लोकार्पण के बाद ही डूब गया केवट बोट, सरकार के करोड़ों रुपए पानी में

लोकार्पण के बाद ही डूब गया केवट बोट, सरकार के करोड़ों रुपए पानी में

Anita Peddulwar
Update: 2020-01-07 10:44 GMT
लोकार्पण के बाद ही डूब गया केवट बोट, सरकार के करोड़ों रुपए पानी में

डिजिटल डेस्क, चंद्रपुर। सरकार ने महाराष्ट्र इनोवेशन सोसाइटी अंतर्गत करोड़ों का इनाम देकर चंद्रपुर में पायलट प्रोजेक्ट कराया था। मात्र जुलाई माह में ही यह प्रयोग विफल हो गया। करीब 2.5 करोड़ रुपये की केवट नामक बोट लोकार्पण समारोह के दौरान रामाला तालाब में डूब गयी थी। अब यह प्रोजेक्ट यहां कभी नहीं होगा। हालांकि मनपा ने बड़ी उम्मीदों से यह प्रोजेक्ट चंद्रपुर में कराने का आग्रह किया था, परंतु यह प्रोजेक्ट उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाया। वहीं इसमें लगाए गए सरकार के करोड़ों रुपए भी पानी में बह गए। इधर, रामाला तालाब की सफाई की समस्या गंभीर बनी हुई है।

गौरतलब है कि, चंद्रपुर में गुरुवार 25  जुलाई 2019  को  केवट नामक आधुनिक बोट का लोकार्पण समारोह आयोजित किया गया था। परंतु यह बोट ही डूब गयी। जिसके बाद क्रेन की सहायता से इसके कलपुर्जे निकालने पड़े थे। उसके बाद मुंबई के ओमीओम क्लीनटेक नामक स्टार्टप कंपनी ने मीडिया में बयान देकर दो माह में फिर से यह प्रयोग करने की बात कही थी। ऐसे में साधारण अक्तूबर 2019 में यह प्रयोग दोबारा अपेक्षाकृत था। जिसके चलते जिला प्रशासन, मनपा एवं महाराष्ट्र राज्य नाविन्यता संस्था के माध्यम से यह लोकार्पण समारोह यहां आयोजित किया  था। बता दें कि इस केवट नामक बोट की विशेषता यह बतायी गयी थी कि, यह तल में मौजूद कीचड़ व कचरा साफ करने के अलावा पानी में ऑक्सीजन घोलने तथा बैक्टेरिया मुक्त करने का काम करेगी। तत्कालीन वित्त व नियोजन मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने काफी प्रयास किए थे। परंतु तकनीकी खराबियों ने सभी को निराश कर दिया था। यदि प्रयोग सफल होता तो मनपा द्वारा कंपनी को हर माह 15 लाख रुपए किश्त देने का फैसला लिया गया था।   ढाई करोड़ की केवट बोट को महाराष्ट्र स्टेट इनोवेशन सोसायटी ने पुरस्कृत किया था। इस बोट की लंबाई 25 फीट व चौड़ाई 20  फीट थी। मुंबई की ओमीओम क्लीनटेक कंपनी के तकनिकी प्रमुख दिलीप भानुशाली ने कहा था कि गलतियां सुधार कर फिर प्रयोग करेंगे। परंतु यह नहीं हो पाया है। 

दोबारा नहीं होगा प्रयोग
मंत्रालय के आदेशों पर मनपा ने यहां पायलट प्रोजेक्ट अंतर्गत केवट नामक बोट का परीक्षण किया था। यह मनपा का अपना प्रोजेक्ट नहीं था। ना ही इसके लिए कोई निधि ही दी गयी थी। मंत्रालय हर साल १10 नये प्रयोगों को प्रोत्साहन देकर ऐसे प्रयोग करता है। चंद्रपुर में यह विफल हो गया। हालांकि हमने रामाला के लिए आग्रह कर इसे यहां करने का अनुरोध किया था। परंतु प्रयोग विफल होने के बाद मंत्रालय ने यहां दोबारा प्रयोग की भूमिका नहीं ली। हमे इस बारे में घटना के 15  दिनों में ही अवगत कराया गया था। चूंकि प्रोजेक्ट मंत्रालय का था, इसलिए कंपनी ने कूछ भी कहा होगा, यह उनके हाथ में नहीं है। अब चंद्रपुर में यह प्रोजेक्ट दोबारा नहीं होगा। कहीं और यह सफल होता है तो इसे पूरे महाराष्ट्र में लागू किया जा सकता हैं।   -पूजा द्विवेदी, सीएम फेलो, मनपा चंद्रपुर

मनपा की कोई भूमिका नहीं
मनपा की इस प्रयोग में कोई भूमिका नहीं थी। यदि वह सफल होता तो सरकार के आदेशों से इस पर आगे की कार्रवाई की जा सकती थी। बहरहाल विफल प्रयोग के बाद इस विषय पर विराम लग गया है। हम भी चाहते थे कि प्रयोग सफल हो और रामाला को नवसंजीवनी मिले।   
-अनिल घुमडे, अभियंता, मनपा, चंद्रपुर

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