टी-4 बाघिन की मौत : वन विभाग फिर सवालों के घेरे में

टी-4 बाघिन की मौत : वन विभाग फिर सवालों के घेरे में

Anita Peddulwar
Update: 2019-03-23 12:26 GMT
टी-4 बाघिन की मौत : वन विभाग फिर सवालों के घेरे में

डिजिटल डेस्क, नागपुर। पांढरकवड़ा से 180 किमी पर स्थित टिपेश्वर वन्यजीव अभयारण्य में बाघिन टी-4 की मौत के मामले में सच्चाई सामने आना बाकी है। घटना के बाद बाघिन की मौत के संबंध में वन विभाग की ओर से प्रदान की गई जानकारी के उलट कई जानकारियां सामने आ रही है। टी-4 को किसी वेटरनरी डॉक्टर के बजाय एक एसीएफ के ड्राइवर से ट्रैंक्युलाइज करवाया गया। बाघिन की मौत के समय पर भी विवाद है, जहां वन विभाग का दावा है कि, मौत ट्रैंक्युलाइज किए जाने के लगभग डेढ़ घंटे बाद हुई, वहीं सूत्रों के अनुसार उसकी मौत ट्रैंक्युलाइज किए जाने के तुरंत बाद हो गई। चर्चा इस बात की भी है कि, डोज ज्यादा होने के कारण उसकी मौत हुई है। 

बगैर वरिष्ठ अधिकारी के हड़बड़ी में ऑपरेशन
2017 में कैमरे में गले में पट्टे के साथ नजर आयी टी-4 को कब्जे के करने के एक दो प्रयासों के बाद वन विभाग की ओर से कोई गंभीर प्रयास नहीं किया गया। घटना के एक दिन पहले शनिवार को बाघिन फिर कैमरे में नजर आई। रविवार को लगभग साढ़े चार बजे उसके नाले के पास नजर आने पर उसे ट्रैंक्युलाइज करने का अभियान बगैर किसी वरिष्ठ अधिकारी के शुरू कर दिया गया। अभियान में आठ गाइड, जांब पशुपालन विभाग के अधिकारी, ड्राइवर सूरज महाकुलकर ने बाघिन को जाल की मदद से कब्जे में लेने का प्रयास किया। इस दौरान बाघिन ने दो गाइडों पर हमला कर दिया। इनमें से एक गाइड अश्विन बकमवार अब भी यवतमाल में अस्पताल में भर्ती है। दूसरे घायल गाइड इरफान शेख को उपचार के बाद छुट्टी मिल चुकी है। इसके बाद उसे डार्ट करने का फैसला किया गया। डॉ. नाकाडे ने डार्ट बनाया और सूरज से फायर किया। सूत्रों के अनुसार बाघिन पर दो डार्ट चलाए गए।

वन विभाग की दलील
वन्य जीवों काे ट्रैंक्युलाइज किए जाने के लिए नियमानुसार कुशल टीम की जरूरत होती है। टीम में वाइल्ड लाइफ मैनेजर, बायोलॉजिस्ट, ट्रेंड वेटरनरी डॉक्टर, सबसे जरूरी पशुओं को एनेस्थीसिया देने वाले का होना जरूरी है। जाहिर है टी-4 के मामले में नियमों का पालन नहीं किया गया। डीएफओ प्रमोद पंचभाई के अनुसार सूरज बेस कैंप में नियमित रूप से प्रशिक्षण प्राप्त करता रहा है। वैसे भी वन विभाग की ओर से बुलाए गए वेटरनरी डॉक्टर कभी वन्यजीव को डार्ट नहीं करते हैं। उन्होंने ओवरडोज के कारण टी-4 की मौत का खंडन करते हुए कहा कि, केवल टैक्सोलॉजिकल सैंपल रिपोर्ट ही मौत की सही वजह का खुलासा कर सकती है।  

टिप्पणी से इनकार 
जो भी जानकारी डीएफओ की ओर से विभाग को मिली थी वह मीडिया को भेज दी गई है। अब इस पर कुछ और नहीं कहना है। 
- स्नेहल पाटील, वन विभाग की जनसंपर्क अधिकारी 

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