सागौन के पेड़ों पर कीटों का हमला, बरसात में ही बन गए पतझड़

सागौन के पेड़ों पर कीटों का हमला, बरसात में ही बन गए पतझड़

Bhaskar Hindi
Update: 2017-08-28 08:24 GMT
सागौन के पेड़ों पर कीटों का हमला, बरसात में ही बन गए पतझड़

डिजिटल डेस्क,छिंदवाड़ा। छिंदवाड़ा में सागौन के पेड़ों पर कीटों का हमला होने से पतझड़ जैसे हालात बन गए हैं। जल्द ही इसका हल नहीं निकाला गया तो सागौन के पेड़ उजड़ जाएंगे। तामिया के जंगल में कीटों का सबसे ज्यादा प्रकोप देखने को मिल रहा है।

गौरतलब है कि जंगल का सोना कहे जाने वाले सागौन पेड़ों की हरियाली पर इन दिनों ग्रहण लग गया है। सागौन पर कीटों ने हमला कर दिया है। जिसकी वजह से पेड़ों के हरे पत्ते सूखकर छलनी की तरह दिखाई देने लगे हैं। खासतौर पर तामिया के जंगल में इन दिनों पतझड़ जैसे हालात बन गए हैं। वन अधिकारी करीब एक हजार हेक्टेयर में सागौन का जंगल कीटों से प्रभावित होने की बात कह रहे हैं। वनस्पति विशेषज्ञों की मानें तो यूटेकटोना मेक्रिलिस नामक कीट इस मौसम में सागौन पेड़ों पर हमला करते हैं। यह कीट सागौन पेड़ों के पत्तों को खासतौर पर नुकसान पहुंचाते हैं। पेड़ के ऊपरी हिस्से से कीट नुकसान पहुंचाना शुरू करते हैं। जो पेड़ के तने तक प्रभाव करते हैं। 

फारेस्ट अधिकारियों का कहना है कि इस कीट का हमला हर साल बढ़ रहा है। मौसम के परिवर्तन से पनपने वाले इस कीट से बचाव का कोई ठोस उपाय नहीं है। हालांकि तेज बारिश से कीट नष्ट हो जाते हैं। हल्की बारिश और गर्मी से होने वाली उमस से जमीन में मौजूद इन कीटों के लार्वा पनपते हैं। जंगल में पेड़ों की अधिकता की वजह से उमस अधिक होती है। इस वजह से कीट आसानी से पनप जाते हैं जो सागौन पेड़ों के लिए नुकसान दायक साबित होते हैं।

जून में आए नए पत्ते, अगस्त में सूखे
सागौन के पेड़ों पर जून में नए पत्ते आते हैं। अब कीटों के हमले से अगस्त में सूखते जा रहे हैं। पत्तों पर कीटों के प्रकोप से प्रकाश संश्लेषण की क्रिया नहीं हो पाती। जिससे पेड़ों की ग्रोथ पर खासा असर पड़ता है। अधिक बारिश होने पर जंगल में पनपने वाले यह कीट स्वयं ही नष्ट हो जाते हैं, लेकिन जब तक यह रहते है तब तक पेड़ों को काफी नुकसान पहुंचता है। जमीन पर बिछे पत्ते-कीटों के हमले से कमजोर सागौन पेड़ों के पत्ते टूटकर जमीन पर बिछ गए हैं। वन अधिकारियों का कहना है कि पेड़ खुद ही इन कीटों से लड़ने के लिए प्राकृतिक क्षमता विकसित कर लेते हैं। इसके बाद भी पेड़ के पत्तों को काफी नुकसान झेलना पड़ता है। 
 

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