फर्राटे से गुजर जाती हैं बसें, 500 मीटर में 6 बस स्टाप यात्री और बसों का पता नहीं

फर्राटे से गुजर जाती हैं बसें, 500 मीटर में 6 बस स्टाप यात्री और बसों का पता नहीं

Anita Peddulwar
Update: 2019-09-30 08:22 GMT
फर्राटे से गुजर जाती हैं बसें, 500 मीटर में 6 बस स्टाप यात्री और बसों का पता नहीं

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  मनपा प्रशासन भले ही शहर में स्मार्ट प्रोजेक्ट और सुविधाओं का दावा कर रहा हो, लेकिन हकीकत में शहर के विकास को लेकर कोई भी सुनियोजित प्रक्रिया अथवा योजना नजर नहीं आ रही है। प्रशासनिक दूरदर्शिता के अभाव के चलते संसाधनों और सुविधाओं का उपयोग नहीं हो पा रहा है। ऐसा ही नजारा आकाशवाणी चौराहे पर भी देखने को मिल रहा है। इस इलाके में 8 माह पहले महज 500 मीटर की परिधि में 6 बस स्थानक बनाए गए थे। मनपा के परिवहन विभाग ने यातायात पुलिस विभाग के अनुरोध पर सिटी बसों के लिए इन स्थानकों को बनाया है, लेकिन इनमें से अधिकतर बस स्टापों पर बसें रुकती ही नहीं हैं। इन स्थानकों के बारे में आम जनता और यात्रियों को कोई भी जानकारी ही नहीं है। प्रशासन ने बस स्थानकों को बनाने के बाद कभी भी कोई सूचना अथवा जानकारी देने का प्रयास नहीं किया है।    

यात्रियों को नहीं मिल रहा लाभ
हालांकि महानगरपालिका का परिवहन विभाग शहर में सिटी बस सेवा में सुधार लाने का प्रयास कर रहा है। प्रदूषण नियंत्रण के साथ ही बस सेवा को घाटे से उबारने के लिए नई-नई सुविधाओं की घोषणा भी की जाती रही है, लेकिन यात्रियों को इसका कोई लाभ होता नजर नहीं आ रहा है। शहर के व्यस्ततम और भीड़भाड़ वाले आकाशवाणी चौराहे पर सिटी बसों के कारण अकसर यातायात जाम हो जाता था। इस परेशानी को देखते हुए पुलिस यातायात विभाग के तत्कालीन डीसीपी राजतिलक रौशन ने दिल्ली की तर्ज पर अनूठी योजना बनायी थी। इसमें परिवहन विभाग को बसों की भीड़ को नियंत्रित कर यात्रियों के बोझ को कम करने के लिए 200 मीटर में 6 बस स्थानकों को तैयार करना था।

महाराजबाग से आकाशवाणी चौक तक जाने वाले रवीन्द्रनाथ टैगोर मार्ग से विधानभवन तक इन बस स्टाप को साकार करना था। इन स्थानकों से शहर के अलग-अलग स्थानों को जाने वाली बसों की समयसारिणी में बदलाव कर बसों को रोकना था, ताकि यात्रियों की भीड़ और बसों के स्टापेज से चौराहों तक यातायात जाम की स्थिति से बचा जा सके। ट्रैफिक पुलिस के अनुरोध पर लाखों रुपए खर्च कर आठ महीने पहले ये बस स्थानक बनाए गए थे लेकिन अब ये सभी बस स्थानक केवल शोभा की वस्तु बन कर रह गए हैं। इन बस स्थानकाें से संचालित हाेने वाली बसों की पर्याप्त जानकारी नहीं होने से यहां यात्री ही नहीं पहुंचते हैं। यात्रियों के नहीं होने से बसें भी नहीं रुकती हैं।


 

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