दुनिया में पहली बार किसी बाघ को लगाया जाएगा आर्टिफिशियल पंजा

दुनिया में पहली बार किसी बाघ को लगाया जाएगा आर्टिफिशियल पंजा

Tejinder Singh
Update: 2018-12-30 13:24 GMT
दुनिया में पहली बार किसी बाघ को लगाया जाएगा आर्टिफिशियल पंजा

डिजिटल डेस्क, नागपुर। साहेबराव कभी ताडोबा-अंधेरी बाघ क्षेत्र की शान हुआ करता था। उसकी दहाड़ से सारा जंगल थर्राता था, लेकिन आज वह दर्द में है। दहाड़ने की जगह कराह रहा है। नागपुर के गोरेवाड़ा रेस्क्यू सेंटर में रह रहे 9 वर्षीय बाघ साहेबराब की भाषा समझना इंसान के बस की बात नहीं है, लेकिन उसकी पीड़ा आंखों में साफ नजर आती है। उसका एक पंजा नहीं है, लेकिन अब वर्ष 2019 में उसे कृत्रिम पंजा लगाया जाएगा। यह पहली बार है जब दुनिया में किसी टाइगर को प्रोस्थेटिक पंजा लगेगा। दरअसल, वर्ष 2012 में साहेबराव बहेलिया शिकारियों के निशाने पर आ गया था। 

पलसगांव में 2008 में दो साल का साहेबराव और उसका भाई जंगल में एक ट्रैप में फंस गए थे। फंदे ने साहेबराव के भाई की जान ले ली। साहेबराव बच तो गया, लेकिन उसका एक पंजा काटना पड़ा। इससे पैर की रक्त कोशिकाओं में कुछ विकृति पैदा हो गई, जिसने उसे न्यूरोमा की पीड़ा का शिकार बना दिया। पिछले छह साल से वह कटे पंजे के दर्द को सह रहा है। अब उसकी पीड़ा दूर करने के लिए दुनियाभर के डॉक्टर सलाह-मशविरा कर रहे हैं। नागपुर के प्रसिद्ध ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. सुश्रुत बाभुलकर उसे कृत्रिम पैर (पंजा) लगाने पर काम कर रहे हैं। अब लोगों को यह उम्मीद  है कि नए साल में साहेबराव को न्यूरोमा पीड़ा से मुक्ति  मिलेगी और वो चल सकेगा। उसे सिलिकॉन से बना कृत्रिम पैर लगेगा।

इस वर्ष जनवरी में डाॅ. सुश्रुत बाभुलकर गोरेवाड़ा रेस्क्यू सेंटर पहुंचे थे। वहीं उनकी नजर पिंजरे में बैठे साहेबराव पर पड़ी। साहेबराव से वो पहली मुलाकात आज भी डाॅ. बाभुलकर भूल नहीं पाए हैं। वे कहते हैं कि ‘साहेबराव पर जब मेरी नजर पड़ी तब वो किसी रॉयल किंग की तरह शान से बैठा हुआ दिखा। इत्तफाक देखिए, जब उसने मुझे देखा तो वो अचानक ही खड़ा हो गया।

तीन पैरों पर लंगड़ाता हुआ धीरे-धीरे मेरी ओर आया। मैंने कभी किसी जंगल के राजा को इसके पहले इतना असहाय महसूस नहीं किया था। मैं उसकी आंखों में देखने लगा, ऐसा लगा कि वो मुझसे कुछ कहना चाहता है। अपना दर्द बताना चाहता है। अचानक ही उसका कटा हुआ पैर दिख गया। मुझे बहुत बुरा लगा। साहेबराव की पीड़ा मैंने उसकी आंखों में महसूस की। वो कराह रहा था। तभी मन में विचार आया कि कैसे मैं साहेबराव को इस पीड़ा से मुक्ति दिला सकता हूं?’ साहेबराव की पूरी जानकारी लेने के पश्चात मैंने उसे गोद लेने का निर्णय कर लिया।

वन विभाग की अनुमति मिलने के बाद डाॅ. बाभुलकर तथा उनकी टीम ने साहेबराव की जांच की। इसके बाद ही पता चला कि वो न्यूरोमा पीड़ा में है। डाॅ. बाभुलकर ने विश्वभर के विशेषज्ञ डॉक्टर्स और संस्थाओं से संपर्क कर जानकारी ली। पशुओं में कृित्रम पैर लगाने के प्रयोग सिर्फ कुत्ते, बिल्लियों तथा हाथियों तक सीमित रहे हैं। किसी बाघ को कृत्रिम पैर लगाने का कोई उदाहरण अब तक उनके सामने नहीं आया था। जानकारी लेने में ही कुछ महीने निकल गए। इसी बीच साहेबराव के पैर का माप लिया गया। यह जानकारी सिलिकाॅन के कृत्रिम पैर बनाने वाली कुछ अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं को भेजी गई है। डाॅ. बाभुलकर का कहना है, ‘अगर हम साहेबराव को कृत्रिम पैर तथा पंजा लगाते हैं तो वो उसे निकालकर फेंक देगा। ऐसे में उसके लिए सबसे बेहतर तरीका क्या हो सकता है, इसके लिए हमारी बातचीत इंग्लैंड के एक विश्वविद्यालय के साथ चल रही है। उनसे हरी झंडी मिलने के बाद ही यह प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। वे बताते हैं कि उम्मीद है कि नए साल में साहेबराव को दर्द से मुक्ति मिलेगी और वो चारों पैर पर गर्व से खड़ा होगा’।

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