बड़ी खेरमाई -आपदाओं से नगर की रक्षा करती हैं माँ

आज भी जारी है गोंड राजाओं द्वारा शुरू किया गया अनुष्ठान बड़ी खेरमाई -आपदाओं से नगर की रक्षा करती हैं माँ

Bhaskar Hindi
Update: 2021-10-12 09:45 GMT
बड़ी खेरमाई -आपदाओं से नगर की रक्षा करती हैं माँ

डिजिटल डस्क जबलपुर। शहर के हृदय स्थल भानतलैया स्थित बड़ी खेरमाई मंदिर सिद्ध स्थल है। यहाँ विराजीं खेरमाई का अनुष्ठान गोंड राजाओं ने शुरू किया था, जो आज भी निरंतर चल रहा है। नवरात्र पर साधक और भक्त माँ भगवती की विशेष आराधना, तंत्र-मंत्र, जप-ध्यान, वैदिक अनुष्ठान पूजन करते हैं। मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है। जानकारों के अनुसार गोंड राजा संग्रामशाह ने ही यहाँ एक मढिय़ा की स्थापना कराई थी। माता खेरमाई की मढिय़ा में उस प्राचीन शिला का पूजन-अर्चन आज भी होता है, जो माता खेरमाई की प्रतिमा के सिंहासन के नीचे अग्रभाग में बनी हुई है। खेरमाई के गर्भगृह में स्थापित माता की प्रतिमा की बाईं ओर संकटमोचन दक्षिणमुखी हनुमान तथा दाईं ओर तांत्रिक शक्ति के प्रतीक भैरव की मूर्तियाँ स्थापित हैं। शास्त्रोक्त मान्यता है कि खेरमाई आपदाओं से खेड़े यानी नगर या गाँव की सुरक्षा करती हैं। इसी कारण इन्हें नगर देवी भी माना जाता है। 
मार्बल और लाल मकराना ने दिया नया लुक - बड़ी खेरमाई मंदिर का पुनर्निर्माण कई बार हुआ है। वर्ष 2017 में  गुजरात के सोमनाथ मंदिर की तरह जयपुर के सफेद मार्बल और लाल मकराना पत्थरों से मंदिर को सुंदर स्वरूप दिया गया है। गुजरात के सोनपुरा परिवार के कारीगरों ने इसे भव्य रूप प्रदान किया है। इसमें गर्भगृह, सभा मंडप, परकोटा, महराव और मुख्य द्वार बहुत ही आकर्षक हैं। नक्काशीदार झरोखे, नवदेवियों के छोटे मंदिर और मुख्य पीठ बहुत सुंदर हैं।
वर्ष 1993 में हुई नवशक्तियों की स्थापना
वर्ष 1993 में खेरमाई मंदिर ट्रस्ट द्वारा नव-शक्तियों की देवी प्रतिमाओं की स्थापना की गई। ऐसी मान्यता है िक इनके पूजन एवं दर्शन से साधकों को आध्यात्मिक शांति और लौकिक एश्वर्य प्राप्त होता है। ये शक्तियाँ हैं शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघण्टा, कुष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री। गर्भगृह के सामने मंदिर में एक बड़ा कक्ष है तथा उससे जुड़ा हुआ एक हवन कक्ष भी है। इस कक्ष में हवन, पूजन कार्य निरंतर चलता रहता है तथा वैवाहिक कार्यक्रम भी संपन्न होते हैं। परकोटे के दाहिने भाग में दूल्हा देव और बाएँ भाग में ओरछा राज के पूर्व दीवान हरदौल की मूर्तियों की श्रंृखला है। 
 

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