नामांतरण-बंटवारे की ऑनलाइन प्रक्रिया में नहीं हो पा रहा तालमेल!

नामांतरण-बंटवारे की ऑनलाइन प्रक्रिया में नहीं हो पा रहा तालमेल!

Bhaskar Hindi
Update: 2018-01-15 11:52 GMT
नामांतरण-बंटवारे की ऑनलाइन प्रक्रिया में नहीं हो पा रहा तालमेल!

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। अविवादित नामांतरण-बंटवारे को बेवजह लंबे समय तक अटकाए रखने के कई मामले सामने आते रहे हैं। इस कारण लोगों की हमेशा से ही शिकायत रहती है कि वे लगातार कार्यालय के चक्कर काटते हैं और इसके बाद भी उनका काम नहीं हो पाता। कई दफा तो वर्षों तक मामले लंबित पड़े रहते हैं। इसी प्रकार की शिकायतों की भरमार के बाद मुख्यमंत्री ने बीते साल घोषणा की थी कि अविवादित मामलों को तीन माह से ज्यादा समय तक अनावश्यक लंबित रखने वाले अधिकारियों पर 1 लाख रुपए का जुर्माना लगाकर आवेदक को पुरुस्कार स्वरुप दिया जाए। सीएम की इस घोषणा के बाद राजस्व विभाग ने शासन स्तर पर इस संबंध में आदेश जारी कर प्रदेश भर के कलेक्टरों को शिकायतें बुलवाने और इनकी जांचकर वृस्तित रिपोर्ट भेजने को कहा था।

इसी तारतम्य में जबलपुर में करीब 17 आवेदकों ने शिकायत दी थी, कि उनके नामांतरण के प्रकरण अविवादित हैं और उसके बाद भी इनका समय पर निरकारण नहीं किया जा रहा है। पता चला है कि जब इन तमाम शिकायतों की गहराई से जांच की गई तो लोगों की समस्याएं तो वाजिब पाई गई, लेकिन जांच में ये कहीं भी सामने नहीं आया कि नामांतरण आदेश करने में आवश्कता से ज्यादा समय लिया गया हो। बल्कि वरिष्ठ अधिकारियों ने जब पड़ताल की तो पता चला कि अविवादित नामांतरण के आदेश होने के बाद रिकार्ड दुरुस्त करने में देरी हुई है। इसके बारे में भी जब गहराई से पड़ताल की गई तब यह बात उजागर हुई कि आदेश की प्रति पटवारी तक पहुचंने में कहीं न कहीं तकनीकी खामियां रही हैं। इसी के चलते खसरे या राजस्व रिकार्ड में नाम दर्ज करने में देरी हुई है।

प्रक्रिया पूरी होने तक हो ऑनलाईन व्यवस्था
उधर जानकारों की माने, तो यह समस्या आज से नहीं है, बल्कि वर्षोंं से है। इसी कारण हमेशा से ही राजस्व प्रकरण निपटारे की प्रक्रिया पर हमेशा से ही सवाल उठते रहे हैं। इन समस्याओं के निपटारे के लिए ही शासन स्तर से रेवेन्यू केस मेनेजमेंट सिस्टम (RCMS) साफ्टवेयर की व्यवस्था की गई है। जानकार बताते हैं कि RCMS की व्यवस्था लागू होने से राजस्व अधिकारियों को आवश्यक तौर पर आदेश की प्रति अपलोड करने हाेती है। इसी के चलते नागरिक आसानी से ऑनलाईन केस का स्टेटस देख सकते हैं और असंतुष्ट होने पर इसकी अपील या शिकायत भी कर सकते हैं। लेकिन, नामांतरण आदेश होने के बाद रिकार्ड दुरुस्त हुआ कि नहीं इस बारे में जानकारी लेने के लिए नागरिकों को अभी भी कार्यालय के चक्कर काटने पड़ते हैं। इसी पहलू को यदि ऑनलाईन जोड़ा जाए तो रिकार्ड दुरुस्ती के काम में तेजी के साथ-साथ पारदर्शिता भी आ सकती है।

अभी भी मैन्युअली जाती है कॉपी
हाल में आई शिकायतों की जांच रिपोर्ट का विश्लेषण किया जाए, तो लगभग सभी मामलाें में रिकाॅर्ड अपडेट होने में देरी होने की बात सामने आई है। इसी बड़ी वजह है कि आज भी तहसीलदार या नायब तहसीदलार द्वारा आदेश जारी होने के बाद इसकी प्रतिलिपि पटवारी तक मैन्यूअली या हाथो-हाथ पहुंचाई जाती है, जिसमें काफी समय लग जाता है। जानकारों का कहना है कि यदि इस प्रक्रिया को भी आॅनलाईन सिस्टम से जोड़ दिया जाए तो आदेश होते ही इसकी प्रतिलिपि या लिंक सीधे संबंधित अधिकारी के पास पहुंच जाएगी और इसके बाद कॉपी न मिलने या देरी से मिलने जैसे बातों पर रोक लग सकेगी। हालांकि, पटवारियों के लिए रिकार्ड दुरुस्त करने हेतु वेब-जीआईएस साॅफ्टवेयर की व्यवस्था की गई थी, लेकिन इसमें गड़बड़ियों और तकनीकी खामियों के चलते इसे एक तरह से बंद ही कर दिया गया है।

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