सड़क के गड्ढों को लेकर महज शोर मचाते हैं लोग, HC को मिली महज 180 शिकायतें

सड़क के गड्ढों को लेकर महज शोर मचाते हैं लोग, HC को मिली महज 180 शिकायतें

Bhaskar Hindi
Update: 2017-11-08 13:58 GMT
सड़क के गड्ढों को लेकर महज शोर मचाते हैं लोग, HC को मिली महज 180 शिकायतें

डिजिटल डेस्क,मुंबई। लोग हर समय सड़क के गड्ढों को लेकर शोर मचाते हैं, लेकिन शिकायतों के मामले में पीछे लगते हैं। इस मुद्दे पर दो महीने के दौरान महज 180 शिकायतें ही मिली। जिसे लेकर बांबे हाईकोर्ट ने कहा “ऐसा लगता है लोगों को गड्ढों से परेशानी नहीं है। इससे सिर्फ वकीलों को दिक्कत है। इन शिकायतों से एक ही राय बनती है कि लोगों को अच्छी सड़कों की कोई चिंता नहीं है”। इससे पहले खंडपीठ ने सड़क के गड्ढों से जुड़े मामले को सुनने के लिए न्यायमूर्ति के आर श्रीराम और न्यायमूर्ति गिरीष कुलकर्णी की एक अलग विशेष खंडपीठ का गठन किया। 

दो महीने में महज 180 शिकायतें मिली

मुख्य न्यायाधीश मंजूला चिल्लूर और न्यायमूर्ति एमएस सोनक की खंडपीठ ने मामले की पिछली सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र विधि सेवा प्राधिकरण के सचिव को सड़कों के गड्ढों से संबंधित शिकायतों के लिए नोडल अधिकारी नियुक्ति किया था। जिसने अदालत को बताया कि दो महीने में 180 शिकायते मिली हैं। इस पर खंडपीठ ने कहा कि लोग हर समय सड़कों के गड्ढों को लेकर चिल्लाते रहते हैं, जो दर्शाता है कि लोगों को गड्ढों से परेशानी नहीं है। इससे सिर्फ वकीलों को समस्या है। जब्कि उम्मीद थी कि गड्ढों की शिकायतों के लिए नियुक्त नोडल अधिकारी को बड़ी संख्या में शिकायतें मिलेंगी। खंडपीठ ने फिलहाल स्थानीय अखबारों, रेडियो और टेलिविजन में सड़कों के गड्ढों से जुड़ी शिकायतें किससे और कैसे करें, इसकी जानकारी विज्ञापन के माध्यम से देने को कहा है। 

मामले में जवाबदेही तय करने की जरूरत

खंडपीठ के मुताबिक यह संभव नहीं कि पूरे राज्य की सड़कों के देखा जाए। लेकिन सभी स्थानीय निकाय यह आश्वस्त करें कि वह नागिरकों को अच्छी सड़के उपलब्ध कराएं। खंडपीठ ने कहा कि स्थानीय निकाय एक स्कीम बनाकर सड़कों पर गड्ढे होने पर उसके लिए अधिकारी की जवाबदेही तय करे। खंडपीठ ने कहा कि हम प्रशासन नहीं चलाना चाहते है। हम स्थानीय निकाय के कामकाज में दखल दे सकते लेकिन यदि हम ऐसा करेगे तो यह स्थानीय निकाय के लिए अच्छा नहीं होगा। 

सतर्क रहने में ही भलाई

खंडपीठ ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि अदालत के आदेश से सभी लोग खुशी जाहिर करते हैं, लेकिन अमल कभी नहीं हो पाता है। कोर्ट ने कहा कि अब तक नोडल अधिकारी ने कितने विज्ञापन जारी किए हैं, इसकी जानकारी अगली सुनवाई के दौरान अदालत में पेश की जाए। इस दौरान खंडपीठ ने पिछले दिनों गटर का मेनहोल खुला होने के कारण बांबे अस्पताल के डॉक्टर दीपक अमरापुरकर की मौत का भी जिक्र किया। कोर्ट ने कहा कि भविष्य में किसी और डॉक्टर को अपनी जान से हाथ धोना ना पड़े। एसा हादसा किसी वकील और स्थानीय निकाय के अधिकारी के साथ भी हो सकता है। खंडपीठ ने कहा कि यह कहना आसान होता है कि उसके भाग्य में हादसे में मौत लिखी थी। लेकिन सतर्क रहने में ही भलाई है। गौरतलब है कि हाईकोर्ट के कार्यरत न्यायमूर्ति गौतम पटेल ने सड़कों की खस्ताहाली को लेकर 2013 में हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा था। जिसे जनहित याचिका में परिवर्तित किया गया है।

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