डिलीवरी का खर्च देकर बच्ची को अपने पास रखा, मामला कोर्ट पहुंचा अब मध्यस्थता से सुलझेगा विवाद
डिलीवरी का खर्च देकर बच्ची को अपने पास रखा, मामला कोर्ट पहुंचा अब मध्यस्थता से सुलझेगा विवाद
डिजिटल डेस्क, नागपुर। 9 माह की एक बच्ची की कस्टडी को लेकर दो परिवारों के बीच के विवाद को मध्यस्थता से हल करने के आदेश बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने जारी किए हैं। हाल ही में मामले में सुनवाई हुई, जिसमें डिलीवरी का खर्च देकर बच्ची को पास रखने का आरोपी महिला ने शपथपत्र कोर्ट में प्रस्तुत किया। उसने कोर्ट को कहा कि, दोनों परिवार मध्यस्थी से मामले को हल करना चाहते हैं। ऐसे में हाईकोर्ट ने सबकी सहमति जानने के बाद उन्हें 24 अप्रैल को मध्यस्थ को कोर्ट के सामने हाजिर होने का आदेश दिया है। कोर्ट ने मामले की सुनवाई 29 अप्रैल को रखी है।
दरअसल बच्ची को जन्म देने वाली मां ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका के अनुसार 27 जून 2018 को उसने एक बेटी को जन्म दिया। आरोप है कि, पड़ोस में रहने वाली उसकी सहेली ने बहला-फुसला कर उससे स्टैंप पेपर पर हस्ताक्षर ले लिए। बच्ची के जन्म के पांच दिन बाद ही पड़ोसी महिला उसे थोड़ी देर के लिए अपने घर ले गई, फिर बच्ची लौटाने में ना-नुकुर करने लगी। इस बात को लेकर दोनों में झगड़ा हुआ तो अक्टूबर 2018 में तीन बार नंदनवन पुलिस में शिकायत भी हुई। कोई मदद नहीं मिलने पर उसने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। मामले में याचिकाकर्ता की ओर से एड.सैयद शाहिद, आदिल मोहम्मद और सैयद मुबशिरुद्दीन ने पक्ष रखा।
ऐसे बढ़ा प्रकरण
हसनबाग निवासी शीना (परिवर्तित नाम) और उसकी पड़ोसन शबनम (परिवर्तित नाम) के परिवार कहीं बाहर से आकर नागपुर के हसनबाग में बसे हैं। शीना का पति मजदूरी करता है। शबनम ब्याज पर पैसे बांटती है और उसका पति व्यवसाय करता है। शीना और शबनम में गहरी दोस्ती थी। दोनों एक-दूसरे का सुख-दु:ख साझा करती थीं। शबनम का एक विवाह पहले ही टूट चुका था। नई शादी से उसे कोई संतान नहीं थी। इधर, शीना पहले ही तीन बेटों की मां है। वर्ष 2017 में उसने गर्भधारण किया। हाईकोर्ट में चले युक्तिवाद में दावा किया गया कि, दोनों ने मौखिक सहमति बनाई कि जन्म होने के बाद शबनम बच्चे को गोद ले लेगी। बदले में डिलीवरी का खर्च उठाएगी।