बीमा कंपनियां मालामाल, किसान हो रहे कंगाल

बीमा कंपनियां मालामाल, किसान हो रहे कंगाल

Anita Peddulwar
Update: 2018-06-07 10:53 GMT
बीमा कंपनियां मालामाल, किसान हो रहे कंगाल

डिजिटल डेस्क, नागपुर। किसानों प्राकृतिक आपदा में फसल का नुकसान होने पर किसानों को भरपाई देने की योजना है। बीमा निकालने के लिए किसानों को यही सपने दिखाए जाते हैं, परंतु बीमा निकालने वाले किसानों का नुकसान होने के बाद भी यदि उन्हें लाभ से वंचित रखा जाता है, तो इस योजना का क्या फायदा। फसल बीमा निकालने वाले 36 हजार 218 किसानों में से सिर्फ 1447 किसानों को बीमा लाभ के लिए पात्र ठहराए जाने से यह सवाल खड़ा हो गया है। आश्चर्य तो इस बात का है कि उमरेड तहसील में सिर्फ 1 किसान बीमा के लिए पात्र ठहराया गया है। वहीं जिले की 7 तहसीलों में लाभार्थियों का आंकड़ा शून्य रहने पर आश्चर्य व्यक्त किया जा रहा है।

किसानों को नहीं मिल रहा लाभ
नागपुर जिले में 35 हजार 218 किसानों से फसल बीमा का प्रीमियम के रूप में 4 करोड़, 93 लाख रुपए वसूले गए। 40 हजार हेक्टेयर कृषि क्षेत्र को 161 करोड़ का बीमा संरक्षण दिया गया। प्राकृतिक आपदा से फसल का नुकसान होने पर किसान बीमा लाभ के लिए पात्र होने का प्रचार-प्रसार किया गया।

पिछले साल अतिवृष्टि, चक्रवात के चलते हजारों हेक्टेयर फसल बर्बाद हुई। सरकार की ओर से सफल के नुकसान का सर्वेक्षण किया गया। फसल का बीमा निकाले जाने से किसानों को भरपाई मिलने की आस थी, परंतु हाल ही में जिले के केवल 1447 किसानों को बीमा लाभ के लिए पात्र ठहराए जाने की घोषणा होने से किसानों की निराशा हुई है। किसानों का नुकसान होने के बाद भी उन्हें तो लाभ नहीं मिला, परंतु बीमा कंपनियां मालामाल हो गई हैं।

फसल बीमा ऐच्छिक हो
प्राकृतिक आपदा से फसल बर्बाद होने के बाद भी नुकसान भरपाई नहीं दिए जाने से किसानों को निराश हाथ लगी है। फसल कर्ज से रकम काटकर बीमा निकाला जाता है। हजारों किसानों द्वारा फसल बीमा निकालने के बाद भी उन्हें नुकसान भरपाई नहीं दिए जाने से सख्ती से बीमा निकालने का जिला परिषद सदस्य मनोज तितरमारे, कमलाकर मेंगर, विनोद पाटील ने विरोध किया। उन्होंने बीमा ऐच्छिक करने की मांग कृषि समिति की बैठक में की।
 

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