तीन महीने में डिजिटलाईज करें जमीनों के रिकॉर्ड- कलेक्टर छवि भारद्वाज

तीन महीने में डिजिटलाईज करें जमीनों के रिकॉर्ड- कलेक्टर छवि भारद्वाज

Bhaskar Hindi
Update: 2018-06-16 07:24 GMT
तीन महीने में डिजिटलाईज करें जमीनों के रिकॉर्ड- कलेक्टर छवि भारद्वाज

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। लोक सेवा गारंटी के तहत नागरिकों को भू-अभिलेखों (जमीनों के रिकाॅर्ड) के बारे में जानकारी व इससे संबंधित दस्तावेजों की प्रतिलिपि प्रदान करने का प्रावधान है। इसे लागू हुए कई वर्ष बीत चुके हैं, लेकिन ताज्जुब की बात यह है कि पिछले कई महीनों से जिले के नागरिकों को रिकाॅर्ड रूम और संबंधित विभागों के चक्कर काटने को मजबूर होना पड़ रहा है। क्योंकि, इन विभागों द्वारा भू-अभिलेखों से संबंधित जानकारी व प्रतिलिपि लोक सेवा के तहत उपलब्ध नहीं करवाई जा रहीं हैं, बल्कि आवेदक को रिकाॅर्ड रूम या प्रतिलिपि शाखा जाकर वहां से संबंधित दस्तावेज मांगने पड़ रहें हैं।

इस बात की शिकायत जब कलेक्टर छवि भारद्वाज को मिली, तो गत दिवस उन्होंने कलेक्ट्रेट स्थित रिकॉर्ड रूम और प्रतिलिपि शाखा का निरीक्षण कर वहां की व्यवस्थाओं का जायजा लिया। कलेक्टर ने इस दौरान इस बात की तफ्तीश की, कि आखिर किस कारण लोक सेवा केन्द्र के माध्यम से आवेदन न लिए जाकर, सीधे संबंधित विभाग आवेदन ले रहे हैं। इसके साथ ही यह बात भी सामने आई कि जिले के समस्त भू-अभिलेखों का डिजिटलाइजेशन नहीं हो सका है। जिसके बाद कलेक्टर ने जिले भर के रिकॉर्ड को डिजिटलाईज करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि जब मॉर्ड्न रिकॉर्ड रूम की व्यवस्था की गई है, तो समस्त भू-अभिलेखों को डिजिटलाइज किया जाना चाहिए। उन्होंने निर्देश दिए कि आगामी तीन माहों के अंदर डिजिटलाइजेशन का कार्य शत-प्रतिशत कर लिया जाए। इस संबंध में समस्त अधिकारियों को आदेश भी जारी कर दिए गए हैं।

लोक सेवा केन्द्र से ही होगा आवेदन
कलेक्टर ने कहा कि रिकॉर्ड रूम अथवा प्रतिलिपि शाखा से किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए किया जाने वाला आवेदन सिर्फ लोक सेवा केन्द्र के माध्यम से ही किया जाएगा। उन्होंने कहा कि विभागों को आवेदन होने के पश्चात दस दिनों के भीतर उसका निराकरण सुनिश्चित करना होगा, ताकि आवेदक को कोई परेशानी न हो। उन्होंने यह भी कहा कि इससे विभाग की कार्यप्रणाली पारदर्शी हो सकेगी।

समय पर नहीं हो रहा था निराकरण
पता चला है कि नागरिकों द्वारा काफी लंबे समय से शिकायतें की जा रहीं थीं कि उनके आवेदनों का समय पर निराकरण नहीं हो पा रहा है। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह लोक सेवा गारण्टी के तहत आवेदन न होकर सीधे संबंधित विभाग द्वारा आवेदन लिए जाना बताई जा रही है। सूत्रों का कहना है कि डिजिटलाइजेशन नहीं होने के कारण कर्मियों को रिकॉर्ड ढूंढ़ना पड़ता है। इसके चलते लोक सेवा गारण्टी के तहत तय समय सीमा में कई बार आवेदन का निराकरण नहीं हो पाता।

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