गारिअबंद: गोधन न्याय योजना से महिलाओं को मिला रोजगार

गारिअबंद: गोधन न्याय योजना से महिलाओं को मिला रोजगार

Aditya Upadhyaya
Update: 2020-12-24 08:54 GMT
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डिजिटल डेस्क, गारिअबंद। वर्मी कंपोस्ट बनाकर समूह की महिलाएं हो रही आत्मनिर्भर छत्तीसगढ़ में प्रचीन काल से ही गाय और गोबर को लक्ष्मी और धन की संज्ञा दी गई है। एक ओर गाय से जहां दूध मिलती है, वहीं दूसरी ओर गोबर से घर-आंगन को लीपकर स्वच्छ बनाया जाता है। छत्तीसगढ़ी संस्कृति में कोई भी पुण्य कार्य बिना गोबर के उपयोग से पूर्ण नहीं होता। आज यह गोबर न केवल स्वच्छता के लिए काम आ रहा है, बल्कि अब गोबर से धन भी बरसने लगा है। भूपेश सरकार की महती योजना गोधन न्याय योजना अब महिलाओं के लिए आय का जरिया साबित हो रहा है। गोधन न्याय योजना के तहत गोबर खरीद कर उसी गोबर से महिला स्व सहायता की समूह की महिलाएं वर्मी कंपोस्ट खाद बनाकर तैयार कर रही हैं। वह आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर हो रही है। जिले के ओडिशा सीमा से लगे देवभोग ब्लॉक के गौठानों पर महिलाएं गोबर से वर्मी कंपोस्ट खाद बनाकर अब उसे समितियों में बेचने की तैयारियां शुरू कर दी है। गोधन न्याय योजना की समिति प्रबंधन एवं महिला स्व सहायता समूह की सदस्यों के द्वारा 2 रूपये प्रति किलो गोबर खरीद कर अब उसी गोबर से वर्मी कंपोस्ट खाद बनाना शुरू कर दी है। महिलाओं ने कहा कि वे इस योजना का लाभ ले रही हैं और यह योजना उनके लिए वरदान साबित हो रही है। कभी रोजगार के लिए ईधर-उधर भटकने वाली गरीब महिलाओं को स्थानीय स्तर पर ही रोजगार मिलने लगा है। महिलाएं अब खुद के पैर में खड़ी होकर वर्मी कम्पोस्ट खाद तैयार करने में जुट गई हैं। आर्थिक रूप से वह मजबूत तो होंगी। साथ ही उन्हें रोजगार का एक सुनहरा अवसर मिल रहा है। गौठानों में खरीदे गये गोबर से बड़ी मात्रा में वर्मी कंपोस्ट खाद बनाने का काम महिलाएं मिलकर कर रही है। ग्राम पंचायत कदलीमुंडा के तिरंगा स्व सहायता समूह की अध्यक्ष श्रीमती त्रिपुरा बघेल ने बताया कि महिलाएं इस योजना से लाभ ले रही है। यह योजना उनके लिए एक वरदान साबित होगा। प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री भूपेश सरकार के गोधन न्याय योजना आगे चलकर और अधिक मजबूत हो उसके लिए महिलाएं गोबर से अगरबत्ती भी बनाने का योजना बना रही हैं। स्व सहायता समूह की महिलाओं ने बताया कि समूह के द्वारा बिहान योजना की महिलाएं इस योजना को एक आय का स्रोत बनाकर अपना जीविकोपार्जन करेंगे। उनका कहना है कि वे अन्य महिलाओं को भी प्रेरित करेंगे कि गोधन न्याय योजना के तहत जुड़े एवं आत्मनिर्भर बने।

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