मिड डे मील का मेनू बदला, अब मिलेगी ज्वार, बाजरा और रागी की रोटी

मिड डे मील का मेनू बदला, अब मिलेगी ज्वार, बाजरा और रागी की रोटी

Anita Peddulwar
Update: 2019-07-08 06:51 GMT
मिड डे मील का मेनू बदला, अब मिलेगी ज्वार, बाजरा और रागी की रोटी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। स्टूडेंट्स को दिए जाने वाले मध्याह्न भोजन के आहार में बदलाव करने का सरकार ने निर्णय लिया  है। दाल, चावल, खिचड़ी के साथ अब ज्वार, बाजरा और रागी की रोटी दी जाएगी। पोषण आहार मेनू बदले जाने से स्कूलों में अब रोटी पकानी होगी। अक्टूबर माह से शालेय पोषण आहार में रोटी को शामिल किया जाएगा। नया मेनू लागू होने पर मुख्याध्यापकों का सिरदर्द बढ़ जाएगा। महाराष्ट्र राज्य प्राथमिक शिक्षक समिति ने पोषण आहार के मेनू में बदलाव पर बिना कुछ कहे इसे अमल में लाने के लिए स्वतंत्र व्यवस्था करने की मांग कर अप्रत्यक्ष विरोध किया है।

शिक्षा संचालक ने लिखा पत्र
सरकारी स्कूल तथा निजी अनुदानित स्कूलों में कक्षा पहलीं से 8वीं के स्टूडेंट्स को मध्याह्न भोजन दिया जाता है। चावल, दाल के साथ मोठ, बटाना, चने का समावेश है। चावल की आपूर्ति में 25 प्रतिशत कटौती कर इसकी जगह अक्टूबर महीने से अब ज्वार, बाजरा और रागी को शामिल किया जा रहा है। नया मेनू लागू करने के संबंध में प्राथमिक विभाग के शिक्षण संचालक ने जिला परिषद मुख्य कार्यकारी अधिकारी को पत्र भेजकर अमल करने के निर्देश दिए हैं। भारतीय खाद्य निगम से ज्वार, बाजरा और रागी की आपूर्ति की जाएगी। 

समय पर नहीं होता भुगतान
मध्याह्न भोजना आहार योजना के अनाज की आपूर्ति समय पर नहीं होती। कभी चावल नहीं मिलता, तो कभी दाल की कमी रहती है। स्टूडेंट्स को बिना दाल, सब्जी के चावल खाना पड़ता है। अनाज के अतिरिक्त भोजना समग्री और भोजन बनाने के लिए दिया जाने वाला मानधन 4-6 महीने तक भुगतान नहीं किया जाता। अल्प मानधन और वह भी समय पर नहीं मिलने से भोजन बनाने की जिम्मेदारी लेने के लिए कोई तैयार नहीं होता। अब मध्याह्न भोजन में ज्वार, बाजरा और रागी को शामिल किए जाने से मध्याह्न भोजन योजना ‘दुबले पर दो आषाढ़’ कहावत को चरितार्थ करती है।

बढ़ जाएंगी दिक्कतें
भोजन सामग्री तथा भोजन बनाने वालों का मानधन समय पर नहीं मिलने से मुख्याध्यापकों को अपनी जेब से खर्च करना पड़ता है। अब नया मेनू लागू होने से दिक्कतें और बढ़ जाएंगी। इस आशंका के चलते नया मेनू लागू होने से पहले ही मुख्याध्यापक, शिक्षक और स्कूल प्रबंधन समितियों में विरोध के स्वर उठने लगे हैं।

स्वतंत्र व्यवस्था होनी चाहिए
मध्याह्न भोजन योजना विविध कारणों के चलते पहले से ही लड़खड़ा रही है। इसे चलाने के लिए मुख्याध्यापकों पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है। नया मेनू लागू होने पर मुख्याध्यापक और शिक्षकों का सिरदर्द बढ़ेगा। हालांकि मेनू बदले जाने का विरोध नहीं है, परंतु इसे अमल में लाने के लिए स्वतंत्र व्यवस्था होनी चाहिए।  -लीलाधर ठाकरे , जिलाध्यक्ष, महाराष्ट्र राज्य प्राथमिक शिक्षक समिति

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