विदर्भ के अधूरे सिंचाई प्रकल्पों को लेकर कोर्ट ने मांगा जवाब

विदर्भ के अधूरे सिंचाई प्रकल्पों को लेकर कोर्ट ने मांगा जवाब

Anita Peddulwar
Update: 2020-03-12 09:39 GMT
विदर्भ के अधूरे सिंचाई प्रकल्पों को लेकर कोर्ट ने मांगा जवाब

डिजिटल डेस्क, नागपुर। अब तक विदर्भ के कितने सिंचाई प्रकल्प पूरे हुए, कितने सिंचाई प्रकल्पों का काम शुरू है और कितने सिंचाई प्रकल्पों का काम रूका है, इसकी जानकारी नमूना स्वरूप में पेश करने के आदेश मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने लोकनायक बापूजी अणे स्मारक समिति को दिया। इसके लिए समिति को तीन सप्ताह का समय दिया गया है। न्यायालय ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि उक्त जानकारी पेश होने के बाद राज्य सरकार को आवश्यक निर्देश दिए जाएंगे। 

प्रकरण यह है
लोकनायक बापूजी अणे स्मारक समिति ने इस बाबत जनहित याचिका दाखिल की है। इस पर न्यायमूर्ति सुनील शुक्रे व अविनाश घरोटे की खंडपीठ के सामने सुनवाई हुई। चार साल पहले राज्य सरकार ने समिति की याचिका पर ही विदर्भ के सिंचाई प्रकल्प निर्धारित समय में पूरे करने का आश्वासन न्यायालय को दिया था। इस दौरान जनमंच सामाजिक संस्था के कार्यकर्ताओं ने रुके हुए सिंचाई प्रकल्पों को भेंट दी। 
इसमें से सिंचाई प्रकल्प की परिस्थिति में संतोषजनक परिवर्तन नहीं हुआ, यह सामने आया। 1953 में हुए नागपुर करार में विदर्भ के विकास का आश्वासन दिया गया था, लेकिन विदर्भ को महत्वपूर्ण हिस्सा कभी मिला नहीं। 1960 में महाराष्ट्र राज्य की स्थापना के बाद प्रादेशिक असंतुलन का मुद्दा सामने आया था। 

सिंचाई, तंत्र शिक्षण, स्वास्थ्य, सड़क आदि का अध्ययन कर उपाय योजना सूचित करने के लिए डॉ. वी.एम. दांडेकर की अध्यक्षता में समिति गठित की गई थी। समिति ने विदर्भ के 38 प्रतिशत सिंचाई अनुशेष होने की रिपोर्ट दी थी। सरकार ने वह रिपोर्ट स्वीकार नहीं की थी। इसके बाद 1995 में पाटबंधारे िवकास महामंडल ने समान निधि वितरण पर सूचना करने के लिए समिति गठित की थी। इस समिति ने विदर्भ में 55 प्रतिशत सिंचाई अनुशेष होने की रिपोर्ट दी थी। समिति का कहना था कि विदर्भ के सिंचाई प्रकल्पों को जान-बूझकर नजरअंदाज किया गया है। समिति की ओर से एड. अविनाश काले व एड. भारती दाभालकर ने पैरवी की। 

 

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