कचरे का वर्गीकरण, सॉलिड बेस ट्रीटमेंट प्लांट में पिछड़ा नागपुर

कचरे का वर्गीकरण, सॉलिड बेस ट्रीटमेंट प्लांट में पिछड़ा नागपुर

Anita Peddulwar
Update: 2020-01-10 09:01 GMT
कचरे का वर्गीकरण, सॉलिड बेस ट्रीटमेंट प्लांट में पिछड़ा नागपुर

 डिजिटल डेस्क, नागपुर। स्वच्छता स्पर्धा में नागपुर शहर की स्थिति भले ही लगातार सुधर रही है, लेकिन नंबर-1 से अभी कोसों दूर है। कचरे का वर्गीकरण, सॉलिड बेस ट्रीटमेंट प्लांट का अभाव इसका सबसे बड़ा कारण है। शहर के जागरूक लोगों का मानना है कि इस लक्ष्य को पाने के लिए घर-घर से इसकी शुरुआत होनी अपेक्षित है। गीला, सूखा कचरा अलग-अलग संग्रहण करना जरूरी है। गीला, सूखा कचरा गाड़ियों में बने अलग-अलग बॉक्स में डालना होगा।

संकलित कचरे पर प्रक्रिया करने का मनपा का दायित्व है। मनपा काे अपना दायित्व निभाते हुए सॉलिड बेस ट्रीटमेंट प्लांट लगाने होंगे। फिलहाल प्लांट की कमी है। जब तक प्लांट नहीं लगाए जाएंगे, तब तक गीला, सूखा कचरा अलग-अलग संकलन करने पर भी हम नंबर-1 नहीं हो सकते। शहर के एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते सभी की जिम्मेदारी है। गीला, सूखा कचरा अलग-अलग संग्रहण करें। मनपा भी सॉलिड बेस ट्रीटमेंट प्लांट की पर्याप्त सुविधा करे, ताकि देश में स्वच्छ शहर के नक्शे पर हमारा शहर अव्वल स्थान पा सकें।

देश में शहरों की स्वच्छता रैंकिंग की शुरुआत वर्ष 2015 में हुई। पहले वर्ष में एक बार रैंकिंग होती थी। जनवरी महीने में स्वच्छता सर्वेक्षण किया जाता था। स्पर्धा में अपने शहर काे स्थान दिलाने के लिए सर्वेक्षण से पहले शहरों को साफ-सुथरा किया जाता था। अन्य दिनों में स्वच्छता को नजरअंदाज किया जाता था। स्पर्धा के लिए साफ-सुथरे शहर अन्य दिनों में गंदगी से पटे रहते थे। इस हालात को बदलने के लिए स्वच्छता सर्वेक्षण का पैटर्न बदल दिया गया। इसी वर्ष से नया पैटर्न लागू किया गया है।

स्वच्छता सर्वेक्षण 20-20 लीग रैंकिंग
नए पैटर्न में स्वच्छता सर्वेक्षण को 3 स्टेज में विभाजित किया गया है। इसे स्वच्छता सर्वेक्षण 20-20 लीग रैंकिंग नाम दिया गया है। पहला स्टेज अप्रैल से जून, दूसरा स्टेज जुलाई से सितंबर और तीसरा स्टेज अक्टूबर से दिसंबर है। तीनों स्टेज में सर्वेक्षण कर रैंकिंग दिया जाता है। अंतिम सर्वेक्षण जनवरी महीने में होता है। 

क्वार्टर रैंकिंग में सुधार
इस वर्ष से चालू हुई क्वार्टर रैंकिंग में शहर आगे बढ़ रहा है। अप्रैल से जून तक पहले क्वार्टर रैंकिंग में 30वां स्थान रहा। दूसरे क्वार्टर में जुलाई से सितंबर के बीच सर्वेक्षण में 15वां स्थान मिला। अंतिम सर्वेक्षण में रैंकिंग में बेहतर सुधार की उम्मीद है।
डॉ. प्रदीप दासरवार, नोडल ऑफिसर, स्वच्छता सर्वेक्षण (सभी पर प्रत्येकी 1500 अंक)

सर्विस लेवल प्रोग्रेस 
घर-घर से कचरा संकलन, गीला, सूखा अलग-अलग, कंप्यूटराइज्ड मॉनिटरिंग, कचरा प्रबंधन व्यवस्था, स्वच्छता एप, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, सीएसआर अंतर्गत किए गए कार्य, प्लास्टिक बंदी पर अमल आदि का सर्वेक्षण किया जाता है।

सर्टिफिकेशन : स्टार रेटिंग, कचरा मुक्त शहर,ओडीएफ स्टेटस का समावेश है। इसमें स्टार रेटिंग पर 1000 और ओडीएफ स्टेटस पर 500 अंक रखे गए हैं।

 डायरेक्ट ऑब्जर्वेशन : स्वच्छ भारत की टीम शहर में दाखिल होकर शहर का सर्वेक्षण करती है। इसमें सार्वजनिक और निजी शौचालयों की स्वच्छता, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, विमानतल तथा शहर के प्रमुख स्थानों का सर्वेक्षण किया जाता है।

 सिटीजन फिडबॅक : सीधे नागरिकाें से संपर्क कर शहर में स्वच्छता की स्थिति का जायजा लिया जाता है। संपर्क के लिए स्वच्छता एप का उपयोग किया जाता है। नागरिकों से मिले जवाब के आधार पर अंक दिए जाते हैं। 

 बेहतर  : सर्टिफिकेशन और सर्विस लेवल प्रोग्रेस में शहर बेहतर हैं। इस वर्ष ओडीएफ स्टेटस को प्लस-प्लस श्रेणी मिलने से अंक बढ़ने की उम्मीद है, वहीं सर्विस लेवल प्रोग्रेस में कचरा प्रबंधन, घर-घर से कचरा संकलन में कुछ हद तक सुधार हुआ है।

फिसड्डी  : कचरे का वर्गीकरण में सुधार नहीं हुआ, वहीं वर्गीकृत कचरे पर प्रक्रिया करने के लिए सॉलिड बेस ट्रीटमेंट प्लांट की सुविधा में कमजोर पड़ रहे हैं।
 

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