हाईकोर्ट ने कहा- पेश करो फर्जीवाड़े से नौकरी हासिल करने वालों की लिस्ट, मालेगांव ब्लास्ट मामले में एनआईए को फटकार

हाईकोर्ट ने कहा- पेश करो फर्जीवाड़े से नौकरी हासिल करने वालों की लिस्ट, मालेगांव ब्लास्ट मामले में एनआईए को फटकार

Tejinder Singh
Update: 2019-02-12 14:59 GMT
हाईकोर्ट ने कहा- पेश करो फर्जीवाड़े से नौकरी हासिल करने वालों की लिस्ट, मालेगांव ब्लास्ट मामले में एनआईए को फटकार

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि पहले हमारे समाने फर्जी जाति प्रमाणपत्र के आधार पर शिक्षा, राजनीति व नौकरी में कार्यरत लोगों की सूची पेश की जाए। फिर हम उनके खिलाफ निर्देश जारी करने पर विचार करेंगे। हाईकोर्ट ने यह बात नांदेड के पूर्व विधायक भीम के राव व अन्य लोगों की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कही। राव ने अधिवक्ता सुरेश माने के मार्फत फर्जी जाति प्रमाण पत्र को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू करने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। मंगलवार को यह याचिका मुख्य न्यायाधीश नरेश पाटील व न्यायमूर्ति एनएम जामदार की खंडपीठ के सामने सुनवाई के लिए आयी। इस दौरान याचिकाकर्ता के वकील श्री माने ने खंडपीठ के सामने कहा कि 7 जुलाई 2017 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले के अनुसार फर्जी जाति प्रमाणपत्र के जरिए नौकरी व राजनीति के क्षेत्र में कार्यरत लोगों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई की जाए। भले ही वे कितने ही उंचे पद पर क्यों न हो अथवा कई सालों से किसी पद पर कार्यरत हो। याचिका में हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करने का निर्देश देने की मांग की गई है। याचिका पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता हमारे समाने उन लोगों की सूची पेश करे जो फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी पर अथवा राजनीति के क्षेत्र में हैं, तब हम कोई निर्देश जारी करने पर विचार करेंगे। इस तरह के मामले में ऐसे ही आम आदेश जारी नहीं किया जा सकता। याचिकाकर्ता को पहले शोध व सूची जुटा कर याचिका दायर करनी चाहिए थे। बगैर सूची के याचिका दायर कर याचिकाकर्ता अपनी जिम्मेदारी सरकार पर नहीं डाल सकते। खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को चार सप्ताह के भीतर फर्जी जाति प्रमाणपत्र से नौकरी हासिल करनेवालों की सूची पेश करने का समय दिया है। 

सबूत के तौर पर फोटोकॉपी इस्तेमाल करने पर एनआईए को हाईकोर्ट ने फटकारा

वहीं बांबे हाईकोर्ट ने मंगलवार को मालेगांव बम धमाके के मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को कड़ी फटकार लगाई है। मामला इस प्रकरण से जुड़े आरोपियों के इकबालिया बयान व गवाहों के बयान की फोटोकापी प्रति सबूत के तौर पर (सेकेंडरी इविडेंस के रुप में) इस्तेमाल करने से जुड़ा है। दरअसल गवाहों व आरोपियों के बयान की मूल प्रति गायब हो गई है इसलिए एनआईए इन गवाहों व आरोपियों के बयान की फोटोकापी प्रति को सबूत के तौर पर इस्तमाल कर रही है। निचली अदालत ने एनआईए को इसकी इजाजत भी दे दी है। जिसे इस धमाके के आरोपी समीर कुलकर्णी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी है। न्यायमूर्ति अभय ओक की खंडपीठ के सामने इस याचिका पर सुनवाई हुई। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि गवाहों व आरोपियों के बयान की मूल प्रति उपलब्ध नहीं है। फोटोकापी मूल प्रति की है इसकी किसी ने पुष्टी नहीं की है। ऐसे में कानूनी रुप से प्रथम दृष्टया इसे सबूत के तौर पर स्वीकार नहीं किया जा  सकता है। इसलिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी अपनी गलति को सुधारे और इस संबंध में नए सिरे से निचली अदालत में आवेदन दायर करे। अन्यथा हमारे समाने एनआईए कोर्ट में इस मामले से जुड़े मुकदमे की सुनवाई पर रोक लगाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा। हालांकि इस दौरान एनआईए ने निचली अदालत के फैसले को सही माना और कहा कि आरोपी मुकदमे की सुनवाई में विलंब के लिए इस तरह के आवेदन दायर कर रहे है। पर खंडपीठ इससे असंतुष्ट नजर आयी। और कहा कि एनआईए इस मामले से जुड़े मुकदमे की सुनवाई की रोक लगाने की वजह न बने और अपनी गलती को सुधारने की दिशा में कदम उठाए। 

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