शरद पूर्णिमा के चांद से बरसेंगी अमृत की बूंदें, जानिए कैसे होगा लाभ

शरद पूर्णिमा के चांद से बरसेंगी अमृत की बूंदें, जानिए कैसे होगा लाभ

Tejinder Singh
Update: 2019-10-13 11:03 GMT
शरद पूर्णिमा के चांद से बरसेंगी अमृत की बूंदें, जानिए कैसे होगा लाभ

डिजिटल डेस्क, नागपुर। रविवार को अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा है जिसे शरद पूर्णिमा और कोजागिरी पूर्णिमा भी कहा जाता है। शरद पूर्णिमा पर चांद की किरणों के माध्यम से अमृत की बूंदें बरसेंगी। शहर के विभिन्न मंदिरों में जहां विशेष खीर से बनी दमा (अस्थमा) की दवा का वितरण किया जाएगा, वहीं कोजागिरी की धूम रहेगी। पं. गिरधारीलाल पालीवाल के अनुसार माना जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात में चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब होता है और वह अपनी 16 कलाओं में परिपूर्ण होता है। चंद्रमा का प्रकाश तेजवान और ऊर्जावान होता है। इस रात से शीत ऋतु का आरंभ भी होता है। ऐसा माना जाता है कि शरद पूर्णिमा के दौरान चंद्रमा अपनी किरणों के माध्यम से अमृत टपकाता है। रावण शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा से निकलने वाली किरणों को दर्पण के माध्यम से अपनी नाभि में ग्रहण कर पुनर्यौवन शक्ति प्राप्त करता था।

शरीर होगा निरोगी

शास्त्रों में ऐसी मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा से निकलने वाले अमृत को कोई भी साधारण व्यक्ति ग्रहण कर सकता है। चंद्रमा से बरसने वाले अमृत को खीर के माध्यम से कोई भी व्यक्ति अपने शरीर में ग्रहण कर सकता है। इस दिन चांद की रोशनी में बैठने से, चांद की रोशनी में 4 घंटे रखा भोजन खाने से और चंद्रमा के दर्शन करने से व्यक्ति निरोगी रहता है।

क्या बरतें सावधानी

दवा लेने के इच्छुक रोगियों को उस दिन और रात को भोजन नहीं करना चाहिए। दवा मिलने के बाद उसे चंद्रमा की रोशनी में रात भर रखें तथा रात्रि जागरण करें। सुबह 4 बजे दवा के सेवन कर घूमने जाएं। दवा का पूर्ण लाभ प्राप्त करने के लिए दवा के सेवन के बाद 2 माह तक चावल, तेल, खटाई, धूम्रपान, मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए।

श्री पोद्दारेश्वर राम मंदिर

शनिचरा स्थित श्री पोद्दारेश्वर राम मंदिर में दमा (अस्थमा) के रोगियों को दवा का वितरण रविवार, 13 अक्टूबर को रात 8.30 बजे से किया जाएगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता टेकड़ी गणेश मंदिर एडवायजरी सोसायटी के अध्यक्ष के.डी. पडोले करेंगे। श्री शिव हनुमान मंदिर चैरिटेबल ट्रस्ट, गांधीबाग बगीचा के सचिव शांतिलाल पुनयानी प्रमुखता से उपस्थित रहेंगे। मंदिर द्वारा पिछले 92 वर्षों से यह सेवा-प्रकल्प जारी है। प्रतिवर्ष हजारों रोगी इसे लेने मंदिर आते हैं। विशेष विधि से तैयार खीर के अनुपान सहित इस दवा का सेवन वर्ष में केवल एक बार शरद पूर्णिमा के दिन ही रात्रि जागरण के बाद सुबह ४ बजे किया जाता है।बाहर से आने वाले रोगियों के लिए मंदिर परिसर एवं संलग्न गोस्तुवामी तुलसीदास सत्संग स्थल के खुले प्रांगण में व्यवस्था रहेगी। स्थानीय रोगियों को एक अलग कतार में वितरण किया जाएगा ताकि वे घर ले जाकर सेवन कर सके। वे दवामिश्रित खीर घर ले जाने के लिए कोई छोटा पात्र (बर्तन) साथ में लाए। इस अवसर पर रात 9 से 11 बजे तक बजरिया महिला समाज एवं ओम हरे राम हो कृष्ण मानस व संकीर्तन मंडल द्वारा भजन-संकीर्तन होगा। 

Tags:    

Similar News