दाम घटने से बोरवेल खुदाई करने से ठेकेदारों ने खींचे हाथ, जलसंकट के गंभीर हो सकते हैं हालात

दाम घटने से बोरवेल खुदाई करने से ठेकेदारों ने खींचे हाथ, जलसंकट के गंभीर हो सकते हैं हालात

Anita Peddulwar
Update: 2019-02-20 10:45 GMT
दाम घटने से बोरवेल खुदाई करने से ठेकेदारों ने खींचे हाथ, जलसंकट के गंभीर हो सकते हैं हालात

डिजिटल डेस्क, नागपुर। ऐन गर्मी के मुहाने बोरवेल खुदाई के दाम घटाए जाने से ठेकेदारों ने हाथ खड़े कर दिए हैं जिससे आगामी दिनों में जलसंकट की स्थिति से और अधिक जूझने की नौबत आ सकती है। गर्मी के मौसम में संभावित जलसंकट से निपटने के लिए बोरवेल, कुओं का अधिग्रहण, खराब नल योजनाओं की मरम्मत, बंद बोरवेल का फ्लशिंग आदि उपाययोजनाएं अपेक्षित हैं। जलसंकट निवारण उपाययोजना अंतर्गत जिलाधिकारी कार्यालय से इसे मंजूरी दी गई है, परंतु उपाययोजना अधर में लटकी हुई है। जिला परिषद प्रशासन की लेट-लतीफी और सरकारी स्तर पर बोरवेल खुदाई के दाम घटाने के कारण ठेकेदारों ने हाथ खड़े कर दिए हैं।

जलसंकट निवारणार्थ भाग-1 में मंजूर बोरवेल को जिलाधिकारी से प्रशासकीय मंजूरी नहीं मिली है। जिला परिषद के ग्रामीण जलापूर्ति विभाग में फाइल पड़ी है। टेंडर जारी किए गए, लेकिन कोई भी ठेकेदार काम करने के लिए सामने नहीं आया है। पाइप खरीदी के टेंडर जारी नहीं हुए हैं। जिला परिषद प्रशासन की लापरवाही के चलते ग्रामीण क्षेत्र में भीषण जलसंकट उपाययोजना के अमल पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं।

मौजूदा जलस्रोत सूखे
कलमेश्वर, काटोल, नरखेड़ तहसील में अनेक जलापूर्ति योजनाओं के जलस्रोत सूख गए हैं। कलमेश्वर तहसील के म्हसेपठार-शंकरपट में नल योजना बंद होने से लोगों को खेत के कुओं के पानी से प्यास बुझानी पड़ रही है। और भी कई गांव हैं, जहां लोग पानी के लिए दर-दर भटकने के लिए मजबूर हैं। 

ठेकेदारों ने नहीं भरा टेंडर
जलसंकट निवारण उपायोजना अंतर्गत 72 बोरवेल मंजूर किए गए हैं। टेंडर निकाले गए, परंतु किसी भी ठेकेदार ने टेंडर नहीं भरा है। सरकारी स्तर पर बोरवेल खुदाई के दाम घटाने से ठेकेदार काम करने के लिए तैयार नहीं हैं। उन्होंने दाम बढ़ाकर देने की मांग की है। भाग-2 अंतर्गत 250 बोरवेल का प्रारूप तैयार किया गया है। वहीं भाग-3 का प्रारूप अभी बनाया ही नहीं गया है।

प्रशासन की लापरवाही
केसिंग पाइप खरीदी में लेट-लतीफी : केसिंग पाइप खरीदी में जिला परिषद प्रशासन ने विलंब किया है। स्थानीय स्तर पर खरीदी का जोखिम नहीं लेकर सचिवालय स्तर से मार्गदर्शन मंगवाया गया। सचिवालय से स्थानीय स्तर पर खरीदी करने की हरी झंडी मिलने पर टेंडर जारी करने की प्रक्रिया शुरू की गई है।
833 बोरवेल की फ्लशिंग कागजों पर : जिले में अनेक बोरवेल बंद पड़े हैं। इसमें से 833 बोरवेल का फ्लशिंग करने का निर्णय लिया गया है। इस दिशा में कोई भी ठाेस कदम आगे नहीं बढ़ाए जाने से कागजों तक सीमित है।

जलसंकट दूर करने पानी की बचत करें
इस वर्ष भीषण जलसंकट के संकेत मिले हैं। जलसंकट निवारण उपाययोजना अंतर्गत बोरवेल के काम शुरू करने की प्रक्रिया जारी है। रेट कम किए जाने से बोरवेल के काम को ठेकेदारों का प्रतिसाद नहीं मिला है। ग्राम पंचायत के माध्यम से बोरवेल के काम करने का निर्णय लिया गया है। जलस्रोत सूख जाने से भीषण जलसंकट को दूर करने पानी की बचत सर्वोत्तम उपाय है। नागरिकों को पानी का संभलकर उपयोग करना चाहिए।
- निशा सावरकर, अध्यक्ष जिला परिषद

टैंकर लॉबी को लाभ पहुंचाने का षड़यंत्र

जलसंकट क्षेत्र में टैंकर से जलापूर्ति की जाती है। इसमें बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार होता है। टैंकर लॉबी को लाभ पहुंचाने के लिए ग्रामीण जलापूर्ति विभाग जानबूझकर जलसंकट निवारण उपाययोजना के अमल में टालमटोल कर रहा है। 
- ज्ञानेश्वर कंभाले, जिप सदस्य

जलापूर्ति उपाय की योजना में खानापूर्ति

जिला परिषद प्रशासन ग्रामीणों की प्यास बुझाना नहीं चाहता है। जलसंकट निवारण उपाययोजना के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च कर केवल खानापूर्ति की जा रही है।
- शिवकुमार यादव, जिप सदस्य
 

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