केंद्र व राज्यों के बीच संघर्ष छिड़ सकता है, एसजीएसटी में 22 संशोधन को कैबिनेट की मंजूरी

केंद्र व राज्यों के बीच संघर्ष छिड़ सकता है, एसजीएसटी में 22 संशोधन को कैबिनेट की मंजूरी

Bhaskar Hindi
Update: 2019-12-15 05:56 GMT
केंद्र व राज्यों के बीच संघर्ष छिड़ सकता है, एसजीएसटी में 22 संशोधन को कैबिनेट की मंजूरी

डिजिटल डेस्क, मुंबई। माल व सेवा कर (जीएसटी) भुगतान के लिए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे द्वारा केंद्र को पत्र लिखे जाने के बाद उनकी पार्टी शिवसेना ने चेतावनी दी है कि अगर मोदी सरकार जीएसटी मुआवजा का भुगतान करने में नाकाम रहती है तो इससे केंद्र और राज्यों के बीच संघर्ष छिड़ सकता है। पार्टी ने यह भी कहा कि केंद्र की नीतियां देश में आर्थिक अराजकता के लिए जिम्मेदार है। शनिवार को पार्टी ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में प्रकाशित संपादकीय में कहा कि जीएसटी लागू होने की वजह से राज्यों को होने वाले राजस्व के नुकसान के मद में 50,000 करोड़ रुपये का भुगतान करने का केंद्र ने वादा किया था। लेकिन पिछले चार महीने से राज्यों को जीएसटी मुआवजा नहीं मिला। यह पैसा राज्यों का है और इसके भुगतान में देरी से राज्यों की वित्तीय स्थिति खराब हो सकती है। यदि संसाधनों में उनके (राज्यों के) उचित हिस्से नहीं दिए जाते हैं, जिसपर उनका अधिकार है, तो राज्यों को केंद्र के खिलाफ आवाज उठाना पड़ेगा।

शिवसेना ने यह आलोचना वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा राज्यसभा में दिए बयान के दो दिन बाद की है। दरअसल, सीतारमण ने कहा था कि केंद्र जीएसटी मुआवजा राज्यों को देने की प्रतिबद्धता का सम्मान करेगा। हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया था कि यह राशि कब जारी की जाएगी। उल्लेखनीय है कि 1 जुलाई 2017 से लागू जीएसटी में राज्यों ने माल और सेवा पर कर वसूलने के अपने अधिकार केंद्र को इस शर्त पर सौंप दिए थे कि अगले पांच साल तक इसकी वजह से राजस्व को होने वाले नुकसान की क्षतिपूर्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाएगी। शिवसेना ने कहा कि भारत पेट्रोलियम जैसे मुनाफा में चल रही सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को बेचा जा रहा है और केंद्र के पास प्रधानमंत्री की विदेश यात्राओं पर खर्च 500 करोड़ रुपये एअर इंडिया को चुकाने के लिए पैसे नहीं हैं। पार्टी ने कहा-इसलिए, यह संदेह है कि राज्यों को जीएसटी मुआवजा मिलेगा। पार्टी के मुखपत्र में कहा गया है कि सभी राज्यों का मानना है कि जीएसटी मुआवजा देने की प्रतिबद्धता का केंद्र ने सम्मान नहीं किया। अगर यही स्थिति रही तो राज्य और केंद्र में विवाद होगा। 

एसजीएसटी में 22 संशोधन को कैबिनेट की मंजूरी

राज्य में केंद्रीय वस्तु व सेवा कर (सीजीएसटी) और राज्य वस्तु व सेवा कर (एसजीएसटी) दोनों वसूल किया जा रहा है। 1 अगस्त 2019 को केंद्रीय वस्तु व सेवा कर अधिनियम में संशोधन किया गया है। एक व्यवहार के लिए दो-दो टैक्स वसूले जाने से रोकने के लिए दोनों करों में सामांजस्य होना जरूरी है। इसके लिए राज्य मंत्रिमंडल ने महाराष्ट्र वस्तु व सेवा कर (संशोधन) अधिनियम में कुल 22 संशोधन के लिए मंजूरी दी है। शनिवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला लिया गया। केंद्रीय वस्तु व सेवा कर कानून-2017 में संशोधन के बाद महाराष्ट्र सरकार द्वारा राज्य वस्तु व सेवा कर अधिनियम में संशोधन जरुरी हो गया है।

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