हाईकोर्ट में आरोपियों का दावा - एल्गार परिषद और भीमा कोरेगांव हिंसा का कोई संबंध नहीं

हाईकोर्ट में आरोपियों का दावा - एल्गार परिषद और भीमा कोरेगांव हिंसा का कोई संबंध नहीं

Tejinder Singh
Update: 2021-07-26 15:41 GMT
हाईकोर्ट में आरोपियों का दावा - एल्गार परिषद और भीमा कोरेगांव हिंसा का कोई संबंध नहीं

डिजिटल डेस्क, मुंबई। सामाजिक कार्यकर्ता रोना विल्सन व सोमा सेन ने अपने वकील के माध्यम से बांबे हाईकोर्ट को सूचित किया है कि एल्गार परिषद के आयोजन व भीमा कोरेंगांव हिसा की घटना का एक दूसरे से कोई संबंध नहीं है। आरोपियों की ओर से पैरवी कर रही वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जय सिंह व आनंद ग्रोवर ने कहा कि हिंसा के काफी समय बाद हमारे मुवक्किल के खिलाफ पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है। 

31 दिसंबर 2017 को एल्गार परिषद का आयोजन किया गया था। अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने कहा कि एल्गार परिषद का आयोजन भीमा-कोरेगांव हिंसा की जगह से सात किलोमीटर की दूरी पर किया गया था।  एल्गार परिषद व हिंसा मामले को लेकर दो अलग-अलग एफआईआर दर्ज की गई है। इस दौरान कोई आतंकी गतिविधि नहीं हुई। इस लिहाज से देखा जाए तो एल्गार परिषद व भीमा-कोरेगांव हिंसा दोनों अलग-अलग मामले हैं। ऐसे में मेरे मुवक्किल के खिलाफ अवैध गतिविधि प्रतिबंधक कानून के तहत आरोप लगाने का कोई वैधानिक अधिकार नहीं है।

न्यायमूर्ति एसएस शिंदे व न्यायमूर्ति एनजे जमादार की खंडपीठ के सामने विल्सन व सेन की याचिका पर सुनवाई चल रही है। याचिका में दोनों आरोपियों ने खुद पर यूएपीए कानून के तहत  लगाए गए आरोपों को चुनौती दी है और आपराधिक मामले को रद्द करने का आग्रह किया है। याचिका में दोनों दावा किया गया है कि उनके खिलाफ दर्ज किया गया मामला सुनी-सुनाई व फर्जी सबूतों के आधार पर आधारित है। यह  उनके कम्प्यूटर में कथित तौर पर डाले गए थे। 

सुनवाई के दौरान अधिवक्ता इंदिरा जय सिंह ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा उनके मुवक्किल (विल्सन) के कम्प्यूटर से जब्त किए गए इलेक्ट्रानिक सबूतों की प्रमाणिकता व वैधानिकता पर भी सवाल उठाए। उन्होंने खंडपीठ से आग्रह किया कि इस मामले में सबूतों से की गई छेड़छाड से जुड़े पहलू की जांच का निर्देश दिया जाए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि मिलिंद एकबोटे व अन्य लोग भीमा-कोरेगांव हिंसा के लिए जिम्मेदार हैं। खंडपीठ ने अब इस याचिका पर अगले माह सुनवाई रखी है। इस बीच खंडपीठ ने इसी मामले के आरोपी सुरेंद्र गड़लिंग के अंशकालिक जमानत आवेदन पर अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है। गड़लिंग ने अपने मां की पहली पुण्यतिथी के मौके पर धार्मिक संस्कार से जुड़ी क्रिया में हिस्सा लेने के लिए अंशकालिक जमानत की मांग की है। 

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