जानिए नागपुर RTO ऑफिस के हाल : लर्निंग के 850 और गाड़ी ट्रांसफर के लिए 10,000 तक की दलाली

जानिए नागपुर RTO ऑफिस के हाल : लर्निंग के 850 और गाड़ी ट्रांसफर के लिए 10,000 तक की दलाली

Tejinder Singh
Update: 2018-12-20 12:31 GMT
जानिए नागपुर RTO ऑफिस के हाल : लर्निंग के 850 और गाड़ी ट्रांसफर के लिए 10,000 तक की दलाली

डिजिटल डेस्क, नागपुर। शहर आरटीओ परिसर में प्रवेश करते ही पारदर्शिता के तमाम दावे फेल दिखते हैं। दलालों की पूरी टोली टूट पड़ती है। हर काम की उन्होंने अपनी अलग फीस तय कर रखी है। आवेदन फार्म लेने से लेकर पूरी प्रक्रिया में यह अपने ‘सोर्स’ के साथ मिल कर काम करते है। हर विभाग में इनके ‘सोर्स’ रहते हैं, जो इनकी फाइलें आगे बढ़ाते रहते हैं। इसकी पुख्ता जानकारी के लिए भास्कर ने एक कस्टमर बनकर बात की तो पूरी हकीकत सामने आ गई। लर्निंग लाइसेंस के 1000 रुपए, गाड़ी ट्रांसफर कराने के 12000 रुपए, लेकिन आप यह भी जान लीजिए कि नियमों के अनुसार लर्निंग लाइसेंस 150 रुपए और गाड़ी ट्रांसफर कराने के 2000 रुपए लगते हैं। 

नियमों के अनुसार लर्निंग लाइसेंस 150 रुपए और गाड़ी ट्रांसफर कराने के 2000 रुपए लगते हैं, लेकिन दलाल लर्निंग लाइसेंस के 1000 रुपए और गाड़ी ट्रांसफर कराने के 12000 रुपए लेते हैं। आरटीओ का पूरा काम अब ऑनलाइन हो गया है। लर्निंग लाइसेंस, ट्रांसफर, रिन्युवल सभी कार्य आनलाइन होते हैं, इसके बावजूद भी लोगों को दलालों की मदद लेनी पड़ रही है। परिसर के बाहर भी कई लोग अस्थायी रूप से अपनी दुकानें लेकर बैठे रहते हैं, जो आवेदनकर्ता के आनलाइन फार्म भरते हैं। इसका कारण है आम लोगों को आनलाइन प्रक्रिया की जानकारी न होना। लोगों का कहना है कि आरटीओ की साईट सुविधाजनक नहीं है और ऑनलाइन पेमेंट में भी गड़बड़ होती है। विभागों में भी जानकारी देने वाला कोई नहीं होता है, जिसके कारण अपने काम के लिए भटकना पड़ता है। 

हर काम के लिए अपनी रेटलिस्ट फिक्स 
सरकारी विभाग आम आदमी की सुविधा के लिए बने हुए हैं, और इसे भ्रष्टाचार मुक्त करने के लिए हर सरकारी विभाग में आनलाइन सुविधा भी शुरू की जा रही है। बावजूद इसके आम आदमी दलालों के पास जाने पर मजबूर हैं। दलाल इन्हे आसान तरीके से काम करने की अपनी ‘स्कीम’ सामने रखते हैं। नियमत: उसी कार्य को करने में महीनों भटकना पड़ता है और इसी का फायदा दलाल उठाते हैं।

इसलिए इनका धंधा हर जगह चोखा
हर सरकारी काम में यह दलाल खुलेआम अपना धंधा चला रहे हैं। इनकी तो जाॅब ही यही बन गई है। इन दलालों पर किसी का अंकुश नहीं है। इसका एक कारण है विभागों में हेल्पिंग डेस्क और कार्य संबंधी जानकारी न होना।

दलालों के पास जाना नहीं चाहिए
अतुल आदे, उप प्रादेशिक परिवहन अधिकारी के मुताबिक लोगों को दलालों के पास जाना नहीं चाहिए, क्योंकि पूरी प्रक्रिया आनलाइन कर दी गई है और यदि कोई फोर्स करता है या डराता है तो पुलिस को शिकायत करनी चाहिए।

ऐसे हुआ खुलासा
आरटीओ परिसर के इस खेल का भांडाफोड़ करने के लिए काम के बहाने हमने एक दलाल से बात की, प्रस्तुत है कुछ अंश -

लर्निंग लाइसेंस के लिए एक दलाल से बात

दलाल     -     क्या करवाना है
रिपोर्टर     -     लर्निंग लाइसेंस बनवाना है
दलाल     -     आधार कार्ड, पैन कार्ड और बिजली बिल ले आओ
रिपोर्टर    -     कितने रुपए लगेंगे
दलाल     -     800 रुपए बनने में लगेंगे और मेरी फीस 200 रुपए है। अंदर जल्दी काम करने के लिए सब लगता है।

गाड़ी ट्रांसफर के लिए दूसरे से बात

रिपोर्टर    -     गाड़ी ट्रांसफर करवाना है
दलाल     -     सेलर का आधार कार्ड, गाड़ी के सारे पेपर और खरीदने वाले का आधार कार्ड, बिजली बिल है।
रिपोर्टर    -     गाड़ी बाहर की है।
दलाल     -    तो फिर ज्यादा खर्चा होगा, क्योंकि एनओसी भी बनानी पड़ेगी, गाड़ी टैक्स भी जुड़ेगा।
रिपोर्टर    -     सब कुछ मिलाकर कितने का खर्चा आएगा।
दलाल     -    12000 मान कर चलो, कम ज्यादा भी हो सकता है।
रिपोर्टर    -     एनओसी कहां से बनवाएं।
दलाल     -    कोर्ट में 100 रुपए  के स्टैम्प पर बनेगा, आप तो 400 रुपए दे देना मुझे। वहां भी एजेंट रहते हैं, तो मैं कर लूंगा।

फोटोकाॅपी दुकानों पर भी चलती है जुगाड़ 
आरटीओ परिसर में सभी दलालों की अपनी जगह फिक्स है। परिसर और उसके बाहर अलग-अलग जगहों पर यह बैठे रहते हैं। आवेदन फार्म दिलवाने के अपने ‘सोर्स’ हैं। परिसर के आस-पास की फोटोकाॅपी दुकानों से इनके कहने पर फार्म उपलब्ध हो जाते हैं।  

अंदर भी देना होता है
रुपए ज्यादा मांगने पर दलालों का कहना था कि फाइल आगे बढ़ाने के लिए अंदर भी पैसा देना होता है। अभी अपने लोग हैं तो जल्दी हो जाएगा। कुछ समय बाद लोग चले जाएंगे तो फिर काम नहीं होगा। इससे यह बात भी सामने आई है कि इस धंधे में केवल दलाल नहीं, सरकारी विभागों के लोग भी शामिल हैं, जो इनसे हर काम का फिक्स कमीशन लेते हैं।

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