हाईकोर्ट : शुक्रवार तक एन-95 मास्क की कीमत तय करे केंद्र, कैदियों को बचाने क्या कर रही सरकार

 हाईकोर्ट : शुक्रवार तक एन-95 मास्क की कीमत तय करे केंद्र, कैदियों को बचाने क्या कर रही सरकार

Tejinder Singh
Update: 2020-05-19 16:03 GMT
 हाईकोर्ट : शुक्रवार तक एन-95 मास्क की कीमत तय करे केंद्र, कैदियों को बचाने क्या कर रही सरकार

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को एन 95 मास्क की कीमत तय करने के विषय में शुक्रवार तक निर्णय लेने को कहा है। कीमत तय करने को लेकर राज्य सरकार की ओर से बीते 13 व 15 मई को केंद्र सरकार को पत्र लिखा था। इस पर हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को 22 मई तक निर्णय लेने को कहा है। हाईकोर्ट में एन-95 मास्क की जमाखोरी करनेवाली कंपनी व लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही हैं। यह याचिका सामाजिक कार्यकर्ता अंजलि दमानिया ने दायर की है। याचिका में आग्रह किया गया है कि सरकार को एन-95 मास्क की कीमत तय करने व हैंड सैनिटाइजर, ग्लब्ज पर्याप्त संख्या में उपलब्ध कराने के लिए निर्देश दिया जाए, क्योंकि मास्क को जीवनावश्यक वस्तु की श्रेणी में शामिल किया गया है। मंगलवार को यह याचिका मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता के सामने सुनवाई के लिए आयी। याचिका पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने कहा कि जब दो और तीन परत वाले मास्क, हैंड सैनिटाइजर की कीमत तय की गई, तो फिर एन-95 मास्क की कीमत क्यों नहीं तय की गई? इससे पहले याचिकाकर्ता के वकील ने खंडपीठ के सामने कहा कि राज्य सरकार ने एन-95 मास्क के अवैध संग्रह और उसे मनमानी कीमत पर बेचने को देखते हुए मास्क की कीमत तय करने के लिए अन्न व औषध प्रशासन (एफडीए) ने केंद्र सरकार व फार्मा मूल्य निर्धारण से जुड़े प्राधिकरण को पत्र लिखा है,लेकिन अब तक कीमत तय करने को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया गया। जिससे बड़े पैमाने पर एन 95 मास्क की कालाबाजारी हो रही हैं। मनमानी कीमत पर यह मास्क बेचे जा रहे हैं। इन दलीलों को सुनने के बाद खंडपीठ ने केंद्र सरकार को शुक्रवार तक मास्क की कीमत तय करने के बारे में निर्णय लेने को कहा। 
 
कैदियों को कोरोना से बचाने क्या कर रही राज्य सरकार 

बॉम्बे हाईकोर्ट ने जेल में बंद कैदियों के स्वास्थ्य व उनकी कोरोना से जुड़ी जांच रिपोर्ट उपरिजनों को बताने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है। इस विषय पर मानवाधिकार सरंक्षण की दिशा में कार्यरत संस्था पीपल यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज नामक संस्था ने याचिका दायर की है। याचिका में आग्रह किया गया है कि सरकार व जेल प्रशासन को इस बात का खुलासा करने का निर्देश दिया जाए कि कैदियों को मास्क, हैंड सैनिटाइजर व साबुन पर्याप्त रुप से उपलब्ध कराया जाता है की नहीं। कैदियों को जेल में क्वारेंटाईन करने की क्या व्यवस्था की गई है। इसकी जानकारी भी अदालत में मंगाई जाए। क्योंकि जेल में बंद कैदियों की स्थिति को लेकर पारदर्शिता का अभाव नजर आ रहा है। पिछले दिनों आर्थर रोड जेल में 103 लोग कोरोना संक्रमित पाए गए थे। मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता की खंडपीठ के सामने याचिका सुनवाई के लिए आयी। याचिका पर गौर करने के बाद खड़पीठ ने सरकार को विस्तार से इस याचिका पर जवाब देने को कहा। याचिका के अनुसार सरकार व जेल प्रशासन ने कैदियों को कोरोना संक्रमण से बचाव को लेकर क्या तैयारी की है। इस बारे में कोई ठोस जानकारी सामने नहीं आयी है। जिसके कारण कैदियों के परिजन काफी परेशान हैं और उनके वकील भी बहुत चिंतित है। इसलिए जेल प्रशासन को कैदियों के स्वास्थ्य व कोरोना की जांच से जुडी जानकारी उनके परिजनों व वकीलों को देने का निर्देश दिया जाए। कैदियों को फोन व वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए नियमित अंतराल पर अपने घरवालों से  बात करने की सुविधा दी जाए। याचिका में कहा गया है कि जेल में क्षमता से अधिक कैदियों को रखने की बात आम है, इसलिए कैदियों को कोरोना से बचाने के लिए न्यायिक अधिकारी व डॉक्टर की उपस्थिति में कैदियों की जांच कराई जाए।
 

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