सीसीटीवी लगाने वाली कंपनी को कोर्ट में लगानी पड़ी गुहार, लोकसभा चुनाव का नहीं किया भुगतान

सीसीटीवी लगाने वाली कंपनी को कोर्ट में लगानी पड़ी गुहार, लोकसभा चुनाव का नहीं किया भुगतान

Anita Peddulwar
Update: 2019-09-16 11:21 GMT
सीसीटीवी लगाने वाली कंपनी को कोर्ट में लगानी पड़ी गुहार, लोकसभा चुनाव का नहीं किया भुगतान

डिजिटल डेस्क,नागपुर। लोकसभा चुनाव में नागपुर और रामटेक लोकसभा क्षेत्र में सीसीटीवी और अन्य उपकरण लगाने वाली मेसर्स चाकोटे फोटो स्टूडियो ने जिलाधिकारी (निर्वाचन अधिकारी) के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ की शरण ली है। याचिकाकर्ता का आरोप है कि जिलाधिकारी ने कंपनी की सेवाओं के बदले उनका पूरा भुगतान नहीं किया है। यहां तक कि विधानसभा चुनावों के कामकाज के लिए नए सिरे से ई-टेंडर जारी किया, जबकि पुराने वर्क ऑर्डर के हिसाब से यह काम भी उन्हें ही दिया जाना था। बगैर कोई कारण या सूचना दिए उनकी सेवाएं समाप्त की जा रही है। याचिकाकर्ता का पक्ष सुनकर हाईकोर्ट ने प्रतिवादी जिलाधिकारी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता की ओर से एड.राहिल मिर्जा ने पक्ष रखा। 

18 फरवरी 2019 को जिलाधिकारी ने नागपुर रामटेक लोकसभा क्षेत्रों में किराए पर  सीसीटीवी लगवाने के लिए जिलाधिकारी ने ई-टेंडर जारी किया था। याचिकाकर्ता ने भी इसमें हिस्सा लिया और अंतत: उनकी बोली स्वीकार की गई। 5 अप्रैल को वर्क ऑर्डर जारी हुआ। याचिकाकर्ता ने बैंक गारंटी जमा करने से लेकर अन्य औपचारिकताएं पूरी की। कंपनी ने चुनाव कार्य में अपने सीसीटीवी कैमरे भी लगाए। सेवा पूरी होने पर उन्हें संतुष्टि प्रमाण-पत्र भी दिया गया, लेकिन अब चुनावी नतीजे जारी होने के लंबे समय बात कुछ उम्मीदवारों ने चुनाव कोर्ट में आपत्ति ली है। ऐसे में जिलाधिकारी ने हाईकोर्ट से याचिका पर फैसला होने तक कंपनी को ईवीएम मशीनों की निगरानी के लिए सीसीटीवी और अन्य उपकरण लगाए रखने को कहा है।

अपने काम के बदले में  16 जुलाई को कंपनी ने जिलाधिकारी को 2 करोड़ 48 लाख 77 हजार 16 रुपए का बिल भेजा, जिसमंे से जिलाधिकारी ने 95 लाख 55 हजार 722 रुपए का ही भुगतान किया। शेष पेमेंट नहीं दिया गया। इसका कोई कारण भी नहीं बताया गया। याचिकाकर्ता कंपनी ने बार बार जिलाधिकारी को निवेदन दिया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। इधर, विधानसभा चुनाव के कामकाज के लिए नए सिरे से ई-टेंडरिंग शुरू की गई। इस सबसे नाराज कंपनी ने हाईकोर्ट की शरण ली है। 

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