केंद्रीय कृषि कानून में सुधार के लिए विधानसभा में पेश विधेयक, फडणवीस ने कहा- संशोधन के लिए केंद्र पहले से है तैयार

केंद्रीय कृषि कानून में सुधार के लिए विधानसभा में पेश विधेयक, फडणवीस ने कहा- संशोधन के लिए केंद्र पहले से है तैयार

Tejinder Singh
Update: 2021-07-06 15:45 GMT
केंद्रीय कृषि कानून में सुधार के लिए विधानसभा में पेश विधेयक, फडणवीस ने कहा- संशोधन के लिए केंद्र पहले से है तैयार

डिजिटल डेस्क, मुंबई। केंद्र सरकार द्वारा पिछले साल अगस्त महीने में पारित किए गए तीन कृषि कानूनों में बदलाव के लिए महाराष्ट्र सरकार ने मंगलवार को विधानसभा में तीन सुधार विधेयक पेश किए हैं। इन विधेयकों में किसानों की मांग को पूरा करने की कोशिश की गई है। इसमें किसानों से धोखाधड़ी करने वालों को कम से कम तीन साल की कैद और पांच लाख रुपए के जुर्माने का प्रावधान है। किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी भी दी गई है। उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने बताया कि अगले दो महीनों तक इस विधेयक पर लोगों की सलाह और सुझाव लिए जाएंगे। विधेयक को नागपुर में होने वाले शीतकालीन सत्र के दौरान पारित किया जाएगा। इसके पहले मंगलवार सुबह हुई कैबिनेट बैठक में इन विधेयकों को पेश करने की मंजूरी प्रदान की गई। पेश किए गए तीनों विधेयक तीन अलग विभागों के हैं। विधानसभा में कृषि मंत्री दादाजी भुसे ने किसान सक्षमीकरण व संरक्षण आश्वासित मूल्य व सेवा करार महाराष्ट्र संशोधन विधेयक, सहकारिता मंत्री बाला साहेब पाटिल ने किसान उत्पादन व्यापार और व्यवहार (प्रोत्साहन और सुविधा) तथा अन्न और खाद्य आपूर्ति और ग्राहक संरक्षण मंत्री छगन भुजबल ने जीवनावश्यक वस्तु संशोधन अधिनियम 2021 पेश किया। 

राजस्व मंत्री बाला साहेब थोरात ने कहा कि केंद्र ने जो कृषि कानून बनाए हैं, वे किसान विरोधी हैं और उनमें संशोधन करना है। उन्होंने बताया कि प्रस्तावित कानून में लाइसेंस के बिना किसानों से उपज नहीं खरीदा जा सकता जबकि केंद्र सरकार के कानून में सिर्फ परमानेंट एकाउंट नंबर (पैन) के आधार पर खरीदारी की जा सकती है और उसमें भुगतान न करने पर किसी तरह की सजा का भी प्रावधान नहीं है। कृषि मंत्री दादाजी भुसे ने कहा कि प्रस्तावित कानून के मुताबिक किसानों के साथ किया गया कोई समझौता तब तक मान्य नहीं होगा जब तक किसानों को दी जाने वाली रकम न्यूनतम समर्थन मूल्य जितनी या उससे ज्यादा नहीं होगी। जिन फसलों के लिए एमएसपी तय नहीं की गई है उस पर आपसी सहमति के आधार पर समझौता किया जा सकता है। 

तीनों दल थे केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ

महाविकास आघाड़ी सरकार में शामिल तीन दल केंद्र सरकार के कृषि कानून के खिलाफ थे। तीन दलों विशेषकर कांग्रेस की इच्छा थी कि ये बिल इसी अधिवेशन में सदन के पटल पर रखे जाए। अब ये विधेयक सभागृह के पटल पर रखे दिए गए हैं और इन पर सभी क्षेत्र के लोगों की राय मांगी जाएगी।

कानून चर्चा के लिए खुले

उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा कि केंद्र के कृषि कानूनों को सुप्रीम कोर्ट ने स्थगित किया है। अब राज्य के तीन कृषि कानूनों को हम चर्चा के लिए खुला छोड़ रहे हैं। महाविकास आघाड़ी सरकार के शामिल तीनों दलों की इच्छा है कि केंद्रीय कानूनों में जो किसान विरोधी बातें हैं उनमें सुधार किया जाए।

प्रस्तावित कृषि कानूनों की मुख्य बातें

1. केंद्र के कृषि कानून में न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी नहीं दी गई है, वह इन कानून में दी गई है।

2. केंद्र के कृषि कानून में किसानों और व्यापारियों के बीच विवाद की स्थिति में दीवानी कानून का प्रावधान है, जबकि राज्य सरकार के कानून में फौजदारी कानून का प्रावधान है।

3.किसानों के साथ धोखाधड़ी के मामले सामने आने पर न्यूनतम तीन साल की सजा और पांच लाख रुपए तक का जुर्माने का प्रावधान किया गया है

4. बिना वैध लाइसेंस के व्यापारी किसानों के साथ व्यापार नहीं कर सकेंगे।  
    

फडणवीस ने कहा- केंद्रीय कृषि कानूनों में मामूली फेरबदल
 

राज्य सरकार द्वारा पेश किए गए संशोधन विधेयक में बेहद मामूली बदलाव है जिसे केंद्र सरकार ने पहले ही स्वीकार कर लिया है। ऐसे में दो लोगों की राय के नाम पर दो महीने की और देरी की जा रही है। विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि जिन बदलावों के लिए केंद्र सरकार पहले से तैयार है उसे इतने दिन रोक कर भ्रामक प्रचार क्यों किया जा रहा है। फडणवीस ने कहा कि केंद्र सरकार पहले ही कह रही है कि वह कानून खारिज करने की जरूरत नहीं है अगर उसमें किसी तरह के बदलाव की जरूरत होगी, तो वह इसके लिए तैयार है। अच्छी बात यह है कि राज्य सरकार भी इस पर राजी है और इसे खारिज करने की जगह इसमें कुछ बदलाव कर रही है। केंद्र ने जो तीन कानून बनाए हैं उनमें से दो पहले ही महाराष्ट्र में लागू हैं। न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम कीमत पर उपज बेंचने को लेकर राज्य सरकार ने जो बदलाव किया है उसमें एक नियम में कम दाम में खरीदारी पर सजा का प्रावधान है तो अगले वाक्य में कहा गया है कि किसान और कांट्रैक्टर ज्यादा से ज्यादा दो साल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दाम पर समझौता कर सकते हैं। एक और बदलाव में युद्ध या आपात स्थिति में जीवनावश्यक वस्तु कानून के इस्तेमाल का जो अधिकार केंद्र के पास था वह राज्य के पास भी हो जाएगा। इसके अलावा अपीलीय अधिकारी के तौर पर उपविभागीय अधिकारी की जगह जिलाधिकारी को रखा गया है।        

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