मोदी सरकार ने दलितों की आवाज उठाने पर मंत्री पद से दूर रखा - भाजपा सांसद

मोदी सरकार ने दलितों की आवाज उठाने पर मंत्री पद से दूर रखा - भाजपा सांसद

Anita Peddulwar
Update: 2018-05-14 07:58 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर। भाजपा सांसद डॉ. उदित राज ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि मोदी सरकार के 4 साल के कार्यकाल में दलितों की समस्याओं पर आवाज उठाता रहा। केवल इसलिए मंत्री पद से दूर रखा गया। डॉ. उदित राज  अनुसूचित जाति, जनजातीय संगठनों के अखिल भारतीय परिसंघ की ओर से जवाहर छात्रावास में दो दिवसीय क्षेत्रीय अधिवेशन में संबोधित कर रहे थे। डॉ. उदित राज अनुसूचित जाति, जनजातीय संगठनों के अखिल भारतीय परिसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं। "वर्तमान की चुनौतियां, संविधान और उपाय" विषय पर खुले अधिवेशन की उन्होंने अध्यक्षता की। राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ के अध्यक्ष डॉ. बबनराव तायवाड़े, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अब्दुल वहाब पारेख प्रमुख अतिथि उपस्थित थे।

उदित राज ने कहा कि, समाजसेवा और राजनीति दोनों में अंतर है। समाज का नेतृत्व करते समय सामाजिक समस्याओं पर आवश्यकता पड़ी तो दलगत नीति से हटकर अपनी पार्टी से भी लड़ने की ताकद रखनी चाहिए। सामाजिक समस्याओं पर उन्होंने कहा कि, कल चलकर सांसद नहीं बन पाया और निरक्षर भी सांसद चुनकर आता है, तो लोग उसी के पास पहुंचेंगे। समाज की इस भूमिका और विचारों में परिवर्तन की आवश्यकता है।

एससी, एसटी, ओबीसी और मुस्लिम समुदाय एकत्र आने पर बड़ी ताकद खड़ी होगी और राजनीतिक भी पीछे दौड़ेंगे। जाट, पटेल, मराठा के साथ किसान एकजुट होने से सरकार को उनके सामने झुकना पड़ा। अब एससी, एसटी, ओबीसी और मुस्लिमों को अपने अधिकार के लिए एकजुट होने का उन्होंने आह्वान किया। डॉ. तायवाड़े ने कहा कि संविधान विरोधी ताकत को कुचलना होगा। इसके लिए दलित, ओबीसी, मुस्लिामों को एकजुट होने की आवश्यकता है। जय ओबीसी, जय भीम का नारा सर्वत्र पहुंचाने का उन्होंने आह्वान किया।

अब्दुल वहाब पारेख ने कहा कि, धर्मनिरपेक्ष देश में मुस्लिमों की स्थिति अत्यंत दयनीय है। मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है। इंसान के जीने की चिंता छोड़ प्राणियों के जीने को अधिक महत्व दिया जा रहा है। इसके पीछे नापाक मानसिकता कार्यरत है। देश में हिटलरशाही समान वातावरण बना हुआ है। विविध योजनाओं पर अल्पसंख्यक समाज के लिए हजारों करोड़ रुपए का प्रावधान किया जाता है। परंतु निधि जाती कहा है, इसकी जांच होनी चाहिए।

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