देरी के आधार पर अनुकंपा नियुक्ति से वंचित किए गए युवक को हाईकोर्ट ने दी राहत

देरी के आधार पर अनुकंपा नियुक्ति से वंचित किए गए युवक को हाईकोर्ट ने दी राहत

Tejinder Singh
Update: 2018-12-24 16:22 GMT
देरी के आधार पर अनुकंपा नियुक्ति से वंचित किए गए युवक को हाईकोर्ट ने दी राहत

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने देरी से आवेदन करने पर अनुकंपा नियुक्ति से वंचित किए गए एक युवक को राहत प्रदान की है। युवक के पिता सरकारी नौकरी में ड्राइवर के पद कार्यरत थे। युवक डीएस खरत के पिता का जब निधन हुआ था तो वे नाबालिग थे, लेकिन उसी समय उनकी मां ने आवेदन दायर सिंचाई विभाग से आग्रह किया था कि जब उसका बेटा वयस्क हो जाए तो उसे नौकरी प्रदान की जाए। वयस्क होने के बाद जब खरत ने साल 2013 में नौकरी के लिए निवेदन किया तो विभाग ने उन्हें यह कह कर नौकरी देने से इंकार कर दिया कि उसने वयस्क होने के एक साल के भीतर उन्होंने नौकरी के लिए आवेदन नहीं किया है। 

सिंचाई विभा के इस आदेश के खिलाफ खरत ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। जस्टिस अभय ओक व जस्टिस एसके शिंदे की बेंच के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद बेंच ने पाया कि खरत की मां ने अपने पति के निधन (12 जनवरी 2008) के पांच महीने बाद ही एक हलफनामा दिया था। जिसमें उन्होंने अपने बेटे को वयस्क होने पर नौकरी देने का आग्रह किया था। इस पर बेंच ने कहा कि हलफनामे में खरत को नौकरी देने के लिए सारी जानकारी थी। इसलिए सिंचाई विभाग के इस तर्क को न्यायसंगत नहीं माना जा सकता है कि नौकरी के लिए आवेदन एक साल के भीतर नहीं किया है। यह बात कहते हुए बेंच ने सिंचाई विभाग को निर्देश दिया कि वह तीन महीने के भीतर याचिका कर्ता को अनुकंपा नियुक्ति प्रदान करे। 
 

 

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