एंटीलिया मामले में आरोपी और किक्रेट सट्टेबाज नरेश गौर की जमानत पर रिहाई का रास्ता साफ

एनआईए कोर्ट का आदेश रद्द एंटीलिया मामले में आरोपी और किक्रेट सट्टेबाज नरेश गौर की जमानत पर रिहाई का रास्ता साफ

Tejinder Singh
Update: 2021-12-08 13:26 GMT
एंटीलिया मामले में आरोपी और किक्रेट सट्टेबाज नरेश गौर की जमानत पर रिहाई का रास्ता साफ

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के बाहर विस्फोटक लदी कार मिलने व कारोबारी मनसुख हिरेन के मामले में गिरफ्तार क्रिकेट सट्टेबाज नरेश गौर को राहत दी है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी की विशेष अदालत (एनआईए) के उस आदेश को रद्द कर दिया है जिसके तहत आरोपी गौर की रिहाई पर रोक लगाई गई थी। गौर एंटीलिया मामले में जमानत पाने वाला पहले आरोपी है। 

20 नवंबर 2021 को एनआईए कोर्ट ने गौर को जमानत प्रदान की थी लेकिन जमानत के आदेश पर 25 दिनों की रोक लगा दी थी। गौर ने  अधिवक्ता अनिकेत निकम के माध्यम से विशेष अदालत के आदेश के आदेश को याचिका दायर कर हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। विशेष अदालत ने मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद आरोपी को जमानत देते हुए आदेश में कहा था कि प्रथम दृष्टया प्रतीत होता है कि आरोपी मामले से जुड़ी साजिश से अनजान था। लेकिन अभियोजन पक्ष (एनआईए) के आग्रह पर एनआईए कोर्ट ने अपने जमानत के आदेश पर 25 दिनों के लिए रोक लगा दी थी। ताकि जमानत के आदेश को उपरी अदालत में चुनौती दी जा सके। 

वाझे ने गौर को दिए थे सिमकार्ड

याचिका में गौर ने कहा था कि वह सिर्फ सिमकार्ड लेकर आया था जिसका इस्तेमाल बर्खास्त पुलिस अधिकारी सचिन वाझे ने किया था। उसे इस मामले से जुड़े व्यापक षडयंत्र के बारे में जानकारी नहीं थी। उसने कभी वाझे से सीधा संपर्क नहीं किया था। 

बुधवार को न्यायमूर्ति एसके शिंदे के सामने गौर की याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान एनआईए की ओर से पैरवी कर रहे एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने याचिका का विरोध किया और कहा कि यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।  इस मामले की सुनवाई एकल न्यायमूर्ति के बजाय खंडपीठ के सामने होनी चाहिए। वहीं आरोपी गौर की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता शिरीष गुप्ते ने कहा कि एनआईए कोर्ट ने जमानत आदेश पर रोक लगाते समय उनके मुवक्किल की स्वतंत्रता से जुड़े अधिकार की अनदेखी की है। एनआईए कोर्ट अपने आदेश पर रोक नहीं लगा सकती है। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद आरोपी की जमानत पर रिहाई पर रोक लगाने के आदेश को रद्द कर दिया। 

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