मानसून के डेढ़ माह बीतने के बाद भी सूखे जलाशय, मराठवाड़ा की हालत खस्ता, वर्धा में 5 दिन का पानी शेष

मानसून के डेढ़ माह बीतने के बाद भी सूखे जलाशय, मराठवाड़ा की हालत खस्ता, वर्धा में 5 दिन का पानी शेष

Anita Peddulwar
Update: 2019-07-19 07:59 GMT
मानसून के डेढ़ माह बीतने के बाद भी सूखे जलाशय, मराठवाड़ा की हालत खस्ता, वर्धा में 5 दिन का पानी शेष

डिजिटल डेस्क, मुंबई। मानूसन के लगभग डेढ़ महीने बीतने के बाद भी मराठवाड़ा के जलाशयों की हालत जस की तस बनी हुई है। अभी भी मराठवाड़ा के जलाशयों में केवल 0.78 प्रतिशत पानी बचा हुआ है। जबकि पिछले साल इस दौरान यहां के जलाशयों में 15.46 पानी था। प्रदेश के छोटे, बड़े और मध्यम 3267 जलाशयों में 23.21 प्रतिशत जलसंग्रह है। जबकि पिछले वर्ष इस दौरान 42.98 प्रतिशत पानी जलाशयों में था। पिछले साल के 42.98 प्रतिशत के मुकाबले फिलहाल 23.21 फीसदी पानी ही राज्य के जलाशयों में शेष है। हालांकि जलाशयों में पानी का डेड स्टॉक 75.6 प्रतिशत है। शुक्रवार को प्रदेश सरकार के जलसंसाधन विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक अमरावती विभाग के 446 जलाशयों में पिछले साल के 29.97 प्रतिशत की तुलना में अभी केवल 8.45 प्रतिशत जलसंचय है। जबकि नागपुर विभाग के 384 जलाशयों में 8.25 प्रतिशत पानी है। पिछले साल नागपुर विभाग के जलाशयों में 33.76 प्रतिशत पानी उपलब्ध था। नाशिक विभाग के 571 जलाशयों में 19 प्रतिशत जलसंचय है। जबकि पिछले साल यहां 32.74 प्रतिशत पानी मौजूद था। पुणे विभाग के 726 जलाशयों में 57.67 प्रतिशत के मुकाबले 36.53 प्रतिशत जलसंचय था। कोंकण विभाग के 176 जलाशयों में 57.03 प्रतिशत पानी उपलब्ध है जबकि पिछले साल 82.28 प्रतिशत जलसंग्रहण था। 

किस जलाशय में कितना पानी 

भंडारा- गोसीखुर्द - 2.1 प्रतिशत
अकोला- काटेपूर्णा- 3.93 प्रतिशत 
अमरावती- ऊध्व वर्धा -11.48 प्रतिशत
बुलढाणा - नलगंगा - 7.07 प्रतिशत 
अहमदनगर -भंडारदरा - 41.79 प्रतिशत 
जलगांव - वाघूर - 16.65 प्रतिशत
औरंगाबाद- जायकवाडी- 0 प्रतिशत
नागपुर - खिडसी - 9.05 प्रतिशत
नागपुर - वडगांव - 18.33 प्रतिशत
नागपुर - तोतलाडोह -  0.01 प्रतिशत
नागपुर- नांद- 17.92 प्रतिशत 
नागपुर -कामठी खैरी-23.69  प्रतिशत

वर्धा में 5 दिन का पानी शेष

उधर वर्धा जिले में भीषण जलसंकट गहरा गया है। जिले के 11  जलाशयों में से शहर को जलापूर्ति करनेवाले  5 जलाशय पूरी तरह सूख गए हैं। वही 6 बांधों में नाममात्र डेड स्टाक बचा है। वह भी सूखने की कगार पर है। ऐसे में शहर को जलापूर्ति करने के लिए प्रशासन द्वारा किया गया नियोजन भी काम नहीं आ रहा है।  भीषण जलसंकट से निपटने के लिए अब ट्रेन से पानी लाने को लेकर नगर परिषद द्वारा जिलाधिकारी के समक्ष प्रस्ताव प्रस्तुत कर चर्चा हो रही है। बता दें कि, लगातार दो वर्ष  से जिले में औसत से कम बारिश हो रही है। इस वर्ष भी बारिश नहीं होने से पिछले वर्ष की बारिश से भरे जलाशयों में मृत जलसंग्रह सूखने की कगार पर है।  शहर को जलापूर्ति करनेवाले  धाम बांध से डेड स्टॉक से  भी पानी लिया गया, लेकिन वह भी खत्म होने से अब शहर की प्यास किस तरह बुझाए यह चिंंता नप को है।  नप के पास आनेेवाले  अगले 5 दिनों तक जलापूर्ति हो इतना ही जल बचा है। इसके चलते इस भीषण जलसंकट से निपटने के लिए प्राथमिक स्तर पर रेलवे से पानी लाकर शहर की प्यास बुझाने का नियोजन प्रशासन कर रहा है।  

5 बांध सूखे, 6 बांधों में केवल 11 फीसदी पानी 

जिले में स्थित 11  जलाशय बांधो में से 5  बांध पूरी तरह सूख गए है। जिनमें धाम, पंचधारा,मदन, मदन उन्नई धरण, तथा लघु सुकली बांध शामिल हैं। बचे बोर , निम्र वर्धा, पोथरा, डोंगरगांव, मदन, लाल नाला, वर्धा कार नदी  इन 6  बांधो में कुल11.65  फीसदी  पानी बचा है। 

बिन बादल कृत्रिम वर्षा भी नहीं संभव

मौसमी बरसात नहीं होने से जलाशयों की स्थिति चिंताजनक है, ऐसे में वर्तमान समय में बारिश के कोई आसार नहीं दिखाई देने से कृत्रिम वर्षा के लिए जिलाधिकारी विवेक भीमनवार ने सरकार की ओर प्रस्ताव भेजा है। लेकिन कृत्रिम वर्षा के लिए भी बादलों की आवश्यकता होती है, जिले में पर्याप्त मात्रा में बादल ही नहीं दिखाई देने से कृत्रिम वर्षा की आस भी मन को तसल्ली देने जैसी ही लग रही है।

केवल 5 दिन का ही स्टॉक उपलब्ध

धाम बांध से मृतसंग्रह अब तक उठाया जा रहा था। अब वह भी खत्म हो गया है। नप के पास अगले 5 दिन जलापूर्ति हो बस इतना ही जल उपलब्ध है। इस संदर्भ में नगराध्यक्ष और मुख्याधिकारी से चर्चा कर आगे के दिशानिर्देश तय किए जाएंगेे।  -चेतन बघमारे, जलापूर्ति विभाग प्रमुख नप
 

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