रिवाइज एस्टीमेट के पेंच में घिरा डोलनाला जलाशय, भू-अर्जन का मुआवजा बांटने 6.55 करोड़ की जरूरत

रिवाइज एस्टीमेट के पेंच में घिरा डोलनाला जलाशय, भू-अर्जन का मुआवजा बांटने 6.55 करोड़ की जरूरत

Bhaskar Hindi
Update: 2020-10-28 17:41 GMT
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डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा। पांढुर्ना का डोलनाला जलाशय अब रिवाइज एस्टीमेट के पेंच में घिर गया है। दरअसल डोलनाला प्रोजेक्ट में भू-अर्जन का मुआवजा बांटने के लिए जरूरत 6.55 करोड़ रुपए की है। जबकि अब तक 2.45 करोड़ ही शासन से आवंटित हो पाए हैं। शेष राशि की विभाग मांग तो कर रहा है लेकिन जानकारों का कहना है कि एस्टीमेट रिवाइज होने के बाद ही प्रोजेक्ट में आगे बजट मिल पाएगा। रिवाइज एस्टीमेट का प्रस्ताव विभाग से वित्त विभाग और शासन स्तर तक मंजूरी के लिए भेजना होगा। प्रक्रिया में लंबा समय भी लग सकता है। एस्टीमेट रिवाइज होने की स्थिति में ही भू-अर्जन का मुआवजा प्रभावितों को मिल सकता है।
क्यों बढ़ी मुआवजे की राशि:
डोलनाला जलाशय के लिए दो साल पहले करीब 30 हेक्टेयर निजी भूमि का अधिग्रहण की प्रक्रिया की गई। असिंचित और सिंचित के फेर, गाइड लाइन में रेट बढऩे और अवार्ड के बाद ब्याज की वजह से मुआवजे की राशि दो गुनी तक हो गई है। पहले 2.90 करोड़ भू-अर्जन पर खर्च होना था जो बाद में बढ़कर 6.55 करोड़ रुपए हो गया है।
जल संसाधन और राजस्व विभाग की लापरवाही:
पूरे मामले में जल संसाधन विभाग और राजस्व विभाग की लापरवाही मानी जा रही है। जल संसाधन विभाग ने भू-अर्जन प्रक्रिया को प्राथमिकता देने के बजाए निर्माण में ज्यादा रूचि दिखाई। 75 फीसदी काम और उसका भुगतान भी कर दिया। वहीं मुआवजा वितरण की ओर ध्यान नहीं दिया। अब डेम के साथ ही प्रभावित किसानों के उलझने की स्थिति बन गई है।
काम बंद कर बैठ गया विभाग:
जलाशय निर्माण के नाम पर विभाग ने नाले के दोनों छोर पर मिट्टी के बंड बना दिए हैं। बताया जा रहा है कि लगभग 1.80 करोड़ रुपए खर्च कर दिए गए हैं। किसानों ने मुआवजा के लिए जोर लगाया तो अब काम बंद कर बैठ गए हैं। किसानों को पूरा मुआवजा एस्टीमेट रिवाइज होने के बाद ही मिल पाएगा। ऐसे में जलाशय का काम अधर में लटक गया है।
टालते रहे और अपना काम कर लिया:
प्रभावित किसानों के लिए संघर्ष कर रहे समाजसेवी दुर्गेश उइके का कहना है कि पहले मुआवजा दिया जाना था, इसके बाद निर्माण कार्य शुरू होना था, ऐसा नहीं हुआ। जबकि प्रभावित किसान लगातार मांग करते आ रहे हैं। उन्हें आश्वासन देकर टालते रहे और निर्माण काम करते रहे। किसानों को जमीन देकर भी कुछ नहीं मिला।
इनका कहना है...
मुआवजे के लिए राशि की डिमांड लगातार की जा रही है। रिवाइज एस्टीमेट भी भेजा जा रहा है। तब तक काम बंद कर दिया गया है।
- अरूणेंद्रनाथ शर्मा, ईई, जल संसाधन विभाग

 

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