सिवनी में पहली बार, आरोपी को पंच-आजीवन कारावास

विशेष न्यायालय (पॉस्को) सिवनी के द्वारा दुष्कर्म और हत्या के मामले में सुनाया फैसला सिवनी में पहली बार, आरोपी को पंच-आजीवन कारावास

Bhaskar Hindi
Update: 2021-08-11 14:55 GMT
सिवनी में पहली बार, आरोपी को पंच-आजीवन कारावास

डिजिटल डेस्क सिवनी। जिला सिवनी की विशेष न्यायालय (पॉस्को) सिवनी के द्वारा दुष्कर्म और हत्या के जघन्य सनसनी खेज मामले में  दरन्दगी करने  वाले आरोपी को पांच बार के  आजीवन कारावास की सजा से दंडित करने का फैसला सुनाया है । मीडिया सेल प्रभारी मनोज सैयाम द्वारा बताया गया कि  आरोपी पीडि़ता का ही रिश्तदार होने से पीडि़ता की पहचान गोपनीय रखने के नियम से पीडि़ता और आरोपी का नाम ,पता एवं अन्य जानकारी  प्रकट  नहीं की जा रही है ।  थाना- बंडोल का यह मामला  वर्ष  2019 का है। थाना बंडोल के अंतर्गत एक ग्राम के  निवासी ने प्रथम  सूचना रिपोर्ट दर्ज कराया की  वह और उसकी पत्नी बाहर मजदूरी करने गए थे , जब अपने ग्राम आये तो पता चला कि , उसकी नाबालिग बेटी को  उसी के शादी शुदा रिश्तेदार के द्वारा  बहला फुसलाकर   उसके  साथ जबरदस्ती गलत काम करते रहा और जब   वह गर्भवती हो गयी तो सातवे महीने में अपने घर में ही डिलीवरी कराया जिससे एक शिशु   लड़के का जन्म हुआ  था ।  इस घिनौने  दुष्कर्म के अपराध को छिपाने के लिए उक्त मासूम नवजात शिशु की  हत्या कर उसे मरघट में दफना दिया था । थाना बंडोल के द्वारा  अपराध क्रमांक -314 / 19  पर  दुष्कर्म और नवजात शिशु की हत्या का मामला दर्ज  कर तत्कालीन थाना प्रभारी  उप निरिक्षक - आरपी गायधने  द्वारा अनुसंधान   किया गया  । जिसमें  कार्यपालक मजिस्ट्रेट से अनुमति लेकर नायब   तहसीलदार की उपस्थिति में उक्त नवजात शिशु के शव को कब्र से निकलवाकर डीएनए करवाया एवं बयान लिए और अन्य  कार्यवाही पूर्ण कर  कर  आरोपी रिश्तदार के विरुद्ध  माननीय न्यायालय में चालान पेश किया था । जिसकी सुनवाई सुमन उइके-  विशेष न्यायाधीश (पॉस्को) सिवनी की न्यायालय   में  की गई । जिसमें शासन की ओर से विशेष लोक अभियोजक   दीपा मर्सकोले के द्वारा गवाह और सबूतों को पेश किया और विधिसंगत तर्क पेश किए गए और कड़ी से कड़ी सजा की मांग की गई ।  माननीय न्यायालय द्वारा  ऐसी  दरिन्दगी का घिनोना  अपराध करने के लिए आरोपी  को दोषी पाते हुए धारा 363 में -07 वर्ष का  सश्रम कारावास, एवं 1000 रुपए का अर्थदंड, 366 में- 10 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 2000 रुपए का अर्थदंड, 376 (2)(एफ) में - आजीवन कारावास एवं 2000 रुपए का अर्थदंड, 376(2)(ठ्ठ) में - आजीवन कारावास एवं 2000 रुपए का अर्थदंड,  धारा- 302 भा0 द0वी0 में आजीवन कारावास एवं 2000 रुपए का अर्थदंड, 201 भा0द0वि0 में-07 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 2000 रुपए का अर्थदंड,  धारा-5(द्भ)(2)   सहपठित  धारा 6 पॉस्को एक्ट में- आजीवन कारावास एवं 2000 रुपए का अर्थदंड, धारा 5(रु) बहुपठित धारा -6 पॉस्को एक्ट  में- आजीवन कारावास एवं 2000 रुपए का अर्थदंड से दंडित करने का   निर्णय सुनाया।

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