कसानों के लिए वरदान बन सकती है अरंडी, जंगल के आसपास खेतों में हो सकता है बंपर उत्पादन

कसानों के लिए वरदान बन सकती है अरंडी, जंगल के आसपास खेतों में हो सकता है बंपर उत्पादन

Bhaskar Hindi
Update: 2018-07-02 07:58 GMT
कसानों के लिए वरदान बन सकती है अरंडी, जंगल के आसपास खेतों में हो सकता है बंपर उत्पादन

डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा। जिले के पहाड़ी और जंगल के आसपास बसे गांवों में वन्य जीव फसलों को जबरदस्त नुकसान पहुंचाते हैं। इन खेतों के लिए अरंडी की फसल वरदान साबित हो सकती है। दरअसल बंदर, जंगली सुअर, हिरण, चिंकारा आदि वन्य जीव अरंडी की फसल को नुकसान नहीं पहुंचा पाते। खरीफ अन्य फसलों के समानांतर अच्छी आमदनी के लिए जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्व विद्यालय जबलपुर से संबद्ध आंचलिक कृषि अनुसंधान केंद्र के कृषि वैज्ञानिकों ने छिंदवाड़ा की भौगोलिक परिस्थिति और वातावरण के अनुरूप जवाहर केस्टर-4 प्रजाति विकसित की है।  

आंचलिक कृषि अनुसंधान केन्द्र के सह संचालक डॉ. विजय पराडकर ने बताया कि जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्व विद्यालय जबलपुर के डॉ. प्रवीण बिसेन ने  छिन्दवाड़ा जिले की पड़त एवं अनउपजाऊ भूमि को कृषि योग्य बनाकर किसानों की आय बढ़ाने के लिए विशेष कार्य योजना करने के निर्देश दिए हैं। इसी तारतम्य में हल्की एवं मध्यम भूमि में अरंडी का रकबा बढ़ाने और अधिक से अधिक उत्पादन के लिए नई किस्म की शोध पर निरंतर कार्य जारी है।

एक फसलीय खेती के लिए उपयुक्त
किसान खरीफ रबी के मौसम में अरंडी की एक ही फसल उत्पादन ले सकते हैं। पहले 4 महीनों में अंतर्वर्ती में 100 प्रतिशत अरंडी एवं 50 प्रतिशत अंतर्वर्ती फसल जिसमें मूंग, उड़द, बरबटी, फर्रास, सोयाबीन, मूंगफली आदि लगाई सकती हैं। जवाहर केस्टर-4 प्रजाति की ऊंचाई अपेक्षाकृत कम होने से खरीफ में अंतर्वर्तीय प्रणाली के लिए उपयुक्त है। रबी में सिंचित अवस्था में अच्छा उत्पादन करने की क्षमता है।

प्रति एकड़ 10 क्विंटल उत्पादन
जवाहर केस्टर-4 प्रजाति की परिपक्वता अवधि 180 दिवस (शीघ्र अवधि) औसत उपज 2775 किलो हेक्टर यानी प्रति एकड़ 10 से 11 क्विंटल है। यह उत्पादन चेक प्रजाति डीसीएस-9 एवं 48-1 की उपज से अधिक है। बीज इंडेक्स -26 से 29 ग्राम प्रति 100 बीज (दाना मध्यम आकार) दाने में तेल का प्रतिशत - 45.30 प्रतिशत, पौध ऊंचाई 86-96 सेमी, फूल की अवस्था  48-52 दिवस है। इस प्रजाति में फ्यूजेरियम बिल्ट एवं रूट स्टॉक का प्रकोप कम, कीट व्याधि सेमीलूपर, हैरीकेटर पिलर, स्पोडोपेरा से कम नुकसान होता है।

 

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