CEC रावत ने चुनावी प्रक्रिया पर लगाए सवालिया निशान, संदेह और समाधान पर बेबाकी से दिए सवालों का जवाब

CEC रावत ने चुनावी प्रक्रिया पर लगाए सवालिया निशान, संदेह और समाधान पर बेबाकी से दिए सवालों का जवाब

Anita Peddulwar
Update: 2018-08-08 06:18 GMT
CEC रावत ने चुनावी प्रक्रिया पर लगाए सवालिया निशान, संदेह और समाधान पर बेबाकी से दिए सवालों का जवाब

डिजिटल डेस्क, नागपुर। चुनाव प्रक्रिया में सुधार को लेकर उठ रहे प्रश्नों पर चीफ इलेक्शन कमिश्नर ओपी रावत ने कहा है कि, सारी व्यवस्थाओं में सुधार के लिए सबसे पहले जनचेतना आवश्यक है। कानून कितना भी अच्छा हो, उसे लागू करने वाला मजबूत न हो तो वह पिलपिलाने लगता है। संवैधानिक संस्थाओं पर भरोसा रखने का आह्वान करते हुए उन्होंने यह भी कहा कि, संविधान में ही चुनाव प्रक्रिया को सक्षम रखने का प्रावधान है। संवैधानिक पृष्ठभूमि के तहत चुनाव आयोग काम कर रहा है। आयोग पर किसी राजनीतिक दल के प्रभाव का संदेह करना ठीक नहीं है। ‘दैनिक भास्कर’ की ओर से राजेंद्र माथुर स्मृति व्याख्यान का आयोजन किया गया। विषय था-‘चुनावी प्रक्रिया पर सवालिया निशान, संदेह और समाधान’। इसी कार्यक्रम के मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने बेबाक बातें कीं। 

Q. हाल ही में हुए भंडारा-गोंदिया लोकसभा चुनाव में EVM मशीनों ने तेज गर्मी के कारण कार्य करना बंद कर दिया। पर्याप्त EVM मशीनें तक उपलब्ध नहीं थीं। पुनर्मतदान होने पर भी कई मतदाता मतदान से वंचित रह गए। ऐसे में बैलेट पेपर इसका विकल्प क्यों नहीं है?  (नाना पटोले, पूर्व सांसद) 
A. इन चुनावों में EVM मशीनें नहीं, वीवी पैट मशीनें फेल हुई थीं, जो प्रिंटर का काम करती हैं। इन चुनावों में मशीनें नए मॉडल की थीं। पोलिंग अधिकारी नए थे, लिहाजा यह समस्या हुई, लेकिन पुनर्मतदान में हमारी इतनी तैयारी थी कि, कोई गड़बड़ी नहीं हुई।

Q. भंडारा-गोंदिया चुनाव में EVM मशीनें गुजरात के सूरत से क्यों मंगवाई गई (पूर्व सांसद नाना पटोले का दूसरा सवाल)
A. EVM से हो रहे चुनाव में यह बहुत जरूरी है कि EVM मशीन और वीवीपैट एक ही कंपनी और एक ही मॉडल के हो। इसलिए गोंदिया-भंडारा में गुजरात के सूरत से मशीनें मंगवाई गई।

Q. EVM मशीन पर आम मतदाताओं को संदेह है। ऐसी स्थिति में चुनाव में पारदर्शिता पर कैसे विश्वास किया जाए? (डॉ. राहुल बावगे)
A. EVM मशीनें पूरी तरह विश्वसनीय हैं। बीते दिनों बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश पर दो महीने तक EVM मशीनों की फॉरेंसिक जांच हुई। रिपोर्ट में सिद्ध हुआ कि, EVM मशीन में किसी प्रकार की छेड़खानी नहीं की जा सकती। 

Q. वर्तमान निर्वाचन आयुक्तों में पूर्व नि. आयुक्त टी.एन. शेषन जैसी निडरता क्यों नहीं दिखती ? (प्रा. नंदकिशोर भगत)
A.मौजूदा वक्त में घटना घटित होने से ज्यादा उसकी किस तरह रिपोर्टिंग हुई, यह मायने रखता है। आज भी निर्वाचन आयोग पूरी निडरता के साथ फैसले लेता है। बीते दिनों गुजरात में हुए राज्यसभा चुनाव में दो मतदाताओं ने अपना बैलेट सबको दिखा दिया था। इस पर भारी बवाल हुआ। मौजूदा और पूर्व कैबिनेट मंत्रियों के दावे-आपत्तियां आईं। अंतत: निर्वाचन आयोग ने बूथ की वीडियो फुटेज देखी और उन दो मतदाताओं का मत रद्द किया गया। समूचे देश ने इसे एक एेतिहासिक फैसला माना।

Q. देश में निरक्षरता की दर ज्यादा है, ऐसे में मतदाता सही मतदान करें, यह निर्वाचन आयोग कैसे सुनिश्चित करता है? (मानसी मिश्रा, छात्रा)
A. निर्वाचन आयोग लगातार मतदाता जागरूकता अभियान चला कर मतदाताओं को जागरूक करने का प्रयास कर रहा है। यह एक लंबे समय तक चलने वाली प्रक्रिया है। मैंने एक दूर-दराज के गांव का दौरा किया था, जहां मतदाताओं को EVM से मतदान को लेकर अधिक जागरूकता नहीं थी। ठीक से विकल्प नहीं चुनने के कारण दो मतदाताओं का मतदान अधूरा रह गया था। ऐसी जगहों पर स्थानीय पार्टियां फायदा उठा लेती हैं। इससे चुनाव प्रक्रिया की बदनामी होती है। 

Q.भारत में मतदान अनिवार्य क्यों नहीं किया जाना चाहिए?( सज्जन कुमार गोयल)
A. ऑस्ट्रेलिया में मतदान अनिवार्य होने के बाद वहां औसत 82 प्रतिशत मतदान होता है, लेकिन भारत में स्वेच्छिक मतदान होने पर भी देश में औसत 64 प्रतिशत और कुछ राज्यों में तो 90 प्रतिशत मतदान होता है। हमारा काम मतदाताओं को मतदान के लिए जागरूक और प्रेरित करना है, उन पर दबाव डालना नहीं। 
देश का आम नागरिक यह कैसे मान लें कि, देश में पारदर्शी चुनाव होते हैं ?
इमानदारी से मतदान करना देश के नागरिकों की जिम्मेदारी है। एक निर्वाचन क्षेत्र में पैसे बांटे जाने की शिकायत पर मैं वहां पहुंचा। वहां एक अनपढ़ मतदाता से पूछा कि, वे लोग वोट डालने के एवज में पैसे क्यों ले रहे हैं? उस व्यक्ति ने मुझे जवाब दिया "साहब, हम पैसे सबसे लेते हैं, मगर मतदान उसे ही करते हैं, जो वाकई में हमारे लिए काम करता है"। कहने का आशय यह है कि, लोग अगर मतदान सही तरीके से करें, तो ही चुनाव पारदर्शी होंगे। 

Q. क्या EVM में तकनीकी सुधार करके उसमें ‘आधार’ लिंक किया जाएगा ? (सरिता कौशिक)
A.‘आधार’ के मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आना बाकी है। हम उसका इंतजार कर रहे हैं। यदि हरी झंडी मिलती है, तो हम उसके बाद मतदाता सूची को ‘आधार’ से जोड़ने के कार्य को आगे बढ़ाएंगे। निर्वाचन आयोग ने पूर्व में मतदाता सूचियों को ‘आधार’ से जोड़ने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। करीब 30 करोड़ मतदाताओं ने ‘आधार’ को मतदाता सूची से लिंक भी करा लिया था, लेकिन इसके बाद एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी। तब से यह कार्य लंबित है। चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में बाकायदा अर्जी दी है कि, ‘आधार’ को मतदाता सूची से लिंक करने की अनुमति प्रदान की जाए। 
चुनाव अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए जाते हैं। आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में EVM हैक करने का डेमो दिया था। इस पर क्या कहेंगे ?
सबसे ज्यादा उन अधिकारियों पर सवाल उठते हैं जो कठोर निर्णय लेते हैं। सवाल उठाने वालों के निजी हित भी इसमें निहित होते हैं। आम आदमी पार्टी ने जिस EVM को हैक करने का दावा किया था, वह मशीन आयोग की थी ही नहीं। इसके बाद हमने सभी दलों को बुला कर हमारी EVM हैक करने की चुनौती दी, कोई हैक नहीं कर पाया। 
काटोल विधानसभा क्षेत्र के 500 मतदाताओं का नाम नागपुर में मतदाता के रूप में पंजीकृत है, इस पर कार्रवाई नहीं हुई। आप क्या कहेंगे ?

Q. यह गंभीर बात है। ऐसे मामलों में लोग हमारी वेबसाइट से हमारा संपर्क लेकर सीधे हमें शिकायत कर सकते हैं। शहरों से दूर बसे गांवों में इमानदारी से चुनाव होते हैं, यह कैसे सुनिश्चित होता है? (शिवम जोशी)
A.चुनाव में कार्य करने वाले अधिकारी-कर्मचारी पूर्ण रूप से प्रशिक्षित होते हैं। बिहार में हुए विधानसभा चुनाव में एक भी हिंसक घटना नहीं हुई थी, लेकिन चुनावी कार्य में तैनात 17 कर्मचारियों की विविध कारणों से मृत्यु हो गई थी। चुनाव का काम दबाव वाला काम है, इसे ध्यान में रखकर हमने चुनाव में कार्यरत कर्मचारियों को क्षेत्र के उत्क़ृष्ट अस्पताल में नि:शुल्क इलाज की सुविधा दी है। 

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