डॉक्टरों और अस्पतालों को हिंसा से बचाने का मुद्दा, जवाब न आने पर कोर्ट ने जताई नाराजगी

डॉक्टरों और अस्पतालों को हिंसा से बचाने का मुद्दा, जवाब न आने पर कोर्ट ने जताई नाराजगी

Tejinder Singh
Update: 2021-02-28 11:59 GMT
डॉक्टरों और अस्पतालों को हिंसा से बचाने का मुद्दा, जवाब न आने पर कोर्ट ने जताई नाराजगी

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने डॉक्टरों को हमले से बचाने व अस्पतालों में हिंसा रोकने को लेकर प्रभावी दिशा-निर्देश बनाने की मांग को लेकर दायर याचिका पर राज्य सरकार की ओर से जवाब न आने पर कड़ी नाराजगी जाहिर की है। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा है कि ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे राज्य सरकार गहरी नीद में है। हाईकोर्ट ने कहा कि यदि अगली सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से जवाब नहीं आया तो हम  भविष्य में राज्य के गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को अदालत में बुलाने पर विचार करेंगे। 

इस विषय पर डॉक्टर राजीव जोशी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। याचिका में दावा किया गया है कि डॉक्टरों पर हमले लगातार बढ़ रहे है। मौजूदा कानून इतने पर्याप्त नहीं है। जो डॉक्टरों व अस्पतालों के हितों का व्यापक रुप से सरंक्षण कर सके। इसलिए सरकार को डॉक्टरों पर हमलो व अस्पतालों में की जानेवाली हिंसा को रोकने के लिए सरकार को प्रभावी दिशा निर्देश बनाने व महाराष्ट्र मेडिकेयर सर्विस पर्सन एंड मेडिकेयर सर्विस इंस्टिट्यूसन अधिनियम 2010 तथा माहमारी संसोधित अधिनियम को प्रभावी ढंग से लागू करने का निर्देश दिया जाए। याचिका में कहा गया है ऐसा बिरला ही कोई मामला होगा जिससे डॉक्टर पर हमला करनेवाले झुंड को दोषी पाया गया हो। 
  
हाईकोर्ट ने 13 अक्टूबर 2020 को इस मामले में सरकार को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था, लेकिन मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति गिरीष कुलकर्णी की खंडपीठ के सामने सुनवाई के लिए आया तो सरकारी वकील दीपक ठाकरे ने जवाब देने के लिए समय की मांग की। इससे नाराज खंडपीठ ने कहा कि ऐसा लग रहा है जैसे सरकार गहरी नीद में है। सरकार का रुख याचिका को लेकर सराहनीय नहीं है। वह भी ऐसे समय में जब कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे है।

खंडपीठ ने मामले में जवाब देने के लिए सरकार को आखिरी मौका देते हुए कहा कि यदि अगली सुनवाई के दौरान सरकार का जवाब नहीं आया तो भविष्य में हमे राज्य की गृह विभाग के अतिरिक्त सचिव को अदालत में बुलाने पर विचार करना पड़ेगा। खंडपीठ ने अब याचिका पर सुनवाई 10 मार्च 2021 को रखी है। 

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