सबटाईटल वाली फिल्मों के लिए दोबारा सेंसर सर्टिफिकेट पर निर्माताओं को एतराज

सबटाईटल वाली फिल्मों के लिए दोबारा सेंसर सर्टिफिकेट पर निर्माताओं को एतराज

Tejinder Singh
Update: 2018-07-27 14:47 GMT
सबटाईटल वाली फिल्मों के लिए दोबारा सेंसर सर्टिफिकेट पर निर्माताओं को एतराज

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) यानि सेंसर बोर्ड को  इंडियन मोशन पिक्चर प्रोड्युसर एसोसिएशन (इम्पा) की ओर से दायर याचिका पर हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है। याचिका में इंपा ने सेंसर बोर्ड के उस नियम को चुनौती दी है जिसके तहत फिल्मों को लिए सब टाईटल (संवादों को दूसरी भाषा में लिखित में प्रदर्शित करना) का इस्तेमाल करने पर उसी फिल्म के लिए दोबारा सेंसर सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य किया है। याचिका में सेंसर बोर्ड के नियम को मनमानी पूर्ण बताया गया है। 

याचिका में एसोसिएशन ने कहा है कि उन्हें 27 अप्रैल 2018 को सेंसर बोर्ड की ओर से जारी एक नोटिस मिली है। जिसमें कहा गया है कि अब फिल्म निर्माताओं को फिल्म के सबटाईटल के लिए भी सेंसर बोर्ड से अलग से प्रमाणपत्र लेना होगा। याचिका के अनुसार फिल्म निर्माताओं को पहले फिल्म के प्रदर्शन के लिए एक प्रमाणपत्र लेना पड़ता था, लेकिन अब यदि फिल्म निर्माता अपनी फिल्म में किसी और भाषा में संवाद लिखित में प्रदर्शित करता है तो उसके लिए उसे फिर से सेंसर प्रमाण पत्र लेना होगा।

सेंसर बोर्ड ने फिल्म निर्माताओ को परेशान करने के उद्देश्य से यह नियम बनाया है। ताकि फिल्म निर्माताओं से और पैसे वसूले जा सके। इस नियम के चलते अनावश्यक रुप से फिल्म के प्रदर्शन में देरी होगी। याचिका में कहा गया है कि इंटरनेट व दूसरे इलेक्ट्रानिक मीडिया में निशुल्क उपलब्ध रहनेवाले कार्यक्रमों को किसी प्राधिकरण से प्रमाणपत्र लेने की जरुरत नहीं पड़ती है। 

सुनवाई के दौरान सेंसर बोर्ड की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता अद्वैत्य सेठना ने कहा कि फिल्म निर्माता एक प्रमाणपत्र मिलने के बाद दोबारा फिल्म में कुछ न जोड़े अथवा बदलाव न करे यह आश्वस्त करने के लिए सबटाईटल वाली फिल्मों के लिए अलग से प्रमाणपत्र लेने का नियम बनाया गया है। याचिका में उल्लेखित तथ्यों पर गौर करने के बाद जस्टिस आरएम बोर्डे की बेंच ने सेंसर बोर्ड को दो सप्ताह के भीतर याचिका में उठाए गए मुद्दे को लेकर हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया। 

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