अस्पताल में नहीं हो रहा आंखों का ऑपरेशन, मरम्मत कार्य के कारण परेशान मरीज

यवतमाल जिला अस्पताल के हाल अस्पताल में नहीं हो रहा आंखों का ऑपरेशन, मरम्मत कार्य के कारण परेशान मरीज

Tejinder Singh
Update: 2021-10-22 14:06 GMT
अस्पताल में नहीं हो रहा आंखों का ऑपरेशन, मरम्मत कार्य के कारण परेशान मरीज

डिजिटल डेस्क, यवतमाल। गरीबों को उचित समय पर नि:शुल्क स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से सरकार ने विभिन्न स्वास्थ्य संबंधी योजनाएं चलाई है, लेकिन जिला अस्पताल की टालमटोल कार्यप्रणाली से कई लोग सरकारी स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं से वंचित हो रहे हैं। बीते 4 माह से वैद्यकीय महाविद्यालय में आंखों के ऑपरेशन की सेवा बंद है। जिससे सैकड़ों नेत्र मरीजों के अंधे होने का खतरा बना हुआ है। जिला अस्पताल में आंखों के ऑपरेशन की सेवा शीघ्र शुरू करने की मांग स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे से समाजसेवी महेश पवार ने की है। यवतमाल मेडिकल कॉलेज में आंखों का मोतियाबिंद ऑपरेशन नि:शुल्क किया जाता है। यही ऑपरेशन निजी अस्पताल में करने पर साधारण 15 से 20 हजार रुपए का खर्च आता है। यह खर्च कई गरीब मरीज नहीं उठा पाते। जिससे वे यवतमाल मेडिकल कॉलेज का रूख करते हैं, लेकिन आपरेशन थेटर की मरम्मत के नाम पर बीते 4 माह से यवतमाल मेडिकल कॉलेज में आंखों का ऑपरेशन बंद है। जिससे आंखों के ऑपरेशन के लिए आए मरीज बिना ऑपरेशन के ही लौट रहे हैं। अस्पताल प्रशासन ने चाहा तो 8 दिनों के भीतर ऑपरेशन थेटर की मरम्मत का काम पूरा कर आॅपरेशन की सेवा शुरू कर सकता है। ऐसी चर्चा अस्पताल से बैरंग लौट रहे मरीजों द्वारा हो रही है, लेकिन अस्पताल प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है। जिससे बीते 4 माह से जिला अस्पतला में आंखों के आॅपरेशन बंद हैं। मोतियाबिंद का ऑपरेशन होने में देरी होने पर यह काचबिंदू में परिवर्तित होता है। जिससे आंखों के मरीजों को अंधा होने का खतरा बना रहता है। इसको ध्यान में रखते हुए समाजसेवी महेश पवार ने राज्य के स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखकर यवतमाल मेडिकल कॉलेज में बंद आंखों का ऑपरेशन शीघ्र शुरू करने की मांग की है।साथ ही पहले कोविड और अब मरम्मत के नाम पर आंखों के मरीजों को अस्पताल के चक्कर मारने को मजबूर करनेवाले नेत्र विभाग प्रमुख के खिलाफ कार्रवाई की मांग पत्र में की है। 

3 टेबल पर हर रोज होते है 100 से अधिक ऑपरेशन 

यवतमाल जिला अस्पताल में जिला समेंत आसपास के जिले के मरीज उपचार के लिए आते है। जिससे विभिन्न बिमारीयों के ऑपरेशन किए जाते है। अस्पताल में 3 टेबल पर रोजाना 100 से अधिक ऑपरेशन होते है। लेकिन पहले कोविड के नाम पर ऑपरेशन बंद किए गए थे। अब ऑपरेशन थेएटर की मरम्मद के नाम से आंखो का ऑपरेशन बीते 4 माह से पुरी तरह बंद होने से कई मरीजों के जान पर बन आयी है। 


ऑपरेशन के लिए दूसरे जिले में जाने की नौबत

महेश पवार, जनआंदोलक, घाटंजी के मुताबिक बीते कुछ दिनों से हम आंखों के मरीजों की सेवा कर रहे हैं। जिसमें मोतियाबिंद के मरीजों को ऑपरेशन कराने से लेकर अन्य सहयोग भी कर रहे हैं, लेकिन यवतमाल अस्पताल में आंखो का ऑपरेशन न होने से ऑपरेशन के मरीजों को सावंगी मेघे व वर्धा हम ले जा रहे हैं। अपना जिला छोड़कर दूसरे जिले में मरीजों को जाना पड़ रहा है। जिससे जिले की स्वास्थ्य यंत्रणा सेवा देने में असफल हाेने की बात सामने आ रही है। 

 

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