फाइव स्टार होटल में किसानों की समस्या पर सुनवाई

फाइव स्टार होटल में किसानों की समस्या पर सुनवाई

Anita Peddulwar
Update: 2020-01-24 05:51 GMT
फाइव स्टार होटल में किसानों की समस्या पर सुनवाई

डिजिटल डेस्क,  नागपुर । संसद की कृषि विषयक स्थायी समिति नागपुर पहुंची। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना बाबत किसान प्रतिनिधि और कृषि विभाग के अधिकारियों को सुनने के लिए दो सत्रों में बैठक हुई। नागपुर शीतसत्र के दौरान रविभवन में सरकार रुकती है। रविभवन में बड़ा सभागृह भी है, इसके बावजूद रेडीसन ब्ल्यू जैसे पांच सितारा होटल में बैठक आयोजित करने को लेकर आश्चर्य व्यक्त किया जा रहा है। हालांकि इसमें भी समिति के सदस्यों में उदासीनता रही।  समिति के 31 सांसदों में से सिर्फ 12 सांसद पहुंचे।

बंद कमरे में सुनी गईं समस्याएं
कर्नाटक के सांसद पर्वतागौड़ा चनन्नागौड़ा गड्डीगौदार समिति के अध्यक्ष हैं। अन्य सांसदों में अफजल अंसारी, ए. गणेशमूर्ति, कनकमल कटारा, भागवत खूबा, देवजी मनिसंग्राम पटेल, शारदाबेन अनिलभाई पटेल, नवनीत राणा, रामकृपाल यादव, कैलास सोनी, छाया वर्मा उपस्थित थे। होटल के बंद कमरे में किसानों की समस्या सुनी गई। समिति के सामने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना पर राज्य कृषि मूल्य आयोग के 4अध्यक्ष पाशा पटेल, शेतकरी संगठन के अध्यक्ष रघुनाथ दादा पाटील, किसान नेता विजय जावंधिया, अ.भा. किसान सभा के राष्ट्रीय महासचिव अजित नवले, नांदेड के प्रल्हाद इंगोले, शिवाजीराव देशमुख आदि ने अपने विचार रखते हुए सूचनाएं दी।

किसान संगठन के प्रदेशाध्यक्ष अनिल घनवट, पंजाबराव देशमुख जैविक शेती मिशन के अध्यक्ष प्रकाश पोहरे, भारतीय किसान संगठन के महामंत्री मदन देशपांडे, वसंतराव नाईक शेती स्वावलंबन मिशन के अध्यक्ष किसान तिवारी आदि उपस्थित थे। समिति के सदस्य शुक्रवार 24 जनवरी को केंद्रीय कपास संशोधन संस्था, राष्ट्रीय निंबू वर्गीय फल संशोधन संस्था और राष्ट्रीय मृदा सर्वेक्षण संस्था को भेंट देंगे। 

फसल बीमा भी व्यक्तिगत हो 
बैठक में सभी किसान नेताओं ने किसान की आय निर्धारण करने की पद्धति बदलने पर जोर दिया। किसान नेता विजय जावंधिया ने किसानों को दी जाने वाली आधुनिक तकनीक अनुसार अपेक्षित आय देने वाले औसत आय पद्धति में बदलाव करने की बात कही। पद्धति में बदलाव करने पर ही किसानों को फसल बीमा का लाभ मिलेगा। पाशा पटेल ने कहा कि वातावरण बदलने का पर्यावरण पर प्रतिकूल परिणाम हो रहा है। ऐसे माहौल में फसल बीमा की जरूरत है। सिर्फ उसमें कुछ बदलाव करने की आवश्यकता है।

कृषि भूषण प्रकाश पाटील ने कहा कि व्यक्तिगत बीमा अनुसार फसल बीमा भी व्यक्तिगत हो। उन्होंने कहा कि फसल बीमा योजना फसल काटने के प्रयोग पर आधारित है। सूखा घोषित करने के लिए फसल कटाई प्रयोग के आंकड़े कम दिखाए जाते हैं, जिससे औसत आय कम होती है। फलत: उत्पादकता भी कम दिखती है। इसलिए केंद्र सरकार आयात करती है। बाद में कीमतें बढ़ने के कारण कृषि माल के भाव गिरते हैं। पाटील ने कहा कि औसत आय निकालने की पद्धति बदलने की जरूरत है। पाटील ने राष्ट्रीय नियंत्रण समिति और राज्यस्तरीय फसल बीमा समन्वय समिति पर किसानों को प्रतिनिधि लेने की भी मांग की है। 

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