बिजली चोरी रोकने मदद करेगा डेटा कॉन्सेंट्रेटर

बिजली चोरी रोकने मदद करेगा डेटा कॉन्सेंट्रेटर

Anita Peddulwar
Update: 2019-06-19 08:18 GMT
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डिजिटल डेस्क, नागपुर।  बिजली चोरी से त्रस्त महावितरण नई-नई तकनीकों का प्रयोग कर रहा है। सूचना प्रौद्योगिकी के युग में महावितरण इसका भरपूर प्रयोग कर रही है। अब तक ट्रांसफर्मर में लगे मीटर में आ रही बिजली और उस क्षेत्र में प्रयोग हो रही बिजली के आंकड़ों का मिलान कर बिजली चोरी पकड़ने की कोशिशें की जाती थीं। अब इसमें भी नई तकनीक का प्रयोग शुरू हो गया है। इससे बिजली चोरी कर रहे उपभोक्ता की गतिविधि समय और दिनांक के साथ सीधे केंद्रीय सर्वर में रिकॉर्ड हो जाएगी। इससे सीधे बिजली चोरी करने वाले उपभोक्ता के यहां छापा मारना संभव होगा। 

नए रेडियो फ्रिक्वेंसी व इन्फ्रारेड मीटर लगेंगे
बिजली चोरी को रोकने के लिए महावितरण प्रदेश के उपभोक्ताओं के यहां रेडियो फ्रिक्वेंसी व इन्फारेड मेकनिज्म से लेस मीटर लगा रही है। इन मीटरों की खासियत यह है कि इनकी रीडिंग लेने के लिए  मानवबल की आवश्यकता नहीं होती। इनमें लगे खास सेंसर सीधे केंद्रीय सर्वर को मीटर की रीडिंग भेज देंगे। इससे रीडिंग में होने वाली भूल की गुंजाइश ही खत्म हो जाएगी। साथ ही डेटा कंसंट्रेटर द्वारा रीडिंग को केंद्रीय बिलिंग प्रणाली के सर्वर पर लाकर सीधे बिल तैयार किए जा सकेंगे। इससे बिल संबंधी शिकायतों में भी कमी आएगी। इसी पद्धति से बिजली चोरी पकड़ने में भी सहायता मिलेगी।

पता चलेगा कहां हो  रही बिजली चोरी
रेडियो फ्रिक्वेंसी व इन्फ्रारेड मीटर से डेटा कॉन्सेंट्रेटर प्रणाली से हर 15 मिनट में उपभोक्ता द्वारा प्रयोग की गई बिजली की जानकारी केंद्रीय सर्वर को मिलेगी। साथ ही उस क्षेत्र में लगे ट्रांसफार्मर पर कितना भार है, इसकी भी जानकारी केंद्रीय सर्वर में आएगी। इससे कहां बिजली चोरी हो रही है इसकी गणना करना सरल व तुरंत होगा। अभी तक इसे करने में मानवी बल को समय लगता था। इसके अलावा डेटा कंसेंट्रेटर किसी भी मीटर में की गई छेड़छाड़ को भी केंद्रीय सर्वर तक समय व तारीख के साथ भेजने में सक्षम होगा। इससे बिजली चोरी करने वाले उपभोक्ता पर सीधा निशाना साधा जा सकेगा। 

सबसे पहले यहां प्रयोग
महावितरण इन मीटरों को पहले सबसे अधिक विद्युत ह्रास वाले परिमंडलों में लगा रही है। इसके बाद पूरे राज्य में इन्हीं मीटरों को लगाया जाएगा। ताकि बिजली चोरी पर नकेल कसी जा सके। इसके लिए नांदेड, लातूर व जलगांव परिमंडलों को चुना गया है। यहां 8 लाख 50 हजार मीटर लगाए जाने हैं। लातूर शहर में 62 हजार 265 मीटर अब तक बदले जा चुके हैं। मीटर बदलते ही इस पद्धति से मिली सूचना के आधार पर 33 उपभोक्ताओं के यहां बिजली चोरी पकड़ने में भी सफलता मिल गई।

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