एफडीए के नियम-शर्तें कार्यालय तक ही सीमित, 3 साल में किसी भी मंडल पर कार्रवाई नहीं
एफडीए के नियम-शर्तें कार्यालय तक ही सीमित, 3 साल में किसी भी मंडल पर कार्रवाई नहीं
डिजिटल डेस्क, नागपुर। अन्न व औषधि प्रशासन (एफडीए) विभाग के नियम-शर्तों का सार्वजनिक गणेश मंडल कितना पालन करते है, इसका अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि शहर में 900 से ज्यादा सार्वजनिक गणेश मंडल है और विभाग के पास केवल 35 गणेश मंडलों का ही रजिस्ट्रेशन हैै। पिछले तीन साल में महाप्रसाद या खानपान के संबंध में एक भी मंडल पर एफडीए की कार्रवाई नहीं होने की जानकारी सामने आई है। गणेशोत्सव के पूर्व एफडीए सार्वजनिक गणेश मंडलों के लिए नियम-शर्ते व गाइडलाइन जारी करता है। महाप्रसाद करानेवाले गणेश मंडलों को एफडीए का रजिस्ट्रेशन जरूरी है। इसके अलावा कच्चा माल, पानी, तेल व खाद्य सामग्री की गुणवत्ता अच्छी होनी चाहिए। कच्चा माल व खाद्य सामग्री का बिल होना चाहिए। कूक व खाद्य सामग्री सर्व (परोसने) करनेवाले को संसर्ग जन्य रोग नहीं होना चाहिए। प्रसाद वितरण के दौरान एप्रोन, ग्लब्स, टोपी पहनना चाहिए। शहर में 900 से ज्यादा सार्वजनिक गणेश मंडल है और 500 से ज्यादा मंडल महाप्रसाद का आयोजन करते है। एफडीए का रजिस्ट्रेशन केवल 35 मंडलों ने ही किया है। बाकी का काम रामभरोसे चल रहा है। अच्छी बात यह है कि पिछले तीन साल में शहर में महाप्रसाद में फूड पायजन की घटना नहीं हुई, लेकिन एफीडई के तरफ से एक भी गणेश मंडल पर नियम-शर्तों व गाइडलाइन का उल्लंघन करने के संदर्भ में कार्रवाई नहीं हुई है। एफडीए की जनजागृति व सतर्कता काे मंडल कितनी गंभीरता से ले रहे है, यह इसका ताजा नमूना माना जा सकता है।
इस कानून के तहत पंजीयन जरूरी
अन्न सुरक्षा व मानदे कानून की धारा 31 (2) के तहत सार्वजनिक गणेश मंडल (जहां महाप्रसाद होता है ) को पंजीयन करना जरूरी है। गणेशोत्सव खत्म होते ही विभाग भी शांत बैठ जाता है।
कार्रवाई से ज्यादा जनजागृति पर जोर
सहायक आयुक्त मिलिंद देशपांडे के मुताबिक साफ सफाई, शुध्द पानी, शुध्द खाद्य सामग्री व भोजन बनाते आैर परोसते समय बरती जानेवाली सावधानी के बारे में जनजागृति की जाती है। विभाग का जोर कार्रवाई से ज्यादा जनजागृति पर है, ताकि नियम, शर्तों पर अमल हो सके। अधिकांश गणेश मंडलों से संपर्क कर जरूरी जानकारी व प्रबोधन किया जाता है। 35 मंडलों ने रजिस्ट्रेशन किया है। यह आंकडा कम है, लेकिन मंडल की तरफ से अच्छा प्रतिसाद मिलने की अपेक्षा है। तीन साल में शहर में फूड पायजनिंग की एक भी केस नहीं हुई है। रजिस्ट्रेशन का आंकडा बढ़ाने व नियमों पर अमल हो, इस दिशा में भरसक कोशिश जारी है।