आईएसआई के जासूसों तक हवाला की रकम पहुंचाते थे फंड मैनेजर, टेरर फंडिंग

 आईएसआई के जासूसों तक हवाला की रकम पहुंचाते थे फंड मैनेजर, टेरर फंडिंग

Bhaskar Hindi
Update: 2019-08-24 08:21 GMT
 आईएसआई के जासूसों तक हवाला की रकम पहुंचाते थे फंड मैनेजर, टेरर फंडिंग

डिजिटल डेस्क,सतना। बलराम समेत एसपी की क्राइम ब्रांच के हत्थे चढ़े तीनों धन प्रबंधक क्या, पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के इशारे पर देश विरोधी गतिविधियों में सक्रिय जासूसों तक हवाला से मिली भारतीय मुद्रा को टुकड़ों-टुकड़ों में पहुंचाते थे। जानकारों के मुताबिक अब एक बार फिर से भोपाल एटीएस (एंटी टेरेरिज्म स्क्वाड) के सामने इसी तथ्य की पुष्टि एक बड़ी चुनौती है। वर्ष 2017 की 8 फरवरी को पहली मर्तबा यहां इसी एटीएस के हाथ लगे इसी बलराम को तब जमानत का लाभ मिल गया था? सवाल ये भी है कि क्या,महज हवाला की ही खुराक पर आईएसआई के जासूस जिंदा हैं,या फिर उनके अन्य आर्थिक स्त्रोत भी हो सकते हैं।

कहां से आता है पैसा 

नाम नहीं छापने की शर्त पर पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी का मानना है कि चैरिटी के अलावा पे-टीएम जैसे दीगर डिजिटल प्लेटफार्म के माध्यम से भी छोटी-छोटी राशियों का लेन-देन होता है। सूत्रों के दावे के मुताबिक देश विरोधी गतिविधियों के लिए अप्रत्यक्ष तौर पर धन का प्रबंधन देश के अंदर ही किया जाता है और इसी राशि को इधर से उधर करने के लिए स्थानीय स्तर पर सक्रिय फंड मैनेजरों को अनेक बैंक खातों की जरुरत होती है। ऐसे खाते जिनके डेबिट कार्ड और पासबुक वास्तविक खातेदार के पास नहीं रहें। असल में हवाला के जरिए आने वाली भारी भरकम रकम का अगर बैंकों के माध्यम से लेनदेन होता है तो बड़ी रकम बैंक और आयकर की नजर में आ जाना स्वाभाविक है। इसी वजह से रकम को  छोटी-छोटी राशियों के रुप में बैंकों में जमा कराई जाती है। इस राशि को जमा कराने या फिर निकासी के लिए गैंग को बड़ी संख्या में बैंक खातों और उनके एटीएम कार्ड की जरुरत होती है। ये जिम्मा लेन-देन की राशि के हिसाब से 5 से 8 फीसदी कमीशन पर फंड मैनेजर के पास होता है। फंड मैनेजर ज्यादा से ज्यादा बैंक खाते हथियाने के लिए एक बड़ी श्रृंखला बनाता है।   
अनपढ़ और गरीब होते हैं सॉफ्ट टारगेट 

पुलिस के जानकार सूत्रों का कहना है कि ज्यादा से ज्यादा बैंक खातों का जुगाड़ करने के मामले में अनपढ़ और गरीब प्राय: सॉफ्ट टागरेट होते हैं, उन्हें दलालों के माध्यम से तमाम सरकारी योजनाओं का हवाला देकर पहले खाते खुलवाए जाते हैं और फिर लाभांश के नाम पर उनके एटीएम कार्ड और पासबुक हासिल कर लिए जाते हैं। खातेदार को चुप रखने के लिए हर माह कम से कम 2 से 5 हजार रुपए की रकम दी जाती है। इस तरह से एकाउंट किराए पर चलने लगता है। 

सीमा पार हैंडलर्स के साथ ऐसे रहते हैं संपर्क में 

टेरर फंडिंग की राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल फंड मैनेजर सीमा पार पाकिस्तान में बैठे हैंडलर्स के साथ बेहद सतर्कता के साथ संपर्क में रहते हैं। बातचीत के लिए आईएमओ वीडियो कॉलिंग एप, इंटरनेट कालिंग, वाटसएप चैटिंग और इसी माध्यम से आडियो-वीडियो क्लिप का आदान-प्रदान किया जाता है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि धन प्रबंधकों को अपने आका को हर बैंक एकाउंट के ट्रांजेक्शन का हिसाब भी देना पड़ता है।

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