ब्लड की कीमत में हो सकती है कमी, स्वास्थ्य मंत्री से मिला आश्वासन

ब्लड की कीमत में हो सकती है कमी, स्वास्थ्य मंत्री से मिला आश्वासन

Tejinder Singh
Update: 2020-02-06 12:33 GMT
ब्लड की कीमत में हो सकती है कमी, स्वास्थ्य मंत्री से मिला आश्वासन

डिजिटल डेस्क, मुंबई। महाराष्ट्र में रक्त थैली की कीमतों को काफी ज्यादा बताते हुए कमी की मांग हो रही। पिछले पांच वर्षों से इस दिशा में काम कर रहे रक्तहित वर्धिनी सामाजिक संस्था ने राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे से भी यह मांग की है। मंत्री ने इस संबंध में जरूरी कदम उठाने का आश्वासन दिया है। दरअसल नवंबर 2014 में राज्य रक्त संचरण परिषद (एसबीटीसी) ने रक्त थैलियों की कीमतों में बढ़ोतरी की थी। रक्तदान के क्षेत्र में कार्य करने वाली संस्था रक्तहितवर्धिनी सामाजिक संस्था तभी से कीमतों में कमी की मांग कर रही है। संस्था के अध्यक्ष चंद्रशेखर शिंदे के अनुसार फिलहाल 350 मिली वाली रक्त की एक थैली की कीमत 2014 में 800 रुपये थी जिसे बढ़ा कर 1050 रुपये कर दिया गया। बाद में इसमे 200 रुपये की कमी की गई। शिंदे ने बताया यह सरकारी अस्पतालों का रेट है निजी अस्पतालों में 1450 और चैरिटी अस्पताल में 1250 रुपये लिए जाते हैं। उन्होंने बताया कि इसके पहले तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री एकनाथ शिंदे के कार्यालय से 19 सितंबर 2019 को एसबीटीसी को पत्र लिख कर रक्त की कीमतों के संबंध में जरूरी कदम उठाने को कहा गया था पर इस मामले में कुछ नहीं हो सका। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री टोपे ने ‘दैनिक भास्कर’ को बताया कि इस बारे में एसबीटीसी से बात कर हल निकालने की कोशिश करेंगे। 75 बार रक्तदान कर चुके शिंदे का कहना है कि महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा लोग रक्तदान करते हैं। रक्त मुफ्त मिलता है उस पर प्रोसेसिंग का खर्च ही आता है। इस लिए ये कीमते बहुत ज्यादा हैं। इससे आम आदमी परेशान हो रहा है। 


ब्लड कलेक्शन में महाराष्ट्र नंबर-1

देश में कुल 2903 ब्लड बैंक हैं, यानी हर 10 लाख की आबादी के लिए 3 से कम ब्लड बैंक।  2013-14 और 2016-17 के बीच देश में वार्षिक रक्त संग्रह में लगभग 12% की वृद्धि हुई थी। इसके बावजूद जरूरत की  तुलना में रक्त संग्रह में 15 फीसदी की कमी दर्ज की गई थी। रक्त दान के मामले में महाराष्ट्र पहले क्रमांक पर है। यहाँ मांग से अधिक रक्त संग्रह है। साल 2019 में महाराष्ट्र में 16 लाख 56 हजार यूनिट रक्त संग्रह हुआ था। नियमों के अनुसार राज्य की जनसख्या के हिसाब से कम से कम 1 फीसदी रक्त संग्रह होना चाहिए। महाराष्ट्र की जनसख्या के हिसाब से यह आकड़ा 16 लाख यूनिट का होता है। 

सह निदेशक एसबीटीसी डॉ. अरुण थोरात का कहना है कि रक्त की कोई किमत नहीं होती। केवल प्रोसेसिंग चार्ज लिया जाता है। इसकी दर राष्ट्रीय रक्त संचरण परिषद (एनबीटीसी) तय करता है। इसमें राज्य रक्त संक्रमण परिषद (एसबीटीसी) की भूमिका नहीं होती। निजी अस्पताल ब्लड के लिए ज्यादा पैसे न वसूले इस बात का हम ध्यान रखते हैं। शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जाती है।”
                         
                             
                         

Tags:    

Similar News