टिड्डी दल के बड़े आक्रमण की आशंका पर सतना में अलर्ट

  टिड्डी दल के बड़े आक्रमण की आशंका पर सतना में अलर्ट

Bhaskar Hindi
Update: 2020-05-25 10:09 GMT
  टिड्डी दल के बड़े आक्रमण की आशंका पर सतना में अलर्ट

डिजिटल डेस्क सतना। जिले के नागौद और मझगवां इलाके में आने वाले 24 घंटे के दौरान टिड्डी दल के बड़े आक्रमण की आशंका पर यहां का कृषि विभाग और कृषि विज्ञान केंद्र हाईअलर्ट पर हैं। छतरपुर के रामनगर क्षेत्र में तबाही मचाने के बाद शाम रविवार की शाम 7 बजे की स्थिति में टिड्डी दल की अपडेट लोकेशन पन्ना जिले की अजयगढ़ तहसील के बगौहा में मिलने के बाद यहां चिंताएं और भी बढ़ गई हैं। कृषि विज्ञान केंद्र मझगवां के प्रमुख एवं वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डा. राजेन्द्र सिंह नेगी ने बताया कि हवा के रुख के साथ उड़ान भरने वाले टिड्डी दल के लिए इनदिनों पश्चिम से पूर्व की ओर हवा का बहाव जिले के नागौद और मझगवां इलाके के लिए खतरे की घंटी है।
 एक झुंड में 80 लाख कीट :——-
 वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डा.नेगी ने बताया कि एक टिड्डी दल में तकरीबन 80 लाख कीट होते हैं। उन्होंने बताया कि वे इस संबंध में पन्ना के वैज्ञानिक डा.आशीष त्रिपाठी से सतत संपर्क में हैं। कृषि विभाग के डीडीए बीएल कुरील भी अलर्ट मोड पर हैं। हालात से निपटने के लिए किसानों के नाम एडवाइजरी भी जारी की गई है।
अब तक 6 जिलों में तबाही :——
उल्लेखनीय है, राजस्थान के रास्ते प्रदेश के मालवांचल से बुंदेलखंड तक पहुंचा  ये टिड्डी दल अब तक मध्यप्रदेश के 6 जिलों की खेती खा चुका है। बताया गया है कि कीटो का ये झुंड एक दिन में 25हजार व्यक्तियों के बराबर भोजन चट कर जाता है। एक छोटा सा कीट भी अपने वजन से दो से ढाई गुना खाता है। खेत में खड़ी फसलों की हरी पत्तियां, फूल,बीज का भोजन खास पसंद होते हैं। ये आम,संतरा, नीबू जैसे मौसमी फलों को नष्ट कर देतें हैं। डीडीए बीएल कुरील ने बताया कि मौजूदा समय में जिले में तकरीबन 5 हजार 600 हेक्टेयर में मंूग और 2 सौ एकड़ में उड़द की दलहनी फसलें खड़ी हैं। मौसमी फलों के अलावा  भिंडी,लौकी, तरोई, बरबटी, करैला, टमाटर, मंूग -उड़द, बैगन,खीरा-ककड़ी और दरख्तों में नई कोपलों का सीजन है।
 हर दिन 150 किलोमीटर का सफर :—-
कृषि विज्ञान केंद्र मझगवां के प्रमुख डा. राजेन्द्र सिंह नेगी ने  बताया कि टिड्डी दल
 हवा के रुख के साथ प्रति घंटा 6 से 12 किलोमीटर रफ्तार से उड़ान भरने की क्षमता रखता है। ये दल एक दिन में 150 किलोमीटर का सफर तय करता है। शाम को अंधेरा होते ही खेतों में इनका डेरा पड़ जाता है। शाम  शाम 7 बजे से रात 9 के बीच विश्राम के दौरान खेतों की फसल को नुकसान पहुंचाती हैं। इसी बीच एक मादा कीट 500 से 1000 अंडे देती हैं और नए कीटों का गु्रप पैदा कर देती है। सुबह होते ही अगले पड़ाव के लिए ये गु्रप उड़ान भर लेता है। टिड्टी दल की ऐसी ही एक आक्रामक उड़ान का रुख अब सतना की ओर है।
 बचाव के उपाय : ऐसे निपटें इस हमले से ———-
टिड्डियों के हमले से बचाव के लिए डा.नेगी ने किसानों को सामयिक सलाह देते हुए बताया कि खेतों में  ढोल नगाड़े , टीन की डिब्बे या फिर थाली बजाकर या फिर ट्रैक्टर का साइलेंसर निकाल कर तेज ध्वनि कर टिड्डियों को खेतों में बैठने से रोका जा सकता है।  उन्होंने बताया कि टिड्डियों की विश्राम अवस्था में सुबह 3 बजे से सुबह 7 बजे के बीच स्प्रे पम्प से कीटनाशक दवा क्लोरोपायरीफास 20 ईसी 12 सौ मिली लीटर या  लेम्डासाईथ्रीन 5 ईसी 400 मिली में से किसी भी दवा का 500-600 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। ये व्यवस्था पहले से ही कर लें। इस संबंध में अधिक जानकारी के लिए किसान कृषि विज्ञान केंद्र मझगवां के वैज्ञानिकों और कृषि विभाग के अधिकारियों से भी संपर्क  कर सकते हैं।  
पीछे लगा है केंद्रीय अध्ययन दल :—  
बताया गया है कि इस टिड्डी दल के साथ केंद्रीय अध्ययन भी चल रहा है। 5 अलग-अलग टीमें जहां संभावित प्रभावित क्षेत्र के किसानों को  आगाह कर बचाव के रास्ते बताती हैं, वहीं कीटों की अद्यतन गतिविधियों का अध्ययन करते हुए क्षति का आकलन भी करती हैं। इनके अंडों को नष्ट किए जाने का काम भी किया जाता है ताकि नए टिड्डी दल पनपने नहीं पाएं।
 

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