नागपुर विधानसभा के सामने खंडहर हो चुकी विवादित इमारत में बनेगा प्रशासनिक कार्यालय

नागपुर विधानसभा के सामने खंडहर हो चुकी विवादित इमारत में बनेगा प्रशासनिक कार्यालय

Tejinder Singh
Update: 2018-12-23 12:05 GMT
नागपुर विधानसभा के सामने खंडहर हो चुकी विवादित इमारत में बनेगा प्रशासनिक कार्यालय

डिजिटल डेस्क, नागपुर। उपराजधानी में पहली बार साल 1994 में बिल्डर एन कुमार एसोसिएटस ने पूनम कमर्शियल प्लाजा का निर्माण कार्य शुरू किया था। इसके लिए मनपा और नासुप्र समेत जिला प्रशासन से सभी प्रकार की अनुमति भी ली गई थी। विधानभवन के सामने स्थित इमारत में शहर का पहला रिवाल्विंग रेस्टाेरेंट व कार्यालयों के लिए कमर्शियल ब्लॉक भी बनने थे, लेकिन विधानसभा में तत्कालीन विधायकों ने इमारत को विधानभवन की सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए इसके निर्माण पर रोक लगाने की मांग की थी और सरकार ने इमारत के निर्माण पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी थी। इसके बाद से ही मल्टीप्लेक्स इमारत का अर्द्धनिर्मित ढांचा पड़ा हुआ है, लेकिन अब राज्य सरकार ने इस इमारत का अधिग्रहण करने का फैसला किया है। इसके लिए लोक निर्माण विभाग को कार्यवाही करने को कहा है। पीडब्ल्यूडी ने वीएनआईटी के स्ट्रक्चर विशेषज्ञ शिक्षकों से रिपोर्ट मांगी थी। इस रिपोर्ट के साथ ही इमारत के बाजार मूल्य का भी मूल्यांकन कर लिया गया है। बाजार मूल्य के मुताबिक इमारत की कीमत करीब 50 करोड़ रुपए आंकी गई है। मूल्यांकन और स्ट्रक्चर रिपोर्ट की समीक्षा के बाद राज्य सरकार विशेष समिति गठित कर बिल्डर एन. कुमार को भुगतान की दिशा में अंतिम निर्णय करेगी। इस पूरी प्रक्रिया में करीब 6 माह का समय लगने की संभावना है। इमारत को विधानमंडल के हिस्से के रूप में मंत्रियों, सचिव एवं अन्य प्रशाकीय कार्यालय के रूप में तैयार किया जाएगा। 

कार्यालय के लिए अलग हिस्सा
विधानमंडल सत्र के दौरान मंत्रियों, विभिन्न विभागों एवं महामंडलों के नियमित कामकाज में परेशानी का सामना करना पड़ता है। विधानभवन परिसर में जगह की कमी के चलते कार्यालयों को अस्थायी तौर पर नाग भवन, हैदराबाद हाऊस एवं रविभवन परिसर में बनाना पड़ता है। इन कार्यालयों में पहुंचने के लिए मंत्रियों, अधिकारियों और नागरिकों को खासी मशक्क्त करनी पड़ती है। दो साल पहले समस्या के स्थायी निराकरण के लिए विधानमंडल प्रशासन ने खोज आरंभ की थी। इस दौरान विधानमंडल के समक्ष की पूनम टॉवर की अधूरी इमारत का चयन किया गया। वीएनआईटी के प्रो वी एन बाकरे ने इमारत के स्ट्रक्चरल डिजाइन की जांच की है। इस आधार पर इमारत का सरकारी मूल्य करीब 50 करोड़ निर्धारित किया गया है। जल्द ही इमारत के निर्माणकार्य की मजूबती का परीक्षण किया जाएगा। इसके बाद राज्य सरकार से इमारत के अधिग्रहण के लिए प्रशासकीय मंजूरी ली जाएगी।

विधानभवन के सामने खंडहर के रूप में नजर आने वाली पूनम कमर्शियल प्लाजा की इमारत जल्द ही गुलजार नजर आ सकती है। 25 साल पहले राज्य सरकार ने सुरक्षा कारणों के चलते इस इमारत के निर्माण कार्य पर रोक लगा दी थी। दो दशकों से अधिक समय तक इमारत बेजार रूप में पड़ी रही, लेकिन अब राज्य सरकार ने इसे अधिग्रहण करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। आगामी 6 माह में तकनीकी निरीक्षण के बाद इमारत का अधिग्रहण करने की संभावना है। लोक निर्माण विभाग की पहल पर वीएनआईटी के विशेषज्ञों ने इमारत का मुआयना कर रिपोर्ट सरकार को भेज दी है। विशेषज्ञों की रिपोर्ट के आधार पर इमारत की कीमत 50 करोड़ रुपए सरकारी दर में आंकी गई है। हालांकि कीमत को लेकर पेंच फंसा हुआ है। इमारत का निर्माण करने वाले भवन निर्माता एन. कुमार ने वास्तु का बाजार मूल्य 150 करोड़ रुपए होने का दावा किया है। राज्य सरकार और विधानमंडल प्रशासन की औपचारिक मंजूरी मिलते ही इमारत को अधिग्रहीत कर लिया जाएगा। एक तरह से यह इमारत प्रशासकीय  कार्यालय के रूप में इस्तेमाल की जाएगी। यहां मंत्रियों और आला अधिकारियों के कार्यालय होंगे। इस इमारत से विधानभवन तक एक टनल बनेगी, जिसके जरिये अधिकारी और मंत्री यहां सीधे पहुंच सकेंगे।

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