चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश को लेकर सीएम ने मंत्रियों के साथ की बैठक

डेढ़ माह में तैयार हो जाएगा इम्पिरिकल डाटा चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश को लेकर सीएम ने मंत्रियों के साथ की बैठक

Tejinder Singh
Update: 2022-05-05 14:19 GMT
चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश को लेकर सीएम ने मंत्रियों के साथ की बैठक

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य के खाद्य व आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल ने कहा है कि ओबीसी समाज का इम्पिरिकल डाटा (अनुभवजन्य डाटा) डेढ़ माह के भीतर तैयार हो जाएगा। स्थानीय निकाय चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर गुरुवार को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ हुई बैठक के बाद भुजबल ने पत्रकारों से कहा कि चुनाव की बाबत राज्य चुनाव आयोग फैसला लेगा। बगैर ओबीसी आरक्षण के लिए स्थानीय निकाय चुनाव कराने के सुप्रीम कोर्ट के निर्देश को लेकर राज्य सरकार जल्द ही वरिष्ठ अधिकारियों से चर्चा कर अगला कदम उठाएगी। इसको लेकर गुरुवार को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने वरिष्ठ मंत्रियों के साथ चर्चा की। उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्य सचिव जयंत कुमार बंठिया की अध्यक्षता वाला राज्य ओबीसी आयोग इम्पिरिकल डाटा संग्रह का काम समय पर पूरा कर लेगा। सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण समाप्त किए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर आयोग यह डाटा जुटा रहा है। राज्य सरकार चाहती है कि ओबीसी कोटा बहाल होने तक स्थानीय निकाय चुनावों को लंबित रखा जाए। इसके लिए विधानमंडल के बजट सत्र में सरकार ने एक कानून बनाया था, जिसके अनुसार स्थानीय निकायों के लिए चुनाव कार्यक्रम सरकार के परामर्श से राज्य चुनाव आयोग द्वारा तय किया जाएगा। भुजबल ने कहा कि मध्य प्रदेश की तर्ज पर हमारी सरकार ने यह कानून बनाया था जिसे एक भाजपा समर्थक ने अदालत में चुनौती दी है। उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा विधानमंडल में ओबीसी आरक्षण का समर्थन करती है पर बाहर उसके लोग ओबीसी आरक्षण में बाधा उत्पन्न कर रहे हैं। भुजबल ने कहा कि ओबीसी आरक्षण के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर करने वाले विकास गवली और राहुल वाघ जैसे लोग भाजपा के पदाधिकारी हैं।  

मुख्य सचिव की राय से फैसला लेगी सरकार 

मुख्यमंत्री के साथ बैठक के बाद राज्य के मदद व पुनर्वसन मंत्री विजय वडेट्टीवार ने कहा कि बारिश का मौसम समीप है। ऐसे में चुनाव कराना संभव होगा क्या। इस पर बैठक में चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि चुनाव तैयारियों के लिए डेढ़ से दो महिने का समय लगेगा। मंत्री ने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार ने भी ऐसा कानून बनाया है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। मुख्यमंत्री राज्य के मुख्य सचिव सहित अन्य जानकारों की राय लेकर फैसला लेंगे।

सितंबर के अंत तक चुनाव संभव नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में दो सप्ताह के भीतर लंबित स्थानीय निकाय चुनाव का कार्यक्रम घोषित करने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि महानगरपालिका, नगरपालिका, जिला परिषदों और पंचायत समिति के चुनाव कब होंगे। पर राज्य चुनाव आयोग का कहना है कि इस साल सितंबर के अंत तक चुनाव कराना संभव नहीं होगा। राज्य चुनाव आयोग के सचिव किरण कुरुंदकर का कहना है कि महाराष्ट्र ग्राम पंचायत जिला परिषद और पंचायत समिति व मुंबई मनपा महाराष्ट्र मनपा, नगर पंचायत विधेयक 11 मार्च को अधिसूचित किया गया था। इससे वार्ड रचना का अधिकार राज्य सरकार के पास चला गया। तब तक मनपा के वार्डों के गठन का कार्य अंतिम चरण में था। पर सुनवाई आदि का काम बाकी था। नगर पालिका, नगर पंचायत, जिला परिषद व पंचायत समिति के वार्ड रचना का कार्य और पीछे है। जबकि ग्राम पंचायत का कार्य जिला प्रशासन द्वारा किया जाता है।

राज्य में बारिश के मौसम में चुनाव संभव नहीं हैं। क्योंकि पहले तीन चरणों के चुनाव का काम छाते के नीचे हो सकता है लेकिन बरसात के मौसम में मतदान संभव नहीं है। कुरंदकर ने कहा कि जुलाई-अगस्त के दौरान मुंबई कोंकण में बहुत बारिश होती है इसलिए बारिश के मौसम में चुनाव संभव नहीं हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव के चार चरण होते हैं। पहला वार्ड रचना, दूसरा आरक्षण लॉटरी, तीसरा मतदाता सूची और चौथा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा। इन सब में कम से कम तीन से चार महीने लगेंगे। चुनाव कार्यक्रम घोषित होने के बाद  30 से 40 दिन लगते हैं। 

 

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