दिव्यांगों की मांगों को लेकर प्रहार का महाराष्ट्र सदन पर हल्लाबोल आंदोलन

दिव्यांगों की मांगों को लेकर प्रहार का महाराष्ट्र सदन पर हल्लाबोल आंदोलन

Tejinder Singh
Update: 2019-08-09 15:04 GMT
दिव्यांगों की मांगों को लेकर प्रहार का महाराष्ट्र सदन पर हल्लाबोल आंदोलन

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अनोखे तरीके से आंदोलन करने के लिए जाने जानेवाले प्रहार जनशक्ति पार्टी के प्रमुख एवं विधायक बच्चू कडू ने शुक्रवार को विकलांगों की विभिन्न मांगों को लेकर दिल्ली स्थित महाराष्ट्र सदन पर ही हल्लाबोल कर दिया। ‘हमारी मांगे पूरी करों, नही तो कुर्सी खाली करों’ का नारा देते हुए हजारों विकलांग आंदोलनकारियों ने सदन के भीतर प्रवेश कर वहीं ठिय्या आंदोलन करना शुरु कर दिया। जिसके कारण कुछ समय के लिए महाराष्ट्र सदन पुलिस छावनी में तब्दील हो गया था। इस आंदोलन का असर यह हुआ कि इसमें दखल देते हुए केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने विधायक बच्चू कडू को फौरन बातचीत के लिए बुला लिया और उनकी मांगों पर गौर करने के बारे में आश्वस्त किया। इसके बाद बच्चू कडू ने महाराष्ट्र सदन के भीतर जारी आंदोलन को स्थगित कर दिया। बच्चू कडू ने बताया कि विकलांगों की विभिन्न मांगों में से एक प्रमुख मानधन बढाने की मांग की पूर्तता के बारे में सकारात्मक निर्णय लेने की बात केन्द्रीय मंत्री ने कहीं है। शनिवार को केन्द्रीय मंत्री की मौजूदगी में विभाग के अधिकारियों के साथ इस संबंध में बैठक होगी।

कडू ने कहा कि सांसद-विधायकों के मानधन में तो सरकार बढोतरी कर रही है, लेकिन विकलांगों के नही। सरकार की ओर से मिल रहे 200 रुपये मानधन की राशि में बढोतरी करने की मांग को लेकर दो साल पहले भी दिल्ली में आंदोलन किया था। तब भी आश्वासन दिया था कि सरकार ने विकलांगों के मानधन में वृद्धि करेंगे, लेकिन आज तक इसकी पूर्तता नही हुई है। लिहाजा अब की बार हम आश्वासन नही मांग की पूर्तता होने के बाद ही दिल्ली छोडेंगे।

आंदोलन की रुपरेखा के अनुसार विभिन्न राज्यों से आए हजारों विकलांग पहले यहां के हिंदू महासभा भवन के प्रांगण में इकठ्‌ठा हुए थे, जहां से वे मार्च निकालकर जंतर-मंतर पर पहुंचने वाले थे। विकलांगों की भारी संख्या देखते हुए पुलिस आंदोलन को वही दबाने का प्रयास कर रहे थे। यह ध्यान में आते ही पुलिस को चकमा देते हुए बच्चू कडू अपने आंदोलनकारियों के साथ सीधे महाराष्ट्र सदन पहुंचे और उसके भीतर ही ठिय्या आंदोलन करना शुरु कर दिया।

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