VIP कोटे के नाम पर ताड़ोबा में अवैध सफारी का मामला, HC ने दिए नीति निर्धारित करने के आदेश

VIP कोटे के नाम पर ताड़ोबा में अवैध सफारी का मामला, HC ने दिए नीति निर्धारित करने के आदेश

Anita Peddulwar
Update: 2018-07-04 09:28 GMT
VIP कोटे के नाम पर ताड़ोबा में अवैध सफारी का मामला, HC ने दिए नीति निर्धारित करने के आदेश

डिजिटल डेस्क, नागपुर। ताड़ोबा-अंधारी टाइगर रिजर्व (टीएटीआर) में वीआईपी कोटे के नाम पर हो रही अवैध सफारी को रोकने के लिए बॉम्बे हाइकोर्ट की नागपुर बेंच ने वन विभाग को नीति निर्धारित करने के आदेश दिए हैं। नेशनल टाइगर कंसरवेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) के दिशा निर्देशों के विरुद्ध जंगल सफारी होने का मुद्दा याचिकाकर्ता अविनाश प्रभुने ने अपनी जनहित याचिका में उठाया है।

दरअसल बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में अविनाश प्रभुने द्वारा दायर जनहित याचिका में ताड़ोबा-अंधेरी टाइगर रिजर्व (टीएटीआर) में हो रही अवैध जंगल सफारी का मुद्दा उठाया गया है। कोर्ट काे यह जानकारी दी गई है कि एनटीसीए की गाइडलाइन के अनुसार कोर जंगल एरिया में प्रतिमाह 124 वाहन छोड़ने की अनुमति है, लेकिन वन विभाग ने स्थानीय सलाहकार समिति के फैसले के तहत यहां ज्यादा वाहनों को प्रवेश दिया है।

वहीं वन विभाग के शपथपत्र के अनुसार उन्होंने यहां प्रतिमाह 136 वाहनों को दाखिल होने की अनुमति दी है। अपनी सफाई में वन विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि शीतकालीन अधिवेशन के दौरान टूरिस्टों की संख्या बढ़ जाती है। इस संबंध में स्थानीय सलाहकार समिति ने 136 वाहनों को प्रवेश देने को अनुमति दी थी। वन विभाग के शपथपत्र के अनुसार उन्होंने वर्ष 2015 में अप्रैल माह में ताड़ोबा में 156 वाहनों को प्रवेश दिया, मई माह में 393, जून में 133 और दिसंबर में 222 यानी कुल 904 वाहनों को प्रवेश दिया गया।

यह है मामला
याचिकाकर्ता का दावा है कि वन विभाग नेशनल टाईगर कंसरवेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) के दिशानिर्देशों का उल्लंघन करके जरूरत से ज्यादा वाहन सफारी के लिए जंगल में छोड़ रहा है। जिससे वन्य प्राणियों को नुकसान हो रहा है। एनटीसीए ने निर्देशों के तहत यह तय है कि कितनी अवधि के लिए कितने वाहन सफारी के उद्देश्य से वन परिक्षेत्र में दाखिल होंगे। याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि दिसंबर 2015 के बीच 64 दिनों में कुल 904 अतिरिक्त वाहन अवैध रूप से वन क्षेत्र में दाखिल होने दिए। याचिकाकर्ता का यह भी दावा है कि उन्होंने एनटीसीए को इस मामले से अवगत कराया था, मगर एनटीसीए ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की।
 

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