषज्ञों ने चिंता जाहिर की।

विशेषज्ञ से सलाह पर सवाल
जॉन मेनाचेरी ने यह सवाल भी उठाया कि इतने बड़े स्तर किए जा रहे काम के पहले विशेषज्ञों से सलाह ली गई है या नहीं। उनका कहना है कि शहर में एनवॉयरमेंट इंजीनियरिंग से संबंधित राष्ट्रीय संस्थान के होते हुए इस तरह के कार्य कई प्रश्न उठा रहे हैं। 
 

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