उद्धव से मिले एकनाथ खडसे, कहा- मैं नाराज नहीं हूं, जानिए कौन सा सवाल टाल गए सीएम 

उद्धव से मिले एकनाथ खडसे, कहा- मैं नाराज नहीं हूं, जानिए कौन सा सवाल टाल गए सीएम 

Tejinder Singh
Update: 2019-12-10 16:40 GMT
उद्धव से मिले एकनाथ खडसे, कहा- मैं नाराज नहीं हूं, जानिए कौन सा सवाल टाल गए सीएम 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। पार्टी में अपनी उपेक्षा से नाराज चल रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता एकनाथ खडसे ने मंगलवार को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मुलाकात की। इससे पहले वे भाजपा नेता व पूर्व मंत्री पंकजा मुंडे से भी मिले। उन्होंने सोमवार को नई दिल्ली में राकांपा अध्यक्ष शरद पवार से मुलाकात की थी। खडसे ने कहा कि मैं पार्टी से नाराज नहीं हूं। विधानभवन में मुख्यमंत्री के साथ 40 मिनट चर्चा के बाद पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा दिल्ली में पवार से मैं अपने विधानसभा क्षेत्र के काम के लिए मिला था। यहीं मांग लेकर मैं मुख्यमंत्री उद्धव जी से भी मिला। खडसे ने कहा कि मुख्यमंत्री से मैंने औरंगाबाद में दिवंगत भाजपा नेता गोपीनाथ मुंडे का स्मारक बनाने का एलान करने की मांग की है। उन्होंने हमें आश्वासन दिया है कि गोपीनाथ जी के स्मारक के लिए जल्द निधि दी जाएगी। विधानसभा चुनाव में खडसे का टिकट काट कर पार्टी ने उनकी बेटी रोहिणी खडसे को टिकट दिया था, लेकिन रोहिणी चुनाव नहीं जीत सकी। चुनाव बाद भाजपा के सत्ता से बेदखल होने के बाद खडसे पार्टी के नाराज नेताओं से लगातार सम्पर्क कर रहे हैं। चर्चा है कि खडसे भाजपा छोड़ सकते हैं। हालांकि मंगलवार को पंकजा से मुलाकात के बाद उन्होंने कहा कि फिलहाल मैं भाजपा में हूं। उन्होंने कहा कि दिवंगत भाजपा नेता गोपीनाथ मुंडे की जयंती पर 12 दिसंबर को बीड में गोपीनाथ गड़ पर उनके समर्थक जुटेंगे। उन्होंने इसे भाजपा के नाराज नेताओं का शक्ति प्रदर्शन मानने से इंकार कर दिया। बाद में देरशाम खडसे ने विधानभवन में शिवसेना पक्ष प्रमुख व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मुलाकात की। 

महाराष्ट्र के इतिहास में ऐसा पहला मौका, सवाल टाल गए मुख्यमंत्री 

इसके अलावा मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे के साथ मंत्रिपद की शपथ लेनेवाले 6 मंत्रियों के विभागों के बटवारे का इंतजार 13 दिन बाद भी खत्म नहीं हुआ। बीते 28 नवंबर को शिवाजी पार्क में हुए शपथ ग्रहण समारोह के दौरान शिवसेना विधायक दल के नेता एकनाथ शिंदे व सुभाष देसाई, रांकापा की ओर से विधायक दल के नेता जयंत पाटील व छगन भुजबल जबकि कांग्रेस पार्टी से कांग्रेस विधायक दल के नेता बालासाहेब थोरात व नितिन राउत ने मंत्री पद की शपथ ली थी। लेकिन दो सप्ताह बाद भी इन नेताओं को कोई विभाग नहीं मिल सका। इसलिए इनके पास मंत्रालय में मुख्यमंत्री की बैठक में शामिल होने के अलावा कोई काम नहीं है। विभागों के बंटवारे को लेकर मंगलवार को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे सवाल को टाल गए। महाराष्ट्र के राजनीतिक इतिहास में यह पहला मौका है जब शपथ लेनेवाले मंत्रियों को अपना विभाग पाने के लिए इतना लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। आमतौर पर मंत्री पद की शपथ लेने के बाद नेताओं को 24 घंटे के भीतर विभाग का आवंटन कर दिया जाता है। गौरतलब है कि 1999 में एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस व राष्ट्रवादी कांग्रेस के बीच भी सरकार गठन को लेकर तनाव हुआ था। चुनाव परिणाम के 11 दिन बाद दोनों दलों ने साथ में आकर सरकार बनाई थी। इस दौरान विलासराव देशमुख मुख्यमंत्री बने थे।  देशमुख सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार दो दौर में हुआ था। लेकिन शपथ ग्रहण के बाद तुरंत विभागों का बटवारा हो गया था। इसी तरह साल 2004, 2009 व साल 2014 में भी शपथ ग्रहण के तुरंत बाद मंत्रियों के विभाग का आवंटन कर दिया गया था। परंतु ठाकरे सरकार के गठन के दो सप्ताह बाद भी मंत्रियों के विभागों का बटवारा नहीं हो सका। 

शीतकालीन सत्र के बाद हो सकता है विभागों का बटवारा

विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के बाद ठाकरे सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल मंत्रियों के विभागों के बंटावरे की आशा व्यक्त की जा रही है। अधिवेशन के बाद ही यह स्पष्ट होगा कि महाविकास आघाड़ी में शामिल हुए किस दल के नेता को कौन सा विभाग दिया जाएगा। इस बीच मंगलवार को इस बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे सवाल का टाल गए। 
 

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