भीमा कोरेगांव हिंसा : संसद में कांग्रेस ने मांगा पीएम मोदी से जवाब

भीमा कोरेगांव हिंसा : संसद में कांग्रेस ने मांगा पीएम मोदी से जवाब

Bhaskar Hindi
Update: 2018-01-03 18:20 GMT
भीमा कोरेगांव हिंसा : संसद में कांग्रेस ने मांगा पीएम मोदी से जवाब

डिजिटल डेस्क, मुंबई। महाराष्ट्र के पुणे में हुई जातीय हिंसा की गूंज संसद के दोनों सदनों में भी सुनाई दी। कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दलों ने बुधवार को इस मामले को लोकसभा और राज्यसभा में जोरशोर से उठाया और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से इस पर जवाब मांगा। संसद में विपक्षी सांसदों ने भाजपा को दलितविरोधी करार देने की पूरी कोशिश की। लोकसभा में इस मसले को कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने उठाया और इस जातीय संघर्ष के लिए भाजपा व आरएसएस को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से पुणे हिंसा पर चुप्पी तोड़ने और सदन में आकर जवाब देने का आग्रह किया। कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री इस तरह के मुद्दों पर अक्सर चुप्पी साध लेते हैं। श्री खड़गे का जवाब केन्द्रीय संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने दिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी और इसके अध्यक्ष राहुल गांधी महाराष्ट्र में आग बुझाने के बजाए आग को और भड़का रहे हैं। हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे।

पुणे की घटना की पीछे है महाराष्ट्र सरकार – BSP
महाराष्ट्र के पुणे में हुई हिंसा का मसला राज्यसभा में भी उठा। BSP के सतीशचंद्र मिश्रा और कांग्रेस के आनंद शर्मा ने आज सदन की कार्यवाही शुरू होते ही यह मसला उठाया और इस पर नियम 267 के तहत बहस कराने की मांग की। विपक्षी सांसदों के हंगामे के चलते उच्च सदन में शून्यकाल और प्रश्नकाल नहीं हो सका। दो बार के स्थगन के बाद जब सदन की कार्रवाई दोपहर बाद दो बजे शुरू हुई तो सतीशचंद्र मिश्रा ने फिर से महाराष्ट्र का मामला उठाया और आरोप लगाया कि महाराष्ट्र सरकार ने सुनियोजित तरीके से इस घटना को अंजाम दिया है। उन्होंने सीधा कहा कि जहां जहां भाजपा और आरएसएस की सरकार हैं, वहां दलित अत्याचार की घटनाएं होती है। BSP सांसद चाहते थे कि सदन में सभी काम रोककर नियम 267 के तहत महाराष्ट्र हिंसा पर चर्चा हो। इस दौरान विपक्षी सांसदों ने सदन में भाजपा सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की।

पुणे हिंसा की हो निष्पक्ष जांच : पासवान
केन्द्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामले के मंत्री रामविलास पासवान ने भी महाराष्ट्र मसले पर अपनी राय रखी है। इस घटना की निंदा करते हुए उन्होंने कहा कि इस मामले में महाराष्ट्र सरकार से चूक हुई है। उन्होंने कहा कि इस मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। समाजिक सद्भाव बनाए रखने के लिए दोषियों को दंडित किया जाना जरूरी है।

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