हाईकोर्ट ने कहा विश्वास नहीं होता- होटल मालिक की आमदनी सिर्फ 17 हजार, पत्नी का गुजाराभत्ता कम करने से इंकार 

हाईकोर्ट ने कहा विश्वास नहीं होता- होटल मालिक की आमदनी सिर्फ 17 हजार, पत्नी का गुजाराभत्ता कम करने से इंकार 

Tejinder Singh
Update: 2020-12-18 13:02 GMT
हाईकोर्ट ने कहा विश्वास नहीं होता- होटल मालिक की आमदनी सिर्फ 17 हजार, पत्नी का गुजाराभत्ता कम करने से इंकार 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। कुलाबा इलाके में 15 कमरों वाले एक होटल के साझेदार की मासिक आय सिर्फ 17 हजार रुपए है, इस पर यकीन नहीं किया जा सकता है। यह बात कहते हुए बांबे हाईकोर्ट ने पति कि पत्नी को गुजाराभत्ते की रकम कम करने की मांग को लेकर दायर याचिका को खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसा प्रतीत हो रहा है, जैसे पति अपनी आय छुपाने का प्रयत्न कर रहा है। पारिवारिक अदालत ने पति को प्रति माह अपनी पत्नी को 17 हजार रुपए जबकि बेटी को 13 हजार रुपए गुजाराभत्ते के रुप में देने का निर्देश दिया था। जिसके खिलाफ पति ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में दावा किया गया था कि निचली अदालत ने गुजाऱा भत्ते के भुगतान के लिए जो रकम निर्धारित की है वह उसकी आय के अनुपात में काफी ज्यादा है। इसलिए इस आदेश में बदलाव किया जाए। क्योंकि उसकी महीने की आमदनी सिर्फ 17 हजार रुपए है। जबकि पत्नी के वकील ने दावा किया था कि उनके मुवक्किल का पति कुलाबा जैसे इलाके में 15 कमरों के होटल में साझेदार है। उसकी आमदनी काफी ज्यादा है। इसलिए पारिवारिक अदालत का आदेश सही है इसमे हस्तक्षेप की जरुरत नहीं है। जबकि पति के वकील के अनुसार कुलाबा का होटल उसके परिवार के लोगों का है। जो उसे महीने के सिर्फ 17 हजार रुपए देते हैं। 

न्यायमूर्ति नीतिन सांब्रे के सामने इस मामले की सुनवाई हुई। मामले से जुड़े दोनों पक्षों व होटल के रखरखाव, सुरक्षा खर्च व जीएसटी के भुगतान से जुड़े रिकार्ड को देखने के बाद कहा कि कुलाबा इलाके में 15 कमरों के होटल के सहमालिक पति की मासिक आय सिर्फ 17 हजार रुपए है, यह बात सच से काफी दूर दिखती है। ऐसा प्रतीत होता है कि पति अपनी आय को छुपाने का प्रयास कर रहा है। होटल के स्वरूप व आय के अनुपात को देखते हुए न्यायमूर्ति ने कहा कि पारिवारिक अदालत की ओर से गुजारा भत्ते के संबंध में दिया गया आदेश सही है इसमे हस्तक्षेप करने की जरुरत नजर नहीं आती है। यह बात कहते हुए न्यायमूर्ति ने पति की याचिका को खारिज कर दिया। 

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