स्कूलों को डिजिटल बनाने के दावे खोखले, सिंरोंचा की 43 स्कूलों में नहीं है बिजली

स्कूलों को डिजिटल बनाने के दावे खोखले, सिंरोंचा की 43 स्कूलों में नहीं है बिजली

Anita Peddulwar
Update: 2019-10-03 06:27 GMT
स्कूलों को डिजिटल बनाने के दावे खोखले, सिंरोंचा की 43 स्कूलों में नहीं है बिजली

डिजिटल डेस्क, सिंरोंचा(गड़चिरोली)। सरकार हर बच्चे को शिक्षा से जोड़ने व डिजिटलाइजेशन पर जोर दे रही है लेकिन कई सरकारी स्कूलों में बिजली न होने से सरकार के दावे खोखले साबित हो रहे हैं।   सरकारी आंकड़ों के अनुसार अकेले सिंरोंचा तहसील की 134  स्कूलों में 94  स्कूल डिजिटल होने का दावा किया गया है, लेकिन इन स्कूलों में कुल 43  स्कूल ऐसी पायी गईं हैं, जिनमें बिजली की सुविधा ही उपलब्ध नहीं है। इस कारण संबंधित स्कूलों में उपलब्ध उपकरण भी अब शो-पीस बने हुए हैं। जानकारी के अनुसार, तहसील में कुल 9 केंद्र कार्यरत है। इनमें 134 स्कूलें चलायी जा रहीं हैं। प्रगत शैक्षणिक महाराष्ट्र कार्यक्रम के तहत प्राथमिक स्कूलों में अत्याधुनिक उपकरण लगाकर  विद्यार्थियों  को प्रभावी और उचित शिक्षा देने की मुहिम छेड़ी गयी है। इसके तहत शालाओं में कम्प्यूटर, प्रोजेक्टर और विभिन्न उपकरणों   की आपूर्ति की गयी है।

तहसील की सभी स्कूलों में शिक्षा विभाग ने ये उपकरण उपलब्ध कराए हैं। सारे उपकरण बिजली पर निर्भर है। तहसील की 10 स्कूलें ऐसी हैं, जिनके बिजली के बिल विगत अनेक महीनों से अदा नहीं किए गए हैं। इस कारण शाला की बिजली काट दी गयी। इन शालाओं में आदिमुत्तापुर, टेकडामोटला, सुंकरअली, मुमलकोंडा, सोमनुर (जुनी), सोमनुर (नया), आसरअल्ली, आसरअल्ली (नयी आबादी), कोत्तुर, मुत्तापुर माल आदि गांवों की स्कूलों का समोवश है। इन स्कूलों में सभी सामग्री उपलब्ध है, लेकिन बिजली के अभाव में यह किसी के काम नहीं आ रही। जबकि शेष 33  स्कूलों में अब तक बिजली के कनेक्शन ही नहीं है। तहसील के 51  स्कूलों में ही बिजली की व्यवस्था है, लेकिन इन स्कूलों में भी आधुनिक संसाधनों पर विद्यार्थियों को शिक्षा नहीं दी जा रही है। यहां कार्यरत शिक्षक ही कम्प्यूटर पर दिन भर गेम खेलते दिखायी पड़ रहे हैं। 

भेजा गया है प्रस्ताव
जिला परिषद की स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं समेत सुरक्षा दीवार निर्माण करने का एक प्रस्ताव सरकार की ओर पेश किया गया है। तहसील स्तर पर कार्यरत गट शिक्षाधिकारी भी निरंतर इन सब की मांग कर रहे हैं।  निधि के अभाव में कार्य नहीं किया जा रहा है। वर्तमान में विधानसभा चुनाव की   आचार संहिता लागू है, जिसके चलते और कुछ समय निधि नहीं मिल सकती। आचार संहिता के बाद ही विकास कार्य आरंभ किए जा सकेंगे।  
- राघवेंद्र मनुघाटे शिक्षाधिकारी (प्राथमिक)

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